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धनबादः प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति में अनियमितता की जांच की मांग, वर्ष 2015-16 का है मामला

साल 2015-16 में जिले में प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया में हुई गड़बड़ी की झारखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ ने जांच की मांग की है. इस मामले में 150 अभ्यर्थियों का टेट प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया था.

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Published : May 28, 2020, 2:03 PM IST

धनबादः साल 2015-16 में जिले में प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया में अनियमितता को लेकर झारखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ ने जांच कराने की मांग शिक्षा मंत्री से की है. झारखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के नीलकंठ मंडल ने जिले में हुए शिक्षक नियुक्ति मेधा घोटाला की जांच की मांग शिक्षा मंत्री से की है.

उन्होंने बताया कि साल 2015-,16 में जिले में प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति हुई थी, जिसमें काउंसलिंग और नियुक्ति प्रक्रिया में अनियमितता के साथ साथ मनमानी भी बरती गई थी.

यह भी पढ़ेंः रांची: पावर कट से लोग परेशान, मंत्री बन्ना गुप्ता ने ऊर्जा विभाग के अधिकारियों के साथ की बैठक

इस मामले में पूरे राज्य में सबसे अधिक 150 अभ्यर्थियों का टेट प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया था. फर्जी प्रमाण पत्र के अभ्यर्थियों पर विधि सम्मत कार्रवाई करने का निर्देश विभाग की ओर से दिया गया था, लेकिन अब तक अभ्यर्थियों के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है.

इस मामले की जांच देवेंद्र भूषण सिंह की अध्यक्षता में बनी उच्चस्तरीय समिति ने की थी, कई बिंदुओं पर तत्कालीन डीएसई को दोषी पाया गया था, इसके बावजूद भी विभाग ने आवश्यक कार्रवाई नहीं की है.

धनबादः साल 2015-16 में जिले में प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया में अनियमितता को लेकर झारखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ ने जांच कराने की मांग शिक्षा मंत्री से की है. झारखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के नीलकंठ मंडल ने जिले में हुए शिक्षक नियुक्ति मेधा घोटाला की जांच की मांग शिक्षा मंत्री से की है.

उन्होंने बताया कि साल 2015-,16 में जिले में प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति हुई थी, जिसमें काउंसलिंग और नियुक्ति प्रक्रिया में अनियमितता के साथ साथ मनमानी भी बरती गई थी.

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इस मामले में पूरे राज्य में सबसे अधिक 150 अभ्यर्थियों का टेट प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया था. फर्जी प्रमाण पत्र के अभ्यर्थियों पर विधि सम्मत कार्रवाई करने का निर्देश विभाग की ओर से दिया गया था, लेकिन अब तक अभ्यर्थियों के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है.

इस मामले की जांच देवेंद्र भूषण सिंह की अध्यक्षता में बनी उच्चस्तरीय समिति ने की थी, कई बिंदुओं पर तत्कालीन डीएसई को दोषी पाया गया था, इसके बावजूद भी विभाग ने आवश्यक कार्रवाई नहीं की है.

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