धनबाद: कोयलांचल में लॉकडाउन के कारण फूलों का व्यवसाय करने वाले लोगों पर बुरा प्रभाव पड़ा है. शादी-विवाह के इस मौसम में फूलों का जबरदस्त व्यापार होता था, लेकिन लॉकडाउन के कारण लाखों के फूल अब खेतों में ही बर्बाद हो रहे हैं. फूलों की खेती करने वाले लोग भुखमरी के कगार पर हैं.
फूल की खेती नष्ट
वैशाख महीना शादियों के लिए अहम माना जाता है और आषाढ़ महीने तक शादियों की काफी लग्न चलती है. इन्हीं शादियों में फूल का व्यवसाय करने वाले लाखों रुपए कमाते हैं. फूलों का व्यवसाय सबसे ज्यादा इन्हीं दिनों होती है, लेकिन आज फूल के माला बनाकर टांगे जाने वाली जगह खाली पड़ी हुई है. लॉकडाउन के कारण खेतों में लहलहा कर महक रहे गेंदा फूल बाजार तक नहीं पहुंच पा रहे हैं, क्योकि बाजार में इनकी मांग भी नहीं है. बहुत सारी शादियां कार्ड छपने के बाद भी कैंसिल हो गई है और नई शादी की तिथि लोग लॉकडाउन के बाद ही करने की सोच रहे हैं, जिस कारण यह फूल अब खेतों में ही बर्बाद हो रहे हैं.
फूलों पर लॉकडाउन का ग्रहण
यह नजारा धनबाद के बाघमारा प्रखंड स्थित सोनदहा गांव का है, जहां इंजीनियरिंग छोड़ कर कुछ आदिवासी अपने दोस्तों के साथ फूलों की खेती कर लाखों की कमाई करते थे, लेकिन लॉकडाउन का इस पर ग्रहण लग गया. रवि निषाद ने बताया कि वह उसने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. अच्छी जॉब भी थी, लेकिन कुछ कारणवश काम छोड़ धनबाद वापस आना पड़ा. यहां बहुत ज्यादा स्कोप ना देख कर एक संस्था बनाकर फूलों की खेती करने लगा, लेकिन लॉकडाउन के कारण आज इनकी स्थिति काफी गंभीर हो गई है.
ये भी पढ़ें-चतरा में क्वॉरेंटाइन में रखे गए मरीज की मौत, समय पर दवा नहीं मिलने से गई जान
फूलों की माला बनाने का काम
वहीं, समीर हेंब्रम ने बताया कि उसने यह जमीन लीज पर ली है और इसमें 30 आदिवासी महिलाएं काम करती है जो फूल तोड़ने और फूलों की माला बनाने का काम करती हैं. अभी यह सभी महिलाएं भी अपने घर में ही बैठी हुई हैं, लेकिन उन्हें इन लोगों की ओर से मदद पहुंचाई जा रही है. ऐसे में इन्हें लाखों का नुकसान हुआ है, जिस कारण यह काफी चिंतित है. खेती करने वाले लोगों ने बताया कि इन सूखे फूलों से भी अगरबत्ती बनाने का काम किया जा सकता है. इस पर भी विचार किया जा रहा है. लॉकडाउन की इस स्थिति में इन फूलों के बाजार में नहीं पहुंचने से लाखों का नुकसान हुआ है.
किसानों के बारे में सोचने की जरूरत
लगभग 5 से 6 एकड़ में फूलों की खेती ये लोग कर रहे थे. जो अब खेतों में ही पड़ी है और इन सभी की अगरबत्ती भी नहीं बनाई जा सकती है. इतना नुकसान सहने के बावजूद इन लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से लिए गये लॉकडाउन के फैसले को सही बताते हुए कहा है कि कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन बहुत ही जरूरी था, लेकिन जिस प्रकार से उन्हें इस लॉकडाउन के कारण नुकसान उठाना पड़ा है. ऐसे में राज्य सरकार और केंद्र सरकार को भी किसानों के बारे में सोचने की जरूरत है, ताकि वो फिर से अपने पैरों में खड़े हो सकें.