धनबाद: झारखंड अलग राज्य की मांग में भाग लेने वाले आंदोलनकारियों को सरकार पेंशन दे रही है. वहीं राज्य में कुछ ऐसे भी लोग है जिनका मानना है कि सरकार उनके साथ भेदभाव कर रही है. दरअसल उनका कहना है कि झारखंड आंदोलन में उनकी भी भूमिका रही है. सरकार इसे अनदेखी कर रही है. उनका कहना है कि सरकार उन्हें आंदोलनकारी मान रही है जो जेल गए हैं. वहीं इन लोगों का कहना है कि इन्होंने आर्थिक नाकेबंदी में भाग लिया था. ऐसे लोगों को भी सरकार आंदोलनकारी की श्रेणी में रखे.
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आर्थिक नाकेबंदी में भाग लेने वाले जगत ने बताया: धनबाद के दामोदरपुर निवासी आंदोलनकारी जगत महतो ने कहा कि झारखंड अलग राज्य आंदोलन में कई दिग्गज नेताओं के साथ रेल और सड़क रोको आंदोलन में धनबाद के 43 लोग शामिल थे. जिन्होंने 14 साल तक न्यायालय में लड़ाई लड़ी. लेकिन वर्तमान में राज्य की सरकार आंदोलनकारियों को उनका हक देने से कतरा रही है. वहीं जो आंदोलनकारी जेल गए, सरकार उन्हें ही आंदोलनकारी मान रही है. लेकिन सड़क से लेकर रेल तक जिन्होंने आंदोलन किया, उनके साथ हेमंत सोरेन की सरकार दोहरी नीति अपना रही है. कहा कि अगर सरकार उनकी नहीं सुनेगी तो वे झारखंड हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे.
सरिता देवी ने क्या कहा: सरिता देवी और अर्चना देवी के कहा कि उनके पतियों ने झारखंड अलग राज्य आंदोलन में अपनी जान गंवा दी है. इसके बाद भी सरकार उन्हें आंदोलनकारी नहीं मानती है. कहा कि अभी भी वो इस आस में हैं कि उनके पति द्वारा दी गई कुर्बानियों का हक झारखंड सरकार उन्हें देगी. सरिता देवी की माने तो झारखंड राज्य आंदोलन में उनके पति प्रदीप महतो ने अपनी जान गंवाई थी. कहा कि मीडिया में उनका नाम भी आया था. कहा कि 14 साल तक लगातार न्यायालय में मुकदमा लड़ने के बाद जिला प्रशासन ने प्रमाण पत्र तो दे दिया, पर राज्य सरकार आंदोलनकारी मानने से इन्कार कर रही है. उन्हें बड़ी आस है कि सरकार से पेंशन मिले ताकि अपने बाल बच्चों की परवरिश कर सके.