धनबाद: झारखंड-बंगाल सीमा से सटे मैथन में मां कल्याणेश्वरी का मंदिर (Kalyaneshwari temple Dhanbad Jharkhand) है, जहां मां के प्रति लोगों की आस्था देखते बनती है. नवरात्र में भक्तों की भीड़ मां के दर्शन को खींची चली आती है. दो सालों के कोरोना के बाद इस बार नवरात्र में लोगों की भारी उमड़ने की उम्मीद है. कहते हैं मां कल्याणेश्वरी भक्तों के हर दुख दर्द को दूर करती हैं. अपनी मनोकामना लेकर बंगाल और झारखंड के श्रद्धालु मां के दर्शन को पहुंचते हैं.
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मां ने दिया था दर्शन: मंदिर के पुजारी सुखन राय चौधरी बताते हैं कि देवनाथ देवहरिया ने यहां कठिन साधना की थी, जिसके बाद मां ने उन्हें दर्शन दिया. पुजारी कहते हैं कि दर्शन के बाद देवनाथ देवहरिया ने मां को शंखा भी पहनाया था. माता के दर्शन के बाद ही साधक देवनाथ ने मां को यहां स्थापित किया. माता जगत का कल्याण करती है, इसलिए मंदिर का नाम कल्याणेश्वरी पड़ा. साधक ने गुफा के अंदर अष्टधातु की मां की मूर्ति स्थापित की है.
नीम के पेड़ पर पत्थर बांध मुराद मांगते हैं श्रद्धालु: मंदिर के पुजारी ने बताया कि दूर-दूर से लोग यहां अपनी मनोकामना लेकर पहुंचते हैं. जिस नीम के पेड़ के नीचे साधक देवनाथ ने साधना की थी. उस नीम के पेड़ में श्रद्धालु पत्थर बांधकर मां से अपनी मुराद की कामना करते हैं. मनोकामना पूरी होने के बाद श्रद्धालु फिर से माता के दर्शन करते हैं. उसके बाद नीम में बांधे गए पत्थर को खोलकर नदी में प्रवाहित कर देते हैं.
![History of Kalyaneshwari temple](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/jh-dha-01-day-plan-pkg-jh10002_25092022144953_2509f_1664097593_857.jpg)
नवरात्र में होती है विशेष पूजा अर्चना: नवरात्र में यहां विशेष पूजा अर्चना की जाती है. यहां बलि की भी परंपरा है. माता के दर्शन करने पहुंची पीएचडी की पढ़ाई पूरी कर चुकी दीपानिका पाल ने कहा कि 'हमारी पढ़ाई पूरी हो चुकी है. तीन महीने पहले ही मेरी शादी हुई है. अपने परिवार की सुख शांति और नौकरी के लिए मैं माता के दरबार में आई हूं.' वहीं मंदिर के आसपास के पूजा दुकानों के दुकानदारों का कहना है कि 'पिछले दो सालों से कोरोना के कारण, यहां श्रद्धालु नहीं पहुंच सके. इस बार नवरात्र में यहां श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिलेगी.