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धनबाद के चासनाला कोलियरी में हादसा, चाल धंसने से 1 मजदूर की मौत - धनबाद कोल माइंस में हादसा

धनबाद के चासनाला कोलियरी में चाल धंसने से एक मजदूर की मौत हो गई. जिसके बाद कोलियरी में हड़कंप मच गया. घटना के बाद ग्राणीण और परिजनों ने मौके पर पहुंचकर हंगामा किया और मुआवजे की मांग की.

1 worker died in Chasnala mines in dhanbad
मजदूर की मौत
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Published : May 23, 2020, 10:03 AM IST

धनबाद: जिले में सेल की चासनाला कोलियरी के 12 नंबर सिम में चाल धंसने से एक ठेका मजदूर की मौत हो गई, जबकि कार्य में लगे अन्य बाल-बाल बच गए. सेल के जीएम अनिल कुमार राय ने मजदूर की मौत जानकारी दी है. मलबा हटाकर शव को बाहर निकाला जा चुका है. हादसे की खबर मिलते ही मजदूर संगठन, मजदूरों के परिजन और स्थानीय मौके पर इकट्ठा हो गए. मौके पर पुलिस बल भी तैनाती भी कर दी गई है.

देखें पूरी खबर



द्वितीय पाली में कोल माइंस ठेका कंपनी के 116 मजदूर डीप माइंस के अंदर गए थे. बताया गया कि कोयला झाड़ने के दौरान कोयले का एक बड़ा हिस्सा अचानक भरभराकर नीचे गिर गया, जिसमें महताब आलम नाम का मजदूर मलबे की चपेट में आ गया. घटना के बाद खदान के अंदर अफरा-तफरी का माहौल बन गया. खदान के अंदर ही कार्य में लगे अन्य मजदूर जान बचाने के लिए भाग खड़े हुए. शिफ्ट मैनेजर राजीव पांडेय ने इस मामले की जानकारी वरीय अधिकारियों दी, जिसके बाद उप महाप्रबंधक खान संजय कुमार समेत कई अधिकारी मौके पर पहुंचे. चार मजदूरों को लेकर अधिकारी खदान के अंदर गए और फंसे हुए मजदूरों को बाहर निकाला.


इसे भी पढ़ें:- धनबाद: दसवीं की छात्रा ने फांसी लगाकर की खुदकुशी, जांच में जुटी पुलिस


मजदूरों ने बताया कि घटना के दौरान चार मजदूर ही थे. रूपलाल नोनिया, श्यामसुंदर मुंडा, सुजीत गोराई और गणेश नोनिया ये चारों घटना के दौरान मौजूद थे. चारों काफी डरे सहमे से थे. घटना के बाद संयुक्त मोर्चा के संघर्ष समिति के लोगों ने मृतक के आश्रितों को नियोजन और दस लाख रुपए देने की मांग की है.


दिसंबर 1975 में 375 श्रमिकों के इस डीपो माइंस में मौत हो गई थी. इस घटना के बाद 1975 की चासनाला हादसे की याद ताजा हो गई, हालांकि सिर्फ एक मजदूर की मौत के बाद लोगों ने राहत की सांस ली है.

धनबाद: जिले में सेल की चासनाला कोलियरी के 12 नंबर सिम में चाल धंसने से एक ठेका मजदूर की मौत हो गई, जबकि कार्य में लगे अन्य बाल-बाल बच गए. सेल के जीएम अनिल कुमार राय ने मजदूर की मौत जानकारी दी है. मलबा हटाकर शव को बाहर निकाला जा चुका है. हादसे की खबर मिलते ही मजदूर संगठन, मजदूरों के परिजन और स्थानीय मौके पर इकट्ठा हो गए. मौके पर पुलिस बल भी तैनाती भी कर दी गई है.

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द्वितीय पाली में कोल माइंस ठेका कंपनी के 116 मजदूर डीप माइंस के अंदर गए थे. बताया गया कि कोयला झाड़ने के दौरान कोयले का एक बड़ा हिस्सा अचानक भरभराकर नीचे गिर गया, जिसमें महताब आलम नाम का मजदूर मलबे की चपेट में आ गया. घटना के बाद खदान के अंदर अफरा-तफरी का माहौल बन गया. खदान के अंदर ही कार्य में लगे अन्य मजदूर जान बचाने के लिए भाग खड़े हुए. शिफ्ट मैनेजर राजीव पांडेय ने इस मामले की जानकारी वरीय अधिकारियों दी, जिसके बाद उप महाप्रबंधक खान संजय कुमार समेत कई अधिकारी मौके पर पहुंचे. चार मजदूरों को लेकर अधिकारी खदान के अंदर गए और फंसे हुए मजदूरों को बाहर निकाला.


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मजदूरों ने बताया कि घटना के दौरान चार मजदूर ही थे. रूपलाल नोनिया, श्यामसुंदर मुंडा, सुजीत गोराई और गणेश नोनिया ये चारों घटना के दौरान मौजूद थे. चारों काफी डरे सहमे से थे. घटना के बाद संयुक्त मोर्चा के संघर्ष समिति के लोगों ने मृतक के आश्रितों को नियोजन और दस लाख रुपए देने की मांग की है.


दिसंबर 1975 में 375 श्रमिकों के इस डीपो माइंस में मौत हो गई थी. इस घटना के बाद 1975 की चासनाला हादसे की याद ताजा हो गई, हालांकि सिर्फ एक मजदूर की मौत के बाद लोगों ने राहत की सांस ली है.

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