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सात समंदर पार से पहुंचे विदेशी मेहमान, साइबेरियन पक्षियों की सुरक्षा और संरक्षण की उठी मांग

प्राकृतिक छटा से घिरा शहर देवघर की खूबसूरती पर चार चांद लगा है. हर साल की तरह इस साल भी हजारों की संख्या में साइबेरियन पक्षी देवघर पहुंचे हैं. नोखील गांव में 4 महीने तक डेरा जमाएंगे. लोगों ने इस तालाब का जीर्णोद्धार और विदेशी मेहमानों के संरक्षण की मांग रहे हैं.

siberian birds reached in deoghar
साइबेरियन पक्षी पहुंचे देवघर
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Published : Dec 19, 2020, 6:03 AM IST

देवघरः हर साल की तरह इस साल भी हजारों की संख्या में साइबेरियन पक्षी साइबेरिया से उड़ते हुए देवघर के नोखील गांव पहुंचे हैं. यहां 4 महीने तक डेरा जमाए रखते हैं. गांव के तालाब में साइबेरियन पक्षियों का झुंड अब देखते बनता है. इस तालाब में साइबेरियन पक्षियों की अठखेली और चहचहाना काफी मनमोहक है. हजारों की संख्या में एक साथ साइबेरियन पक्षियों का झुंड लोगों को काफी मनमोहित कर रहा है. लोग भी दूर-दराज के इलाके से इन पक्षियों को देखने यहां आते हैं. अब इस तालाब का जीर्णोद्धार और विदेशी मेहमानों की संरक्षण के लगातार अब मांग भी उठ रहा है.

SPECIAL REPORT: देवघर में साइबेरियन पक्षियों की आमद

पक्षियों के शिकार का खतरा

स्थानीय विदेशी मेहमान के शिकार की आशंका जताते हैं. साथ ही साइबेरियन पक्षियों के संरक्षण की लगातार मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि कई लोग इन पक्षियों का शिकार कर रहे हैं और खा जाते हैं. लोगों की मांग है कि सरकार इनके संरक्षण के लिए पहल करें. नोखील तालाब का सौंदर्यीकरण करें और इसकी सुरक्षा की व्यवस्था जाए ताकि विदेशी मेहमान सुरक्षित रहे. साथ ही लोग भी इस सौंदर्य का आनंद ले सकें.

इसे भी पढ़ें- देवनगरी में साइबर अपराधियों के शिकंजे में फंस रहे युवा, पुलिस की पूछताछ में हुआ खुलासा


वन विभाग की टीम कर रही निगरानी

देवघर पहुंचे विदेशी पक्षियों के संरक्षण को लेकर डीएफओ ने कहा कि इन पक्षियों का पिछले वर्ष बीएमचएएस जो कि अंतरराष्ट्रीय संस्था के स्टेट कॉर्डिनेटर डॉक्टर सत्यप्रकाश और वन विभाग की टीम की ओर से सर्वे कराया गया था. जिसके बाद सिकटिया में 8 हजार पक्षी जो कई किस्म के पाए गए थे. इस बार उनको फिर से बुलाया गया है. नोखील सहित अन्य तालाबों का सर्वेक्षण किया जाएगा. साथ ही वन विभाग की टीम लगातार इनपर नजर बनाए रखती है ताकि इन पक्षियों का शिकार नहीं हो पाए.

विधायक भी कर रहे हैं कोशिश

जिला के नोखील तालाब में साइबेरियन पक्षियों का प्रतिवर्ष डेरा जमाते हैं. इसको लेकर स्थानीय लोग इस तालाब का जीर्णोद्धार की मांग पर स्थानीय विधायक नारायण दास की मानें तो इसकी स्वीकृति हो चुकी थी, मगर कुछ कारणों से योजना अधर में है. पर वो लगातार इनके संरक्षण और तालाब का जीर्णोद्धार के लिए प्रयासरत हैं. जिससे पर्यटक के क्षेत्र में नोखील भी शामिल हो सके, जिससे ये इलाका पर्यटक के रूप में जाना जाए और सरकार को राजस्व की भी प्राप्ति हो.

देवघरः हर साल की तरह इस साल भी हजारों की संख्या में साइबेरियन पक्षी साइबेरिया से उड़ते हुए देवघर के नोखील गांव पहुंचे हैं. यहां 4 महीने तक डेरा जमाए रखते हैं. गांव के तालाब में साइबेरियन पक्षियों का झुंड अब देखते बनता है. इस तालाब में साइबेरियन पक्षियों की अठखेली और चहचहाना काफी मनमोहक है. हजारों की संख्या में एक साथ साइबेरियन पक्षियों का झुंड लोगों को काफी मनमोहित कर रहा है. लोग भी दूर-दराज के इलाके से इन पक्षियों को देखने यहां आते हैं. अब इस तालाब का जीर्णोद्धार और विदेशी मेहमानों की संरक्षण के लगातार अब मांग भी उठ रहा है.

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पक्षियों के शिकार का खतरा

स्थानीय विदेशी मेहमान के शिकार की आशंका जताते हैं. साथ ही साइबेरियन पक्षियों के संरक्षण की लगातार मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि कई लोग इन पक्षियों का शिकार कर रहे हैं और खा जाते हैं. लोगों की मांग है कि सरकार इनके संरक्षण के लिए पहल करें. नोखील तालाब का सौंदर्यीकरण करें और इसकी सुरक्षा की व्यवस्था जाए ताकि विदेशी मेहमान सुरक्षित रहे. साथ ही लोग भी इस सौंदर्य का आनंद ले सकें.

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वन विभाग की टीम कर रही निगरानी

देवघर पहुंचे विदेशी पक्षियों के संरक्षण को लेकर डीएफओ ने कहा कि इन पक्षियों का पिछले वर्ष बीएमचएएस जो कि अंतरराष्ट्रीय संस्था के स्टेट कॉर्डिनेटर डॉक्टर सत्यप्रकाश और वन विभाग की टीम की ओर से सर्वे कराया गया था. जिसके बाद सिकटिया में 8 हजार पक्षी जो कई किस्म के पाए गए थे. इस बार उनको फिर से बुलाया गया है. नोखील सहित अन्य तालाबों का सर्वेक्षण किया जाएगा. साथ ही वन विभाग की टीम लगातार इनपर नजर बनाए रखती है ताकि इन पक्षियों का शिकार नहीं हो पाए.

विधायक भी कर रहे हैं कोशिश

जिला के नोखील तालाब में साइबेरियन पक्षियों का प्रतिवर्ष डेरा जमाते हैं. इसको लेकर स्थानीय लोग इस तालाब का जीर्णोद्धार की मांग पर स्थानीय विधायक नारायण दास की मानें तो इसकी स्वीकृति हो चुकी थी, मगर कुछ कारणों से योजना अधर में है. पर वो लगातार इनके संरक्षण और तालाब का जीर्णोद्धार के लिए प्रयासरत हैं. जिससे पर्यटक के क्षेत्र में नोखील भी शामिल हो सके, जिससे ये इलाका पर्यटक के रूप में जाना जाए और सरकार को राजस्व की भी प्राप्ति हो.

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