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धनबाद के अधिवक्ताओं ने की ईटीवी भारत से बातचीत, जानिए कैसा उम्मीदवार है इन्हें पसंद

धनबाद के अधिवक्ता वैसे जनप्रतिनिधि चाहते हैं जो वकीलों के हित में काम करे और झारखंड में एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू करे. उनका कहना है कि वकील सिर्फ वकील नहीं होता है, बल्कि वह संविधान का पुजारी और उपासक भी होता है.

धनबाद के अधिवक्ताओं ने किया ईटीवी भारत से बातचीत
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Published : Nov 24, 2019, 9:26 AM IST

धनबाद: जिले में आगामी 16 दिसंबर को चुनाव है. इसे लेकर ईटीवी भारत की टीम समाज के सभी वर्गों के बीच जा रही है. उनसे यह जानने का प्रयास कर रही है कि आखिर उनका जनप्रतिनिधि कैसा हो. इसी क्रम में ईटीवी भारत की टीम ने धनबाद के अधिवक्ताओं की नब्ज को टटोला. आइए जानते हैं कि आखिर धनबाद के अधिवक्ता कैसा जनप्रतिनिधि चाहते हैं.

देखें अधिवक्ताओं की राय

वकीलों पर लगातार हो रहे हैं हमले
धनबाद बार एसोसिएशन के जनरल सेक्रेट्री देवी शरण सिन्हा ने कहा कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव में काफी फर्क है. यहां स्थायी सरकार होना बहुत जरूरी है. स्थायी सरकार के होने से क्षेत्र में सही विकास हो पाता है, लेकिन स्थानीय ज्वलंत मुद्दों को किसी हाल में अनदेखा नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों में एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू है, लेकिन यह झारखंड में लागू नहीं हो पा रहा है. वकीलों पर लगातार हमले हो रहे हैं. दिल्ली में हुई घटना इसका ताजा उदाहरण है.

ये भी पढ़ें-रविवार को झारखंड में बीजेपी की महासभा, राजनाथ सिंह, स्मृति ईरानी और रवि किशन करेंगे रैली

वकीलों के हित में करें काम
देवी शरण सिन्हा ने कहा कि पिछले दिनों धनबाद के कतरास में भी एक वरिष्ठ वकील के चैंबर में घुसकर हमला किया गया. उन्होंने कहा कि जो वकीलों के हित के लिए काम करे, स्थानीय और ज्वलंत मुद्दों पर लड़ाई लड़े वैसै उम्मीदवार को वे अपना प्रत्याशी चुनेंगे. चाहे वह किसी भी दल का क्यों न हो. अन्य अधिवक्ताओं ने कहा कि वकील सिर्फ वकील नहीं होता है, बल्कि वह संविधान का पुजारी और उपासक भी होता है. जनप्रतिनिधि ऐसा होना चाहिए जो संविधान को बना सके, ताकि वे उसका उपासक बन सके.

राजनीतिक दलों के पास नहीं है कोई विचारधारा
अधिवक्ता मोहम्मद जावेद ने कहा कि वर्तमान में राजनीतिक दल भागमभाग में लगे हुए हैं. जनता के पास दूसरा कोई विकल्प नहीं है. आज नेतागण अपनी नीति और विचारधारा से हटकर यह संदेश देने का काम कर रहें हैं कि उनके पास अपनी कोई विचारधारा नहीं है. अगर एक पार्टी से टिकट नहीं मिली तो वे तुरंत दूसरी पार्टी का दामन थाम ले रहे हैं. ऐसी स्थिति में यह स्पष्ट है कि नेताओं के पास कोई विचारधारा नहीं है. उन्हें हर हाल में सिर्फ और सिर्फ कुर्सी चाहिए. वहीं, महिला अधिवक्ता ने कहा कि हमारा जनप्रतिनिधि ऐसा होना चाहिए जो महिलाओं की सुरक्षा के बारे में ख्याल रखे.

धनबाद: जिले में आगामी 16 दिसंबर को चुनाव है. इसे लेकर ईटीवी भारत की टीम समाज के सभी वर्गों के बीच जा रही है. उनसे यह जानने का प्रयास कर रही है कि आखिर उनका जनप्रतिनिधि कैसा हो. इसी क्रम में ईटीवी भारत की टीम ने धनबाद के अधिवक्ताओं की नब्ज को टटोला. आइए जानते हैं कि आखिर धनबाद के अधिवक्ता कैसा जनप्रतिनिधि चाहते हैं.

देखें अधिवक्ताओं की राय

वकीलों पर लगातार हो रहे हैं हमले
धनबाद बार एसोसिएशन के जनरल सेक्रेट्री देवी शरण सिन्हा ने कहा कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव में काफी फर्क है. यहां स्थायी सरकार होना बहुत जरूरी है. स्थायी सरकार के होने से क्षेत्र में सही विकास हो पाता है, लेकिन स्थानीय ज्वलंत मुद्दों को किसी हाल में अनदेखा नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों में एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू है, लेकिन यह झारखंड में लागू नहीं हो पा रहा है. वकीलों पर लगातार हमले हो रहे हैं. दिल्ली में हुई घटना इसका ताजा उदाहरण है.

