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धनबाद: 'रघुकुल' का पसंदीदा नंबर है 4500, निजी और सरकारी सभी गाड़ियों पर है यही नंबर - धनबाद में 4500 नंबर की नंबर प्लेट

धनबाद के चर्चित घरानों में शामिल रघुकुल घरानें की सभी गाड़ियों में 4500 नंबर की नंबर प्लेट लगा है. दरअसल, 4500 इस घराने का पसंदीदा नंबर है. वहीं, उनकी सरकारी गाड़ियों में भी यही नंबर लगाया गया है.

raghukul gharana
गाड़ियों में 4500 नंबर की नंबर प्लेट
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Published : Aug 14, 2020, 8:03 AM IST

धनबादः जिले में तीन रसूखदार ऐसे घराना हैं, जिन्हें सिर्फ अपने पसंदीदा नंबर की गाड़ियों पर ही चढ़ने का शौक है. शौक ऐसा कि सरकारी गाड़ियों में भी वे अपने पसंदीदा नंबर का इस्तेमाल करते हैं. ऐसे ही एक घराना है कोयलांचल का रघुकुल. 4500 इस घराने का पसंदीदा नंबर है.

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4500 नंबर की सरकारी गाड़ी
रघुकुल की करीब सभी गाड़ियों का 4500 ही नंबर है. यहीं नहीं नगर निगम के डिप्टी मेयर बनने के बाद रघुकुल के युवराज एकलव्य सिंह की जो सरकारी गाड़ी है उसका नंबर भी 4500 ही है. निगम का कार्यकाल खत्म होने के बाद भले ही वह अब निर्वतमान डिप्टी मेयर हैं, लेकिन उनकी 4500 नंबर की सरकारी गाड़ी अब भी नगर निगम कार्यालय की शोभा बढ़ा रही है. दरअसल, एकलव्य सिंह के डिप्टी मेयर बनने के बाद उन्हें सरकारी गाड़ी उपलब्ध कराई गई, लेकिन इस गाड़ी पर भी उन्होंने अपना पसंदीदा नंबर ही लगवाया. 11 हजार रुपये चुकता कर विभाग से अपना पसंदीदा नंबर ले लिए. गाड़ी नगर निगम की है, लेकिन उस पर भी नंबर एकलव्य ने अपनी पसंद का लगवाया.

धनबादः जिले में तीन रसूखदार ऐसे घराना हैं, जिन्हें सिर्फ अपने पसंदीदा नंबर की गाड़ियों पर ही चढ़ने का शौक है. शौक ऐसा कि सरकारी गाड़ियों में भी वे अपने पसंदीदा नंबर का इस्तेमाल करते हैं. ऐसे ही एक घराना है कोयलांचल का रघुकुल. 4500 इस घराने का पसंदीदा नंबर है.

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4500 नंबर की सरकारी गाड़ी
रघुकुल की करीब सभी गाड़ियों का 4500 ही नंबर है. यहीं नहीं नगर निगम के डिप्टी मेयर बनने के बाद रघुकुल के युवराज एकलव्य सिंह की जो सरकारी गाड़ी है उसका नंबर भी 4500 ही है. निगम का कार्यकाल खत्म होने के बाद भले ही वह अब निर्वतमान डिप्टी मेयर हैं, लेकिन उनकी 4500 नंबर की सरकारी गाड़ी अब भी नगर निगम कार्यालय की शोभा बढ़ा रही है. दरअसल, एकलव्य सिंह के डिप्टी मेयर बनने के बाद उन्हें सरकारी गाड़ी उपलब्ध कराई गई, लेकिन इस गाड़ी पर भी उन्होंने अपना पसंदीदा नंबर ही लगवाया. 11 हजार रुपये चुकता कर विभाग से अपना पसंदीदा नंबर ले लिए. गाड़ी नगर निगम की है, लेकिन उस पर भी नंबर एकलव्य ने अपनी पसंद का लगवाया.

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