देवघरः बसंत पंचमी के मौके पर बाबा बैद्यनाथ को मंदिर प्रबंधन की ओर से तिलक चढ़ाया गया. तिलक चढ़ने के बाद मिथिलांचल क्षेत्र से पहुंचे लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने होली खेली. एक-दूसरे को रंग गुलाल लगाकर तिलक पूजा की बढ़ाई दी और फागुन गीत गाकर झूमते दिखें.
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तिलक पूजा में बाबा बैद्यनाथ को आम का मंजर और मालपुआ का भोग आदि अर्पित किया गया. इसके बाद गुलाल चढ़ाकर बाबा की आरती की गई. इसके बाद मंदिर के पुजारी गर्भगृह में प्रदेश कर बाबा बैद्यनाथ का श्रृंगार पूजा शुरू की. मिथिलावासी बाबा वैद्यनाथ को विधि-विधान से पूजा अर्चना करने के बाद गाजे-बाजे के साथ बाबा संग अबीर-गुलाल खेलते हुए तिलक चढ़ाया.
मिथिलांचल हिमालय की तराई में बसा है. मिथिलांचल के लोगों का मानना है कि माता पार्वती हिमालय के राजा हिमराज की बेटी है. इसलिए माता पार्वती मिथिलांचल की बेटी है. इससे बाबा भोलेनाथ को दामाद मानते हैं. बसंत पंचमी के दिन मंदिर उन्हीं के हवाले रहता है. उन्हें भोलेनाथ के साथ गुलाल की होली खेलने के साथ साथ पूजा करने और अन्न-धन चढ़ाने की आजादी रहती है.
मिथिलांचल के श्रद्धालुओं को तिलकहरू करते हैं, जो बसंत पंचमी से कई दिन पहले देवघर में डेरा डाल देते हैं. बसंत पंचमी के दौरान देवघर मिथिलामय दिखने लगता है. दरभंगा से पहुंचे अनंत झा कहते हैं कि तिलक चढ़ाने को लेकर मिथिलांचल में एक महीना पहले से ही तैयारी चलने लगती है.
बता दें कि बाबा बैद्यनाथ के तिलकोत्सव से पहले मंदिर परिसर तिलकहरूओं से भरा पटा था. बाबा को तिलक चढ़ते ही श्रद्धालुओं के बीच होली की खुमारी बढ़ने लगी और झाल मंजिरे के साथ फगुआ गीत गाकर होली का लुत्फ उठाया. बाबा के तिलकोत्सव कार्यक्रम में बिहार के सहरसा, पूर्णिया, दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी और नेपाल से लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे.