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Dhanbad News: विस्थापित आदिवासियों को महीनों बाद भी नहीं मिला मुआवजा, प्रशासन पर लगाया छलने का आरोप

धनबाद के मैथन में आदिवासी विस्थापित परिवारों को मुआवजा नहीं दिया जा रहा है. इससे वे लोग परेशान हैं. वह अपनी बात को सरकार तक पहुंचाना चाहते हैं.

आदिवासी विस्थापित परिवारों को मुआवजा
आदिवासी विस्थापित परिवारों को मुआवजा
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Published : Apr 20, 2023, 11:24 AM IST

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धनबाद: निरसा एगयरकुंड प्रखंड मेढा पंचायत के मैथन संजय चौक के पास से विस्थापित परिवारों को मुआवजा अब तक नहीं मिला है. उन्हें बार बार केवल आश्वासन ही दिया जा रहा है. मैथन संजय चौक स्थित राष्ट्रीय राजमार्ग के पास लगभग 20 आदिवासी परिवार पिछले 40 से 45 साल से गुजर बसर कर रहे हैं. सभी आदिवासी परिवारों का झोपड़ीनुमा घर है, इन घरों में लगभग सैकड़ों लोग रहते हैं. ये सभी लोग मजदूरी करते हैं और अपना और अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं. लेकिन, राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण के कारण इन सभी परिवारों को इस जगह से विस्थापित कर दिया गया है. विस्थापन के समय प्रशासन की ओर से आश्वासन दिया गया था कि सभी को उचित मुआवजा दिया जाएगा.

यह भी पढ़ें: मेले में चाट खाने से बिगड़ी 100 से ज्यादा लोगों की तबीयत, इलाज के लिए अस्पताल में बेड पड़े कम

त्रिपाल के सहारे रहने को मजबूर लोग: लोगों का कहना है कि प्रशासन की ओर से किसी प्रकार की अब तक कोई सहायता नहीं की गई. सभी आदिवासी परिवार त्रिपाल के सहारे रह रहे हैं और उन्हें हर घड़ी अपने आशियाने का उजड़ने का डर सता रहा है. इस बारे में वहां निवास कर रहे आदिवासी परिवारों ने अपनी दुख भरी दास्तां सुनाते हुए कहा कि जिला प्रशासन और एनएचआई ने हम सभी को स्थानांतरण करने और मुआवजा देने की बात कही थी. अंचल कर्मचारी इस बारे में कई बार आएं और विस्थापित लोगों की सूची भी तैयार की. लेकिन 20 परिवारों में से केवल 13 परिवार को ही सूची में नाम शामिल किया गया और मुआवजा देने की बात कही गई. कई महीने बीत जाने के बाद भी किसी प्रकार की कोई मदद नहीं मिली, जबकि राष्ट्रीय राजमार्ग को काम तेजी से चल रहा है. ऐसा प्रतीत हो रहा है कि हम सभी को विभाग ने छला है. हमारी बातों को राज्य सरकार तक नहीं पहुंचने दिया जा रहा है, जिसके कारण हम सबको मुआवजा नहीं दिया गया है.

अंचलाधिकारी मिलने तक नहीं आयीं: विस्थापितों ने कहा कि अंचलाधिकारी का आवास मैथन में है. वह रोज इसी संजय चौक से आती जाती हैं. लेकिन आज तक वह हम विस्थापित परिवारों से एक दिन भी मिलने नहीं आई और ना ही हमारी बातों को जिला और राज्य सरकार तक पहुंचाने का प्रयास किया. राज्य में आदिवासी मुख्यमंत्री के होने के बावजूद उन तक हमारी बात पहुंचने नहीं दी जा रही है, जिसके कारण हम सभी अपने आप को छला हुआ महसूस कर रहे हैं. इस बारे में एगयरकुंड अंचल अधिकारी अमृता कुमारी ने बताया कि उस स्थान का कर्मचारी द्वारा सर्वे किया जा चुका है. जो भी विस्थापित हो रहे हैं, उन सभी परिवारों को उचित मुआवजा दिया जाएगा. एनएचआई को पत्राचार किया गया है. सभी विस्थापित परिवारों को मुआवजा दिया जाना है, जिसका जल्द भुगतान होगा.

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धनबाद: निरसा एगयरकुंड प्रखंड मेढा पंचायत के मैथन संजय चौक के पास से विस्थापित परिवारों को मुआवजा अब तक नहीं मिला है. उन्हें बार बार केवल आश्वासन ही दिया जा रहा है. मैथन संजय चौक स्थित राष्ट्रीय राजमार्ग के पास लगभग 20 आदिवासी परिवार पिछले 40 से 45 साल से गुजर बसर कर रहे हैं. सभी आदिवासी परिवारों का झोपड़ीनुमा घर है, इन घरों में लगभग सैकड़ों लोग रहते हैं. ये सभी लोग मजदूरी करते हैं और अपना और अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं. लेकिन, राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण के कारण इन सभी परिवारों को इस जगह से विस्थापित कर दिया गया है. विस्थापन के समय प्रशासन की ओर से आश्वासन दिया गया था कि सभी को उचित मुआवजा दिया जाएगा.

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त्रिपाल के सहारे रहने को मजबूर लोग: लोगों का कहना है कि प्रशासन की ओर से किसी प्रकार की अब तक कोई सहायता नहीं की गई. सभी आदिवासी परिवार त्रिपाल के सहारे रह रहे हैं और उन्हें हर घड़ी अपने आशियाने का उजड़ने का डर सता रहा है. इस बारे में वहां निवास कर रहे आदिवासी परिवारों ने अपनी दुख भरी दास्तां सुनाते हुए कहा कि जिला प्रशासन और एनएचआई ने हम सभी को स्थानांतरण करने और मुआवजा देने की बात कही थी. अंचल कर्मचारी इस बारे में कई बार आएं और विस्थापित लोगों की सूची भी तैयार की. लेकिन 20 परिवारों में से केवल 13 परिवार को ही सूची में नाम शामिल किया गया और मुआवजा देने की बात कही गई. कई महीने बीत जाने के बाद भी किसी प्रकार की कोई मदद नहीं मिली, जबकि राष्ट्रीय राजमार्ग को काम तेजी से चल रहा है. ऐसा प्रतीत हो रहा है कि हम सभी को विभाग ने छला है. हमारी बातों को राज्य सरकार तक नहीं पहुंचने दिया जा रहा है, जिसके कारण हम सबको मुआवजा नहीं दिया गया है.

अंचलाधिकारी मिलने तक नहीं आयीं: विस्थापितों ने कहा कि अंचलाधिकारी का आवास मैथन में है. वह रोज इसी संजय चौक से आती जाती हैं. लेकिन आज तक वह हम विस्थापित परिवारों से एक दिन भी मिलने नहीं आई और ना ही हमारी बातों को जिला और राज्य सरकार तक पहुंचाने का प्रयास किया. राज्य में आदिवासी मुख्यमंत्री के होने के बावजूद उन तक हमारी बात पहुंचने नहीं दी जा रही है, जिसके कारण हम सभी अपने आप को छला हुआ महसूस कर रहे हैं. इस बारे में एगयरकुंड अंचल अधिकारी अमृता कुमारी ने बताया कि उस स्थान का कर्मचारी द्वारा सर्वे किया जा चुका है. जो भी विस्थापित हो रहे हैं, उन सभी परिवारों को उचित मुआवजा दिया जाएगा. एनएचआई को पत्राचार किया गया है. सभी विस्थापित परिवारों को मुआवजा दिया जाना है, जिसका जल्द भुगतान होगा.

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