धनबाद: देश की कोयला राजधानी होने के बावजूद भी यहां ज्यादातर हिस्सों में खेती की जाती है. किसान ज्यादातर धान की खेती करते है, लेकिन मानसून में बारिश नहीं होने के कारण किसानों की खेती लगभग एक महीनें पीछे चली गई है.
बता दें कि धनबाद के ज्यादातर हिस्सों में अभी भी खेती की जाती है, लेकिन इस बार मानसून देर से आई और बारिश भी उम्मीद से बहुत कम हुई. लेकिन पिछले दस दिनों से अच्छी बारिश देखने को मिल रही है.किसानों का कहना है कि अभी भी इतनी बारिश नहीं हुई है कि खेतों में हल चला सके. किसान मजबूरी में ट्रैक्टर से खेतों की जुताई कर रहे हैं. हालांकि बारिश कम होने की वजह से ट्रैक्टर से भी खेतों की जुताई अच्छे से नहीं हो पा रही है.
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जानवरों के लिए किसान खेती को मजबूर.
वहीं किसानों का कहना है कि अब फसल लगाने के बाद भी आधी ही फसल होगी लेकिन धान जो आधी बचेगी उसे अगले साल के लिए बीज के रूप में रखेंगे. किसानों का कहना है कि हम इस बार सिर्फ बिचाली के लिए खेती कर रहें है, ताकि किसानों के यहां जो जानवर रह रहें है उसको खाना मिल सके. बता दें कि ज्यादातर किसानों के यहां चार-पांच गाय, बैल और भैंस रखे जाते हैं जिनको बिचाली देने के लिए किसान खेती करने के लिए मजबूर हैं. ताकि भले ही धान कम हो लेकिन बिचाली हो सके.
बिचड़ा अभी भी तैयार नहीं.
आपको बता दें कि मानसून में बारिश कम होने की वजह से ज्यादातर किसान बिचड़ा भी नहीं डाल पा रहें है और अगर कुछ किसान बिचड़ा डाल भी रहें है तो उनका बिछड़ा पीला पड़ जा रहा है. बिचड़ा ढंग से तैयार भी नहीं हुआ है कि उसकी रोपनी की जा सके लेकिन उसके बावजूद भी उसी छोटे बिचड़े को ही किसान खेतों में रोपनी करने के लिए मजबूर हैं.
गौरतलब है कि, सरकार द्वारा चलाऐ जा रहे किसी भी योजना का लाभ धनबाद के किसानों को ढंग से नहीं मिल पा रहा है. समय पर बिचड़ा भी सरकार के द्वारा नहीं आ पाया आया था जिस कारण भी किसानों को बिचड़ा डालने में देरी हुई है.