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बाबानगरी में जुटे मिथिलांचल के लोग, बसंत पंचमी पर चढ़ाएंगे भगवान शिव को तिलक, देंगे विवाह का निमंत्रण

देवघर में लाखों की संख्या में मिथिलांचल और नेपाल से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. यह कोई आम श्रद्धालु नहीं, बल्कि बाबा भोले के ससुराल पक्ष के लोग माने जाते हैं. जिन्हें तिलकहरूवे कहा जाता है. सभी बसंत पंचमी के दिन ही बाबा भोले को तिलक चढ़ाएंगे और फिर शिवरात्रि के दिन विवाह का निमंत्रण देगें.

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देवघर पहुंचे मिथिलांचल और नेपाल से तिलकहरूवे
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Published : Feb 15, 2021, 2:16 PM IST

Updated : Feb 15, 2021, 5:35 PM IST

देवघरः मिथिलांचल और नेपाल से लाखों की संख्या में श्रद्धालु सुल्तानगंज स्थित गंगा से जल लेकर 105 किलोमीटर की यात्रा कर बाबाधाम पहुंच रहे हैं. सभी भक्त बाबा भोले के ससुराल पक्ष के लोग हैं, जिन्हें तिलकहरूवे कहा जाता है. सभी तिलकहरूवे शहर के विभिन्न खाली जगह पर अपना डेरा जमाते हैं और बसंत पंचमी के तीन दिन पहले से ही पहुंचकर भजन कीर्तन करते हैं. बसंत पंचमी के दिन बाबा भोले की पूजा अर्चना कर तिलक चढ़ाकर शिवरात्रि के दिन विवाह का निमंत्रण देते हैं.

देखें पूरी खबर

इसे भी पढ़ें- दुमकाः महाशिवरात्रि और बसंत पंचमी की तैयारी, नहीं होगा भव्य आयोजन

खाली मैदान में बनाते हैं अपना आशियाना

हिमाचल और नेपाल के श्रद्धालु कांवरिया पथ से भारी संख्या में देवघर में प्रवेश करते देखे जा रहे हैं. यह कोई आम श्रद्धालु नहीं, बल्कि बाबा भोले के ससुराल पक्ष के लोग माने जाते हैं. बसंत पंचमी से तीन दिन पहले से ही इनका पहुंचना शुरू हो जाता है. सभी सुल्तानगंज से भारी भरकम दो जलपात्र में गंगा जल का कांवर लेकर पहुंचते हैं और शहर के कई इलाकों में खाली मैदान में अपना आशियाना बनाते हैं, जहां भजन कीर्तन के साथ बसंत पंचमी का इंतजार होता है. खास बात यह है कि सभी अपने अपनी गाड़ियों से आते हैं और खाने पीने सहित सभी सामान खुद ही लेकर आते हैं.

शिवरात्रि के दिन विवाह का निमंत्रण

बाबा भोले को तिलक चढ़ाने पहुंचे तिलकहरूवे बताते हैं कि वो सभी मिथलांचलवासी हैं और बाबा भोले का विवाह हिमाचल की पुत्री गौरी के साथ हुआ था. बसंत पंचमी के दिन ही बाबा भोले को तिलक चढ़ाया गया था और शिवरात्रि के दिन विवाह का निमंत्रण दिया गया था. जिस परंपरा को आज भी मिथिलांचल के लोग निभाते आ रहे हैं. सभी बसंत पंचमी के दिन बाबा भोले को गंगा जल, फूल, बेलपत्र, अक्षत, पान, सुपाड़ी, घी से पूजा अर्चना कर तिलक चढ़ाएंगे.

इसे भी पढ़ें- शिवरात्रि-बसंत पंचमी को लेकर जिला प्रशासन की तैयारी, डीसी समेत अधिकारियों ने लिया मंदिर का जायजा



अबीर गुलाल लगाकर मनाते हैं होली

बाबा मंदिर पुरोहित बताते हैं कि बसंत पंचमी के दिन लाखों की संख्या में तिलकहरूवे बाबा मंदिर पहुंचते हैं और विधिवत बाबा भोले की पूजा अर्चना कर तिलक चढ़ाते हैं, जो काफी पुरानी परंपरा है. सभी तिलकहरूवे मिथिलांचल और नेपाल से आते हैं और बसंत पंचमी के दिन बाबा भोले पर अबीर गुलाल और घी चढ़ाकर तिलक करते हैं और शिवरात्रि में बाबा भोले को शादी का निमंत्रण देते हैं. बसंत पंचमी के दिन इस परंपरा का निर्वहन करने वालों को तिलकहरूवे कहा जाता है, जिसके बाद सभी आपस में अबीर गुलाल लगाकर होली मनाते हैं फिर वापस चले जाते हैं.



