देवघर: 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है रावणेश्वर बाबा बैद्यनाथ, जिसे मनोकामना लिंग कहा जाता है. इसकी स्थापना रावण ने की थी. इसे हृदय पीठ भी कहते हैं. जानकारों की मानें तो पहले माता सती का 52 खंडों में एक हृदय यहां गिरा था. इसके बाद रावण की ओर से लाया गया मनोकामना लिंग स्थापित किया गया.
ये भी पढ़ें-शिवरात्रि पर बाबा मंदिर में चढ़ाए जाते हैं मोर मुकुट, वर्षों से चली आ रही है परंपरा
बाबा भोले और माता पार्वती की कराई जाती है शादी
शिवरात्रि में यहां बाबा बैद्यनाथ का चार पहर में षोडशोपचार विधि से पूजा की जाती है. भारत वर्ष में यही एक मंदिर है, जहां बाबा भोले और माता पार्वती एक साथ विराजमान है, जिसे शक्ति पीठ भी कहते है. यहां बाबा भोले और माता पार्वती की शादी कराई जाती है. इस कारण अन्य मंदिरों से यह भिन्न है. शिवरात्रि के दिन लाखों की संख्या में भक्त बाबा भोले के दरबार में हाजिरी लगाने पहुंचते हैं.
शिवरात्रि के दिन पूजा का विशेष महत्व
जानकार बताते हैं कि शिवरात्रि के दिन भक्त गंगा जल, बेलपत्र, घी, मध, चीनी, अरवा चावल, सिंदूर और दूध चढ़ाते हैं. यानी षोडशोपचार विधि से बाबा बैद्यनाथ की पूजा अर्चना करने पर लोग धन धान्य से परिपूर्ण होते हैं. यहां पूजा करने से दोगुने फल की प्राप्ति होती है, इसलिए शिवरात्रि का दिन विशेष महत्व रखता है, क्योंकि सर्वना नक्षत्र के गुरुवार का दिन है और इस दिन बाबा भोले की पूजा अर्चना से धन और ज्ञान का फल मिलता है.
12 ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा बैद्यनाथ शक्तिपीठ भी है, जहां बाबा बैद्यनाथ के साथ-साथ माता सती की पूजा एक साथ की जाती है, जिससे दोगुनी फल की प्राप्ति होती है. खासकर शिवरात्रि का विशेष दिन भगवान शिव का होता है और भक्त यहां पूजा अर्चना कर अपने आप को धन्य होते हैं.