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CM के पीए बनकर एसडीएम से मांगी थी पांच लाख रंगदारी, धनबाद कोर्ट ने सात साल बाद आरोपियों को किया बरी

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 20, 2023, 10:57 PM IST

धनबाद कोर्ट ने एसडीएम से पांच लाख की रंगदारी मांगने के मामले में आरोपियों को बरी कर दिया है. सात साल के बाद अदालत ने अपना फैसला सुनाया है. मामले में अभियोजन पक्ष कोर्ट में आरोप को साबित नहीं कर सका.

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Dhanbad Court Acquitted Four Accused

धनबाद: एसडीएम से मोबाइल पर पांच लाख रंगदारी मांगने के मामले में धनबाद कोर्ट ने बुधवार को फैसला सुना दिया. अदलात ने एसडीएम से रंगदारी मांगने के मामले में चारों आरोपियों को बरी कर दिया है. एडीजे टू राज कुमार मिश्रा की अदालत ने यह फैसला सुनाया है. सात साल बाद मामले में अदालत का फैसला आया है.

ये भी पढ़ें-धनबाद में कंटेनर में लोड सैकड़ों गोवंशों को ग्रामीणों ने पकड़ा, तस्करी के आरोप में युवक की धुनाई, पुलिस की गिरफ्त में तीन तस्कर

वर्ष 2015 में तत्कालीन एसडीएम ने दर्ज करायी थी प्राथमिकीः दरअसल, वर्ष 2015 के नवंबर महीने में तत्कालीन एसडीएम महेश संथालिया से झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास के पीए अंजन सरकार के नाम पर फोन कर पांच लाख रुपए की रंगदारी मांगने का मामला सामने आया था. एसडीएम महेश संथालिया ने मामले में चार युवकों पर मोबाइल के जरिए रंगदारी मांगने के मामले सदर थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी थी. इस मामले में चारों आरोपियों को धनबाद कोर्ट ने बरी कर दिया है. 7 साल तक चले ट्रायल के बाद अदालत ने बुधवार को अपना फैसला सुनाया है.

मोबाइल पर कॉल कर पांच लाख की रंगदारी मांगने का था आरोपः इस संबंध में बचाव पक्ष के वकील विकास कुमार ने बताया कि साल 2015 के नवंबर महीने में धनबाद जिले के तत्कालीन एसडीएम महेश संथालिया ने सदर थाना में रंगदारी से संबंधित एक प्राथमिक दर्ज करायी थी. एसडीएम ने अपनी शिकायत में कहा था कि उनके मोबाइल पर कॉल कर पांच लाख की रंगदारी की मांग की गई है. इसके साथ ही धमकी देते हुए पांच रुपए का मोबाइल रिचार्ज भी आरोपियों के द्वारा कराया गया है. मामले की शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने प्राथमिक दर्ज कर छानबीन शुरू की थी. इस क्रम में पुलिस की स्पेशल टीम ने बैंक मोड़ थाना क्षेत्र के होटल स्कॉई लार्क के समीप एक आरोपी युवक को गिरफ्तार किया था. इसके साथ ही रंगदारी प्रकरण में तीन अन्य लड़कों को पुलिस ने हजारीबाग से गिरफ्तार किया था. आरोपियों में मोइन रजा, सुबोध कुमार यादव, संजय प्रताप और उपेंद्र यादव हैं.

अभियोजन पक्ष कोर्ट में मामले को नहीं कर सका साबितः पुलिस ने वर्ष 2016 में कोर्ट में चार्ज शीट दाखिल किया था. वर्ष 2016 से इस मामले का ट्रायल चल रहा था. बुधवार को इस मामले में चारों आरोपियों को अदालत में रिहा कर दिया है. बचाव पक्ष के वकील विकास कुमार ने बताया कि अभियोजन पक्ष अदालत में मामले को साबित नहीं कर सका. इस कारण धनबाद कोर्ट ने आरोपियों को रिहा कर दिया.

धनबाद: एसडीएम से मोबाइल पर पांच लाख रंगदारी मांगने के मामले में धनबाद कोर्ट ने बुधवार को फैसला सुना दिया. अदलात ने एसडीएम से रंगदारी मांगने के मामले में चारों आरोपियों को बरी कर दिया है. एडीजे टू राज कुमार मिश्रा की अदालत ने यह फैसला सुनाया है. सात साल बाद मामले में अदालत का फैसला आया है.

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वर्ष 2015 में तत्कालीन एसडीएम ने दर्ज करायी थी प्राथमिकीः दरअसल, वर्ष 2015 के नवंबर महीने में तत्कालीन एसडीएम महेश संथालिया से झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास के पीए अंजन सरकार के नाम पर फोन कर पांच लाख रुपए की रंगदारी मांगने का मामला सामने आया था. एसडीएम महेश संथालिया ने मामले में चार युवकों पर मोबाइल के जरिए रंगदारी मांगने के मामले सदर थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी थी. इस मामले में चारों आरोपियों को धनबाद कोर्ट ने बरी कर दिया है. 7 साल तक चले ट्रायल के बाद अदालत ने बुधवार को अपना फैसला सुनाया है.

मोबाइल पर कॉल कर पांच लाख की रंगदारी मांगने का था आरोपः इस संबंध में बचाव पक्ष के वकील विकास कुमार ने बताया कि साल 2015 के नवंबर महीने में धनबाद जिले के तत्कालीन एसडीएम महेश संथालिया ने सदर थाना में रंगदारी से संबंधित एक प्राथमिक दर्ज करायी थी. एसडीएम ने अपनी शिकायत में कहा था कि उनके मोबाइल पर कॉल कर पांच लाख की रंगदारी की मांग की गई है. इसके साथ ही धमकी देते हुए पांच रुपए का मोबाइल रिचार्ज भी आरोपियों के द्वारा कराया गया है. मामले की शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने प्राथमिक दर्ज कर छानबीन शुरू की थी. इस क्रम में पुलिस की स्पेशल टीम ने बैंक मोड़ थाना क्षेत्र के होटल स्कॉई लार्क के समीप एक आरोपी युवक को गिरफ्तार किया था. इसके साथ ही रंगदारी प्रकरण में तीन अन्य लड़कों को पुलिस ने हजारीबाग से गिरफ्तार किया था. आरोपियों में मोइन रजा, सुबोध कुमार यादव, संजय प्रताप और उपेंद्र यादव हैं.

अभियोजन पक्ष कोर्ट में मामले को नहीं कर सका साबितः पुलिस ने वर्ष 2016 में कोर्ट में चार्ज शीट दाखिल किया था. वर्ष 2016 से इस मामले का ट्रायल चल रहा था. बुधवार को इस मामले में चारों आरोपियों को अदालत में रिहा कर दिया है. बचाव पक्ष के वकील विकास कुमार ने बताया कि अभियोजन पक्ष अदालत में मामले को साबित नहीं कर सका. इस कारण धनबाद कोर्ट ने आरोपियों को रिहा कर दिया.

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