देवघर: प्रधानमंत्री के लोकल फॉर वोकल के आह्वान के बाद शहरी सहित ग्रामीण क्षेत्र के हस्तकरघा या हस्तशिल्प से जुड़े कारीगरों के मन में खुद से निर्मित वस्तुओं को एक नई पहचान मिलने की उम्मीद जगी है. ऐसे में स्थानीय कारीगर अपने हुनर के जरिये अपने लिए रोजगार तलाशने को लेकर काफी उत्साहित भी हैं, लेकिन देवघर में सरकार और स्थानीय प्रशाशन की उदासीनता के कारण ऐसे कारीगरों के उम्मीद पर पानी फिर रहा है.
रोजगार की तलाश में युवाओं ने किया पलायन
दरअसल, देवघर के देवीपुर प्रखंड के बिरनियां गांव में लगभग 10 वर्ष पहले झारक्राफ्ट की ओर से एक बुनकर शेड का निर्माण कराया गया था. उद्द्येश्य स्थानीय कारीगरों को स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराना. लेकिन कुछ दिनों तक यह बुनकर शेड चला भी और खासकर स्थानीय महिला कारीगरों ने इससे जुड़कर अपने लिए रोजगार के अवसर भी विकसित कर लिए, लेकिन कुछ ही दिनों में यह बुनकर शेड सरकारी और विभागीय उदासीनता का शिकार हो गया और देखते ही देखते यह खंडहर में तब्दील हो गया. इस बुनकर शेड के बंद हो जाने से कई स्थानीय कारीगर बेरोजगार हो गए. कई तो वैकल्पिक रोजगार की तलाश में दूसरी जगहों पर पलायन कर गए.
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450 लोगों को मिलता था रोजगार
बहरहाल, देवघर जिले में इस तरह का 7 जगहों पर बुनकर शेड का निर्माण कराया गया था. मधुपुर में 3 देवीपुर सराठ और मोहनपुर में एक एक बुनकर शेड है. इनके माध्यम से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 450 लोगों को रोजी रोटी मिलती थी. ये लोग रोजाना 200 सौ से 250 सौ तक कमा लेते थे. लेकिन बिरनियां में स्थित बुनकर शेड की तरह ही सभी शेड धीरे धीरे खंडहर में तब्दील होने लगा है. स्थानीय लोगों की ओर से फिर से खोलने की मांग की जा रही है.
उपायुक्त ने दिया आश्वासन
ईटीवी भारत ने जिले के उपायुक्त के सामने जब ये मामला लाये जाने पर उद्योग विभाग से समन्वय स्थापित कर इसे फिर से चालू करने की बात की जा रही है. उन्होंने स्थानीय लोगों को आश्वासन दिया है कि वे इस मामले में पहल कर रहे हैं. ताकि लोगों को रोजगार मिल सके और वे फिर से स्वावलंबी बन सके.