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कम बारिश से किसान परेशान, सरकारी योजनाओं का भी नहीं मिल रहा फायदा - झारखंड न्यूज

धनबाद में खराब बारिश की वजह से किसान बहुत परेशान है. किसानों को मजबूरी में खेत ट्रैक्टर से जोतवाना पड़ रहा है. वहीं ज्यादातर किसानों को सरकारी योजना का भी फायदा नहीं मिल पा रहा है.

खेतों में पानी की कमी
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Published : Jul 11, 2019, 6:31 AM IST

धनबाद: देश की कोयला राजधानी होने के बावजूद भी यहां ज्यादातर हिस्सों में खेती की जाती है. किसान ज्यादातर धान की खेती करते है, लेकिन मानसून में बारिश नहीं होने के कारण किसानों की खेती लगभग एक महीनें पीछे चली गई है.

बता दें कि धनबाद के ज्यादातर हिस्सों में अभी भी खेती की जाती है, लेकिन इस बार मानसून देर से आई और बारिश भी उम्मीद से बहुत कम हुई. लेकिन पिछले दस दिनों से अच्छी बारिश देखने को मिल रही है.किसानों का कहना है कि अभी भी इतनी बारिश नहीं हुई है कि खेतों में हल चला सके. किसान मजबूरी में ट्रैक्टर से खेतों की जुताई कर रहे हैं. हालांकि बारिश कम होने की वजह से ट्रैक्टर से भी खेतों की जुताई अच्छे से नहीं हो पा रही है.

देखें पूरी खबर

ये भी देखें- मॉब लिंचिंग के विरोध में प्रदर्शन की नहीं मिली अनुमति, प्रशासन ने एहतियातन उठाया यह कदम

जानवरों के लिए किसान खेती को मजबूर.


वहीं किसानों का कहना है कि अब फसल लगाने के बाद भी आधी ही फसल होगी लेकिन धान जो आधी बचेगी उसे अगले साल के लिए बीज के रूप में रखेंगे. किसानों का कहना है कि हम इस बार सिर्फ बिचाली के लिए खेती कर रहें है, ताकि किसानों के यहां जो जानवर रह रहें है उसको खाना मिल सके. बता दें कि ज्यादातर किसानों के यहां चार-पांच गाय, बैल और भैंस रखे जाते हैं जिनको बिचाली देने के लिए किसान खेती करने के लिए मजबूर हैं. ताकि भले ही धान कम हो लेकिन बिचाली हो सके.


बिचड़ा अभी भी तैयार नहीं.


आपको बता दें कि मानसून में बारिश कम होने की वजह से ज्यादातर किसान बिचड़ा भी नहीं डाल पा रहें है और अगर कुछ किसान बिचड़ा डाल भी रहें है तो उनका बिछड़ा पीला पड़ जा रहा है. बिचड़ा ढंग से तैयार भी नहीं हुआ है कि उसकी रोपनी की जा सके लेकिन उसके बावजूद भी उसी छोटे बिचड़े को ही किसान खेतों में रोपनी करने के लिए मजबूर हैं.
गौरतलब है कि, सरकार द्वारा चलाऐ जा रहे किसी भी योजना का लाभ धनबाद के किसानों को ढंग से नहीं मिल पा रहा है. समय पर बिचड़ा भी सरकार के द्वारा नहीं आ पाया आया था जिस कारण भी किसानों को बिचड़ा डालने में देरी हुई है.

धनबाद: देश की कोयला राजधानी होने के बावजूद भी यहां ज्यादातर हिस्सों में खेती की जाती है. किसान ज्यादातर धान की खेती करते है, लेकिन मानसून में बारिश नहीं होने के कारण किसानों की खेती लगभग एक महीनें पीछे चली गई है.

बता दें कि धनबाद के ज्यादातर हिस्सों में अभी भी खेती की जाती है, लेकिन इस बार मानसून देर से आई और बारिश भी उम्मीद से बहुत कम हुई. लेकिन पिछले दस दिनों से अच्छी बारिश देखने को मिल रही है.किसानों का कहना है कि अभी भी इतनी बारिश नहीं हुई है कि खेतों में हल चला सके. किसान मजबूरी में ट्रैक्टर से खेतों की जुताई कर रहे हैं. हालांकि बारिश कम होने की वजह से ट्रैक्टर से भी खेतों की जुताई अच्छे से नहीं हो पा रही है.

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जानवरों के लिए किसान खेती को मजबूर.


वहीं किसानों का कहना है कि अब फसल लगाने के बाद भी आधी ही फसल होगी लेकिन धान जो आधी बचेगी उसे अगले साल के लिए बीज के रूप में रखेंगे. किसानों का कहना है कि हम इस बार सिर्फ बिचाली के लिए खेती कर रहें है, ताकि किसानों के यहां जो जानवर रह रहें है उसको खाना मिल सके. बता दें कि ज्यादातर किसानों के यहां चार-पांच गाय, बैल और भैंस रखे जाते हैं जिनको बिचाली देने के लिए किसान खेती करने के लिए मजबूर हैं. ताकि भले ही धान कम हो लेकिन बिचाली हो सके.


