धनबाद: कोल इंडिया के चेयरमैन पीएम प्रसाद रविवार को धनबाद पहुंचे. वे खान सुरक्षा महानिदेशालय के स्थापना दिवस कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने ईटीवी भारत संवाददाता से खास बातचीत की.
चेयरमैन ने कहा कि कोल इंडिया का लक्ष्य इस साल 780 मिलियन टन कोयला उत्पादन करने का है. भविष्य में एक अरब टन उत्पादन का लक्ष्य है. उन्होंने बताया कि खुली खदानों से उत्पादन किया जा रहा है. वर्तमान में पांच प्रतिशत भूमिगत खदानें हैं. इसे बढ़ाकर दस फीसदी तक किया जा सकता है. फिलहाल भूमिगत खदानों से 30 से 40 मिलियन टन कोयले का उत्पादन हो रहा है. वर्ष 2030 तक भूमिगत खदानों से 100 मिलियन टन कोयला उत्पादन करने का लक्ष्य है.
सौर ऊर्जा को मिलेगा बढ़ावा: चेयरमैन पीएम प्रसाद ने बताया कि कोल इंडिया सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए काम कर रही है. अगले तीन वर्षों में तीन गीगा वाट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य है, जिसमें 130 मेगावाट का इंस्टालेशन किया जा चुका है. आने वाले दो वर्षों में इसे 2 गीगावाट तक ले जाने का लक्ष्य है. चार साल में तीन गीगावाट तक का लक्ष्य हासिल कर लिया जाएगा. हालांकि, आंतरिक तौर पर पांच गीगावाट का लक्ष्य रखा गया है. इसके अलावा कार्बन कैप्चरिंग के लिए पेड़ लगाए जाने हैं. इस बार 1850 हेक्टेयर जमीन में पेड़ लगने थे, जिसमें 2200 हेक्टेयर में पेड़ लगाए गए हैं. करीब चार लाख पौधे लगाए गए हैं.
विस्थापितों के लिए खोले जाएंगे राष्ट्रीय कौशल विकास केंद्र: कोल इंडिया चेयरमैन ने कहा कि विस्थापितों की सुध लिये बिना कोल इंडिया अकेले कुछ नहीं कर सकती. कोल इंडिया उन्हें साथ लेकर चल रही है. उन्होंने कहा कि कोल इंडिया ने हाल ही में राष्ट्रीय कौशल विकास केंद्र के साथ एक एमओयू पर हस्ताक्षर किया है. बीसीसीएल, आईसीएल, सीसीएल समेत कई इकाइयों में कौशल विकास केंद्र खोले जायेंगे. उन सभी इकाइयों को कोल इंडिया फंड उपलब्ध कराएगी. विस्थापितों को रोजगार के लिए प्रशिक्षण देंगे. इसके बाद उन्हें रोजगार दिलाने का प्रयास किया जाएगा.
डिजिटल शिक्षा के लिए कोल इंडिया का कदम: कोल इंडिया ने विकसित भारत के तहत बच्चों को डिजिटल शिक्षा प्रदान करने के लिए भी कदम उठाया है. केंद्र सरकार की ADCL कंपनी के साथ एक एमओयू साइन किया गया है, जिसके तहत बच्चों को डिजिटल शिक्षा दी जाएगी. उन्होंने कहा कि जिन क्षेत्रों में कोयला का काम चल रहा है, वहां पहले 10+2 के लिए डिजिटल शिक्षा उपलब्ध करायी जायेगी. उसके बाद 8वीं से 10वीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए डिजिटल शिक्षा शुरू की जाएगी. इसका उद्देश्य सभी सरकारी स्कूलों को डिजिटल शिक्षा से जोड़ना है. जहां ई-लर्निंग सेंटर की व्यवस्था होगी.
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