ये भी पढ़ें-रविवार को झारखंड में बीजेपी की महासभा, राजनाथ सिंह, स्मृति ईरानी और रवि किशन करेंगे रैली

वकीलों के हित में करें काम
देवी शरण सिन्हा ने कहा कि पिछले दिनों धनबाद के कतरास में भी एक वरिष्ठ वकील के चैंबर में घुसकर हमला किया गया. उन्होंने कहा कि जो वकीलों के हित के लिए काम करे, स्थानीय और ज्वलंत मुद्दों पर लड़ाई लड़े वैसै उम्मीदवार को वे अपना प्रत्याशी चुनेंगे. चाहे वह किसी भी दल का क्यों न हो. अन्य अधिवक्ताओं ने कहा कि वकील सिर्फ वकील नहीं होता है, बल्कि वह संविधान का पुजारी और उपासक भी होता है. जनप्रतिनिधि ऐसा होना चाहिए जो संविधान को बना सके, ताकि वे उसका उपासक बन सके.

राजनीतिक दलों के पास नहीं है कोई विचारधारा
अधिवक्ता मोहम्मद जावेद ने कहा कि वर्तमान में राजनीतिक दल भागमभाग में लगे हुए हैं. जनता के पास दूसरा कोई विकल्प नहीं है. आज नेतागण अपनी नीति और विचारधारा से हटकर यह संदेश देने का काम कर रहें हैं कि उनके पास अपनी कोई विचारधारा नहीं है. अगर एक पार्टी से टिकट नहीं मिली तो वे तुरंत दूसरी पार्टी का दामन थाम ले रहे हैं. ऐसी स्थिति में यह स्पष्ट है कि नेताओं के पास कोई विचारधारा नहीं है. उन्हें हर हाल में सिर्फ और सिर्फ कुर्सी चाहिए. वहीं, महिला अधिवक्ता ने कहा कि हमारा जनप्रतिनिधि ऐसा होना चाहिए जो महिलाओं की सुरक्षा के बारे में ख्याल रखे.

Intro:धनबाद.जिले में आगामी 16 दिसंबर को चुनाव है। ईटीवी भारत की टीम समाज के सभी वर्गों के बीच जा रही है और उनसे यह जानने का प्रयास कर रही है कि आखिर उनका जनप्रतिनिधि कैसा हो।इसी क्रम में ईटीवी भारत की टीम ने धनबाद के अधिवक्ताओं की नब्ज को टटोला।आइए जानते हैं कि आखिर धनबाद के अधिवक्ता कैसा जनप्रतिनिधि चाहते हैं।


Body:धनबाद बार एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी देवी शरण सिन्हा ने कहा कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव में काफी फर्क है।स्थायी सरकार होना बहुत जरूरी है।स्थायी सरकार के होने से ही विकास हो पाता है।लेकिन स्थानीय ज्वलंत मुद्दों को किसी हाल में अनदेखी नही किया जा सकता है।महंगाई,बेरोजगारी और भ्रष्टाचार काफी है।जो हमारी आवाज को बुलंद कर सके।हम वैसे जनप्रतिनिधि को चुनकर विधानसभा में भेजने का काम करेंगे।उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों में एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू है।लेकिन यह झारखंड में लागू नही हो पा रहा है।वकीलों पर लगातार हमले हो रहे हैं।दिल्ली में हुई घटना इसका ताजा उदाहरण है।पिछले दिनों धनबाद के कतरास में भी एक वरिष्ठ वकील के चैंबर में घुसकर हमला किया गया।उन्होंने कहा कि जो वकीलों के हित के लिए काम करेगा और स्थानीय व ज्वलंत मुद्दों पर लड़ाई लड़ने वाले उम्मीदवार को हम अपना प्रत्याशी चुनेंगे।चाहे वह किसी भी दल का हो।अन्य अधिवक्ताओं ने कहा कि वकील सिर्फ वकील नही होता बल्कि वह संविधान का पुजारी और उपासक भी होता है।हमारा जन प्रतिनिधि ऐसा होना चाहिए कि विधान को बना सके।ताकि हम उसका उपासक बन सके।अधिवक्ता मो जावेद ने कहा कि वर्तमान में जो झारखंड में राजनीतिक भागमभाग लगा हुआ है।जनता के पास दूसरा कोई विकल्प नही है।आज नेतागण अपनी नीति और विचारधारा से हटकर यह संदेश देने का काम कर रहें हैं कि उनके पास अपनी कोई विचारधारा नही है।यदि एक पार्टी से टिकट नही मिल रही तो वे तुरंत दूसरी पार्टी का दामन थाम ले रहें हैं।ऐसी स्थिति में यह स्पष्ट है कि राज नेताओं के पास कोई विचारधारा नही है।उन्हें हर हाल में सिर्फ और सिर्फ कुर्सी चाहिए।लोकलुभावन वादे कर लोग कुर्सी पर बैठ जाते हैं।लेकिन वह अपने क्षेत्र में जाने की जहमत तक नही उठाते हैं।विकास तो दूर की बात है।आज लोगों को ऐसे उम्मीदवार को चुनना चाहिए जो हमेशा उनके पास उपलब्ध रहे। महिला अधिवक्ता ने कहा कि हमारा जनप्रतिनिधि ऐसा होना चाहिए जो महिलाओं की सुरक्षा के बारे में ख्याल रखे।


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