बिचड़ा अभी भी तैयार नहीं.


आपको बता दें कि मानसून में बारिश कम होने की वजह से ज्यादातर किसान बिचड़ा भी नहीं डाल पा रहें है और अगर कुछ किसान बिचड़ा डाल भी रहें है तो उनका बिछड़ा पीला पड़ जा रहा है. बिचड़ा ढंग से तैयार भी नहीं हुआ है कि उसकी रोपनी की जा सके लेकिन उसके बावजूद भी उसी छोटे बिचड़े को ही किसान खेतों में रोपनी करने के लिए मजबूर हैं.
गौरतलब है कि, सरकार द्वारा चलाऐ जा रहे किसी भी योजना का लाभ धनबाद के किसानों को ढंग से नहीं मिल पा रहा है. समय पर बिचड़ा भी सरकार के द्वारा नहीं आ पाया आया था जिस कारण भी किसानों को बिचड़ा डालने में देरी हुई है.

Intro:धनबाद:कोयलांचल धनबाद को देश की कोयला राजधानी कहा जाता है लेकिन उसके बावजूद भी यहां पर ज्यादातर हिस्सों में खेती की जाती है और खासकर धान की खेती होती है, लेकिन मानसून में बारिश नहीं होने के बाद किसानों की खेती अब लगभग एक महीना पीछे चली गई है.कुछ दिनों से बारिश होने के बाद किसानों के चेहरे पर कुछ खुशी देखने को जरूर मिली है लेकिन उसके बावजूद भी किसान मायूस हैं आखिर क्यों जानिए पूरा मामला.


Body:कुछ दिनों से हो रही बारिश लेकिन नाकाफी, खेतों में अभी भी नहीं लग रहे ट्रैक्टर


आपको बता दें कि धनबाद के ज्यादातर हिस्सों में अभी भी भरपूर मात्रा में खेती होती है,लेकिन एक तो मानसून देर से पहुंचा ओर मानसून आने के बाद भी आधी ही बारिश हुई.अब लगभग 10 दिनों से मानसून की अच्छी बारिश धनबाद में देखने को मिल रही है लेकिन अभी भी उतनी बारिश नहीं हुई है कि खेतों में हल लग सके.किसान मजबूरी में ट्रैक्टर से खेतों की जुताई कर रहे हैं. हालांकि बारिश कम होने की वजह से ट्रैक्टर भी खेतों से भी खेतों की जुताई ढंग से नहीं हो पा रही है.

जानवरों के लिए बिचाली(पुआल) के लिए किसान खेती को मजबूर.

वहीं किसानों का कहना है कि अब फसल लगाने के बाद भी आधी ही फसल होगी लेकिन धान जो आधी होगी उसे अगले साल के लिए बीज के रूप में रखेंगे. और खासकर बिचाली के लिए यह खेती किया जा रहा है ताकि यहां के किसानों के यहां जो जानवर रह रहे हैं उसको खाना मिल सके. आपको बता दें कि ज्यादातर किसानों के यहां चार-पांच गाय, बैल और भैंस रखे जाते हैं जिनको बिचाली देने के लिए यह किसान खेती करने के लिए मजबूर हैं. ताकि भले ही धान कम हो लेकिन बिचाली हो सके.

बिचड़ा(आफर) अभी भी तैयार नहीं.

आपको बता दें कि मानसून में बारिश कम होने की वजह से ज्यादातर किसान तो बिचड़ा डाल ही नहीं पाए हैं और जो किसान बिचड़ा डाल पाए हैं उनका भी बिछड़ा पीला पड़ चुका है. बिचड़ा ढंग से तैयार भी नहीं हुआ है कि उसकी रोपनी की जा सके लेकिन उसके बावजूद भी उसी छोटे बिचड़े को ही किसान खेतों में रोपनी करने के लिए मजबूर हैं.



Conclusion:गौरतलब है कि सरकारी योजनाओं का लाभ भी धनबाद के किसानों को ढंग से नहीं मिल पा रहा है. समय पर बिचड़ा भी सरकार के द्वारा नहीं आ पाया आया था जिस कारण भी किसानों को बिचड़ा डालने में देरी हुई है.यह खबर ईटीवी भारत ने पहले ही प्रमुखता से दिखाया भी है. ऐसे में अब मानसून भी किसानों को परेशान कर रहा है.ऐसे में किसानों का सहारा कौन बनेगा यह आने वाले समय में देखने वाली बात होगी।

बाइट-
1. मंगल टुडू- किसान
2. रियाजुद्दीन खान- किसान
3.सुरुजमुनी देवी- किसान
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