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धनबादः केंद्र सरकार की नीति के विरोध में बीसीसीएल का चक्का जाम, कोयला श्रमिकों ने किया प्रदर्शन

धनबाद के बाघमारा अंतर्गत बीसीसीएल के कोलियरियों में कोयला श्रमिकों ने केंद्र सरकार की नीति के खिलाफ नारेबाजी कर बीसीसीएल का काम ठप कर दिया. इस दौरान प्रदर्शनकारियों का कहना है कि राष्ट्रीयकरण की सभी संस्थाओं का केंद्र सरकार निजीकरण करना चाहती है.

कोयला श्रमिकों ने किया प्रदर्शन.
कोयला श्रमिकों ने किया प्रदर्शन.
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Published : Jul 2, 2020, 3:53 PM IST

धनबादः बाघमारा अंतर्गत बीसीसीएल के कोलियरियों में गुरुवार को कोयला श्रमिकों ने केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर प्रदर्शन किया. वहीं इस चक्का जाम के असर से कोलियरियों में उत्पादन परिवहन सहित सभी कार्य ठप हो चुके हैं. साथ ही यूनियन प्रतिनिधि ने केंद्र सरकार के कोल ब्लॉक नीलामी का विरोध भी किया.

तीन दिवसीय चक्का जाम का आह्वान
बता दें कि केंद्र सरकार की नीति के विरोध में सभी यूनियन प्रतिनिधियों ने बीसीसीएल का चक्का जाम कर दिया है. कोयला मजदूर संगठनों द्वारा पूर्व घोषित कोल इंडिया चक्का जाम का व्यापक असर बाघमारा अंतर्गत बीसीसीएल कोयला खदानों में भी दिख रहा हैं. कॉमर्शियल माइनिंग, एफडीआई सहित कई मुख्य मांगों को लेकर मजदूर यूनियनों ने केंद्र सरकार के खिलाफ चरणबद्व आंदोलन के तहत तीन दिवसीय चक्का जाम का आह्वान किया था.

इसे भी पढ़ें- कोरोना काल में BCCL को हुआ करोड़ों का मुनाफा, कर्मचारियों के वेतन में निरंतरता बनाए रखेंगे: वित्त निदेशक

मजदूर के खिलाफ हो रहा काम
यूनियन प्रतिनिधियों का कहना है कि राष्ट्रीयकरण की सभी संस्थाओं का केंद्र सरकार निजीकरण करना चाहती है और निजीकरण होने से मजदूरों का शोषण होगा. सरकार की यह नीति मजदूर विरोधी है. मजदूर हित की बात करने वाली केंद्र सरकार आज मजदूर अहित कर रही है. सरकार की यह नीति मजदूरों का शोषण करने वाली नीति है. हम संयुक्त मोर्चा के लोग इसको किसी कीमत पर लागू नहीं होने देंगे. वहीं सुरक्षा के मद्देनजर बीसीसीएल प्रबंधन ने जगह-जगह सीआईएसएफ की तैनाती की है. हांलाकि इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का भी ख्याल रखा गया.

क्या थी केंद्र सरकार की नीति?
कोयला मंत्रालय के आदेशानुसार 50 कोल ब्लॉक की नीलामी होनी है, जिसके विरोध में कोयला मजदूरों का विरोध जारी है. पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी ने कोलयरियों के निजीकरण से राष्ट्रीयकरण किया था, जिससे मजदूरों की स्थिति में सुधार आया है. केंद्र सरकार कोल इंडिया के अलावा अन्य सरकारी संस्थानों को निजी हाथों में सौंप रही है. यह केंद्र की सरकार मजदूर विरोधी कार्य कर बड़े-बड़े कॉरपोरेट घरानों को फायदा पहुंचा रही है. वहीं मजदूरों ने केंद्र सरकार की कॉमर्शियल माइनिंग, एफडीआई जैसी सभी फैसलों को वापस लेने की मांग की. साथ ही मजदूरों ने चेतावनी दी कि अगर सरकार मजदूर विरोधी नीति को वापस नहीं लेता, तो यह आंदोलन चलता रहेगा.

धनबादः बाघमारा अंतर्गत बीसीसीएल के कोलियरियों में गुरुवार को कोयला श्रमिकों ने केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर प्रदर्शन किया. वहीं इस चक्का जाम के असर से कोलियरियों में उत्पादन परिवहन सहित सभी कार्य ठप हो चुके हैं. साथ ही यूनियन प्रतिनिधि ने केंद्र सरकार के कोल ब्लॉक नीलामी का विरोध भी किया.

तीन दिवसीय चक्का जाम का आह्वान
बता दें कि केंद्र सरकार की नीति के विरोध में सभी यूनियन प्रतिनिधियों ने बीसीसीएल का चक्का जाम कर दिया है. कोयला मजदूर संगठनों द्वारा पूर्व घोषित कोल इंडिया चक्का जाम का व्यापक असर बाघमारा अंतर्गत बीसीसीएल कोयला खदानों में भी दिख रहा हैं. कॉमर्शियल माइनिंग, एफडीआई सहित कई मुख्य मांगों को लेकर मजदूर यूनियनों ने केंद्र सरकार के खिलाफ चरणबद्व आंदोलन के तहत तीन दिवसीय चक्का जाम का आह्वान किया था.

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मजदूर के खिलाफ हो रहा काम
यूनियन प्रतिनिधियों का कहना है कि राष्ट्रीयकरण की सभी संस्थाओं का केंद्र सरकार निजीकरण करना चाहती है और निजीकरण होने से मजदूरों का शोषण होगा. सरकार की यह नीति मजदूर विरोधी है. मजदूर हित की बात करने वाली केंद्र सरकार आज मजदूर अहित कर रही है. सरकार की यह नीति मजदूरों का शोषण करने वाली नीति है. हम संयुक्त मोर्चा के लोग इसको किसी कीमत पर लागू नहीं होने देंगे. वहीं सुरक्षा के मद्देनजर बीसीसीएल प्रबंधन ने जगह-जगह सीआईएसएफ की तैनाती की है. हांलाकि इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का भी ख्याल रखा गया.

क्या थी केंद्र सरकार की नीति?
कोयला मंत्रालय के आदेशानुसार 50 कोल ब्लॉक की नीलामी होनी है, जिसके विरोध में कोयला मजदूरों का विरोध जारी है. पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी ने कोलयरियों के निजीकरण से राष्ट्रीयकरण किया था, जिससे मजदूरों की स्थिति में सुधार आया है. केंद्र सरकार कोल इंडिया के अलावा अन्य सरकारी संस्थानों को निजी हाथों में सौंप रही है. यह केंद्र की सरकार मजदूर विरोधी कार्य कर बड़े-बड़े कॉरपोरेट घरानों को फायदा पहुंचा रही है. वहीं मजदूरों ने केंद्र सरकार की कॉमर्शियल माइनिंग, एफडीआई जैसी सभी फैसलों को वापस लेने की मांग की. साथ ही मजदूरों ने चेतावनी दी कि अगर सरकार मजदूर विरोधी नीति को वापस नहीं लेता, तो यह आंदोलन चलता रहेगा.

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