देवघरः बाबा भोले की नगरी देवघर के बाबा मंदिर और माता पार्वती मंदिर के शीर्ष पर पंचशूल स्थापित है, जो यह दर्शाता है कि यह मंदिर अन्य मंदिरों से भिन्न है. इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि बाबा मंदिर ही नहीं, बल्कि प्रांगण स्थित 22 मंदिरों के पंचशूल दर्शन मात्र से ही लोगों को मनवांछित फल की प्राप्ति हो जाती है.
पांच तत्वों से सृष्टि की रचना
आपने शिव मंदिरों में त्रिशूल लगे जरूर देखे होंगे, लेकिन जिले के बाबा मंदिर और माता पार्वती मंदिर के शीर्ष पर स्थापित पंचशूल सभी शिव मंदिरों से अलग है. इस मंदिर की खासियत के बारे में बाबा मंदिर के तीर्थ पुरोहित झलकू श्रृंगारी ने बताया कि पांच तत्वों से सृष्टि की रचना हुई है और पंचशूल इसी का प्रतीक है. भगवान शिव सब के गुरु हैं, इसलिए यहां शिव के ललाट पर पंचशूल विराजमान है.
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दर्शन मात्र से ही लोगों का कल्याण
इसके साथ ही तीर्थ पुरोहित झलकू श्रृंगारी ने बताया कि इसके दर्शन मात्र से ही लोगों का कल्याण हो जाता है. बाबा मंदिर ही नहीं बल्कि मंदिर प्रांगण स्थित सभी 22 मंदिरों के शीर्ष पर पंचशूल है, जो पूरे भारत मे ऐसा कहीं नहीं है. सिर्फ बाबाधाम में स्थित ये पंचशूल शक्ति का प्रतीक है. पूरे भारत वर्ष में यहीं एक मंदिर है, जहां पंचशूल है. बाबा के मंदिर पर भक्त इस पंचशूल के दर्शन मात्र से ही धन्य हो जाते है. इस पंचशूल के दर्शन से भक्तों को लगता था कि बाबा भोले का दर्शन कर चुके है.
पंचशूल दर्शन कर बाबा का आशीर्वाद
तीर्थ पुरोहित झलकू श्रृंगारी ने बताया कि जो भी भक्त बाबा मंदिर में भीड़ के कारण बाबा भोले का दर्शन नहीं कर पाते थे, वह सिर्फ पंचशूल दर्शन कर बाबा का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. कोरोना संक्रमण के कारण इस समय श्रवणी मेला नहीं लगाया गया है. बाबा मंदिर में लोगों के प्रवेश पर पूर्ण रूप से रोक लगा दी गई है. ऐसे में श्रद्धालुओं से जिला प्रशाशन द्वारा घर में ही रहकर मन का देवघर मनाने की अपील की गई है.