जिला प्रशासन ने की सुरक्षा की व्यवस्था

लाखों की संख्या में तिलकहरूवे देवघर पहुंच शहर के कावरिया पथ से लेकर कई खाली मैदानों में अपना आशियाना बना चुके हैं. ऐसे में इनकी सुरक्षा सहित बिजली की व्यवस्था, शौचालय और पानी की व्यवस्था जिला प्रशासन की ओर से की जा रही है. ताकि बाबा भोले को तिलक चढ़ाने पहुंचे तिलकहरूवे को किसी भी तरह की परेशानी नहीं उठानी पड़े. इसके लिए देवघर उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री खुद मॉनिटरिंग भी कर रहे हैं.

देवघरः मिथिलांचल और नेपाल से लाखों की संख्या में श्रद्धालु सुल्तानगंज स्थित गंगा से जल लेकर 105 किलोमीटर की यात्रा कर बाबाधाम पहुंच रहे हैं. सभी भक्त बाबा भोले के ससुराल पक्ष के लोग हैं, जिन्हें तिलकहरूवे कहा जाता है. सभी तिलकहरूवे शहर के विभिन्न खाली जगह पर अपना डेरा जमाते हैं और बसंत पंचमी के तीन दिन पहले से ही पहुंचकर भजन कीर्तन करते हैं. बसंत पंचमी के दिन बाबा भोले की पूजा अर्चना कर तिलक चढ़ाकर शिवरात्रि के दिन विवाह का निमंत्रण देते हैं.

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खाली मैदान में बनाते हैं अपना आशियाना

हिमाचल और नेपाल के श्रद्धालु कांवरिया पथ से भारी संख्या में देवघर में प्रवेश करते देखे जा रहे हैं. यह कोई आम श्रद्धालु नहीं, बल्कि बाबा भोले के ससुराल पक्ष के लोग माने जाते हैं. बसंत पंचमी से तीन दिन पहले से ही इनका पहुंचना शुरू हो जाता है. सभी सुल्तानगंज से भारी भरकम दो जलपात्र में गंगा जल का कांवर लेकर पहुंचते हैं और शहर के कई इलाकों में खाली मैदान में अपना आशियाना बनाते हैं, जहां भजन कीर्तन के साथ बसंत पंचमी का इंतजार होता है. खास बात यह है कि सभी अपने अपनी गाड़ियों से आते हैं और खाने पीने सहित सभी सामान खुद ही लेकर आते हैं.

शिवरात्रि के दिन विवाह का निमंत्रण

बाबा भोले को तिलक चढ़ाने पहुंचे तिलकहरूवे बताते हैं कि वो सभी मिथलांचलवासी हैं और बाबा भोले का विवाह हिमाचल की पुत्री गौरी के साथ हुआ था. बसंत पंचमी के दिन ही बाबा भोले को तिलक चढ़ाया गया था और शिवरात्रि के दिन विवाह का निमंत्रण दिया गया था. जिस परंपरा को आज भी मिथिलांचल के लोग निभाते आ रहे हैं. सभी बसंत पंचमी के दिन बाबा भोले को गंगा जल, फूल, बेलपत्र, अक्षत, पान, सुपाड़ी, घी से पूजा अर्चना कर तिलक चढ़ाएंगे.

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अबीर गुलाल लगाकर मनाते हैं होली

बाबा मंदिर पुरोहित बताते हैं कि बसंत पंचमी के दिन लाखों की संख्या में तिलकहरूवे बाबा मंदिर पहुंचते हैं और विधिवत बाबा भोले की पूजा अर्चना कर तिलक चढ़ाते हैं, जो काफी पुरानी परंपरा है. सभी तिलकहरूवे मिथिलांचल और नेपाल से आते हैं और बसंत पंचमी के दिन बाबा भोले पर अबीर गुलाल और घी चढ़ाकर तिलक करते हैं और शिवरात्रि में बाबा भोले को शादी का निमंत्रण देते हैं. बसंत पंचमी के दिन इस परंपरा का निर्वहन करने वालों को तिलकहरूवे कहा जाता है, जिसके बाद सभी आपस में अबीर गुलाल लगाकर होली मनाते हैं फिर वापस चले जाते हैं.



जिला प्रशासन ने की सुरक्षा की व्यवस्था

लाखों की संख्या में तिलकहरूवे देवघर पहुंच शहर के कावरिया पथ से लेकर कई खाली मैदानों में अपना आशियाना बना चुके हैं. ऐसे में इनकी सुरक्षा सहित बिजली की व्यवस्था, शौचालय और पानी की व्यवस्था जिला प्रशासन की ओर से की जा रही है. ताकि बाबा भोले को तिलक चढ़ाने पहुंचे तिलकहरूवे को किसी भी तरह की परेशानी नहीं उठानी पड़े. इसके लिए देवघर उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री खुद मॉनिटरिंग भी कर रहे हैं.

Last Updated : Feb 15, 2021, 5:35 PM IST
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