धनबादः वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण विभिन्न राज्यों से धनबाद लौटे प्रवासी श्रमिकों को रोजगार महैया कराने प्रयास शुरू हो गए हैं. विभिन्न विभागों द्वारा संचालित योजनाओं के माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराने को लेकर डीसी अमित कुमार ने जिला समाहरणालय में एक बैठक की. बैठक में डीसी अमित कुमार ने कहा कि धनबाद लौटे श्रमिकों को उनकी योग्यता एवं क्षमता के अनुसार रोजगार उपलब्ध कराने के लिए जिला प्रशासन कृत संकल्प है.
इसके लिए सभी विभाग समन्वय स्थापित करें. अब तक जितने भी श्रमिक धनबाद पहुंचे हैं, उनके कौशल को पहचान कर उनकी सूची तैयार करें और उनका आधार नंबर तथा बैंक पासबुक की कॉपी भी संलग्न करें.
जो श्रमिक अन्य राज्यों से आ रहे हैं उनको अपने कार्य क्षेत्र में प्राथमिकता देकर रोजगार उपलब्ध कराना है. डीसी ने कहा कि श्रमिकों को सकारात्मक तरीके से काम में जोड़ना है.
हर गांव में पांच-पांच योजना स्वीकृत होनी चाहिए. प्रति पंचायत में प्रत्येक दिन 200 श्रमिकों को काम देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. सभी पंचायतों को योजना स्वीकार करने का अधिकार दिया गया है.
डीसी ने कहा कि प्रवासी श्रमिकों को सरकार की बहुउद्देशीय योजना पानी रोको, पौधा रोपो से भी जोड़ा जा सकता है. पंचायत में ट्रेंच कम बॉन्डिंग जल संचयन मिट्टी का कटाव तथा बड़े पैमाने पर पौधारोपण के कार्यों में इन्हें जोड़ा जा सकता है.
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बरसात का मौसम आरंभ होते ही कुछ दिनों में पौधारोपण करने का स्वर्णिम समय आरंभ हो जाएगा. बैठक के दौरान अमित कुमार ने कहा कि महुआ, इमली, साल जैसे माइक्रो फॉरेस्ट का उत्पादन करने वाले को वन विभाग एवं झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी उत्पादन का उचित मूल्य दिलाने के लिए सहायता प्रदान करेंगे.
इन वस्तुओं के छोटे उत्पादकों को उनके उत्पाद की उचित कीमत नहीं मिलती है. उनसे कम कीमत पर सामान को प्राप्त कर उचित दर में बाजार में बेच देते हैं. डीसी ने कहा कि ऐसे लोगों के लिए सपोर्ट सिस्टम के रूप में उनके साथ खड़ा है, जिससे उन्हें उत्पाद की अधिकतम मूल्य प्राप्त हो सके. डीसी ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा मनरेगा अंतर्गत बिरसा हरित ग्राम योजना, नीलांबर-पीताम्बर जल समृद्धि योजना तथा वीर शहीद पोतो हो खेल विकास योजना का शुभारंभ किया गया है .
इन योजनाओं में भी प्रवासी श्रमिकों को प्राथमिकता के आधार पर जोड़ा जा सकता है. साथ ही उनको वन धन योजना, कौशल विकास, प्रधानमंत्री कुसुम योजना, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम, नाबार्ड, रुबर्न, कृषि,आधुनिक मशीन से पत्तल बनाने, मछली और पशु चारा इकाई दूध उत्पादन अवशिष्ट पृथक्करण, फूलों की खेती.मछली पालन उत्पादन सहित अन्य योजनाओं से जोड़ा जा सकता है.