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Deoghar News: कौशिकी नृत्य शारीरिक और मानसिक रोगों की औषधि, महिला रोग के लिए रामबाणः विकास कुमार - रीड की हड्डी में दर्द

देवघर के आनंद मार्ग स्कूल में कौशिकी दिवस मनाया गया. इस दौरान विकास कुमार ने कौशिकी नृत्य के फायदे गिनाए और लोगों से नृत्य का अभ्यास करने की अपील की. इस मौके पर संस्था से जुड़े कई प्रशिक्षक और सदस्य मौजूद थे.

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Kaushiki Day Celebrated At Anand Marg School
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 6, 2023, 8:13 PM IST

देवघर: आनंद मार्ग जागृति और आनंद मार्ग स्कूल देवघर में छह सितंबर बुधवार को कौशिकी दिवस मनाया गया. इस दौरान साधकों ने कौशिकी नृत्य का अभ्यास किया. आनंद मार्ग के प्रवर्तक श्रीश्री आनंदमूर्ति ने आज ही के दिन 6 सितंबर 1978 को कौशिकी नृत्य का प्रवर्तन किया था.

ये भी पढ़ें-Deoghar News: राष्ट्रीय ओपन ताइक्वांडो में देवघर के छात्र का उम्दा प्रदर्शन, जीता गोल्ड मेडल

कौशिकी नृत्य के जन्मदाता हैं श्रीश्री आनंदमूर्तिः कौशिकी नृत्य की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए विकास कुमार ने कहा कि श्रीश्री आनंदमूर्ति कौशिकी नृत्य के जन्मदाता हैं. यह नृत्य शारीरिक और मानसिक रोगों की औषधि है. कौशिकी नृत्य महिला जनित रोगों के लिए भी रामबाण है. कौशिकी नृत्य के अभ्यास से 22 तरह की बीमारियां दूर होती हैं. सिर से पैर तक अंग-प्रत्यंग और ग्रंथियों का व्यायाम होता है. मनुष्य दीर्घायु होता है. यह नृत्य महिलाओं के सु-प्रसव में सहायक है. मेरुदंड के लचीलेपन की रक्षा करता है. साथ ही कंधे, कमर, हाथ और अन्य संधि स्थलों के वात रोग भी दूर होते हैं. मन की दृढ़ता और प्रखरता में वृद्धि होती है.

कई रोगों को दूर करता है कौशिकी नृत्यः ब्लाडर और मूत्र नली के रोगों को दूर करता है. साथ ही शरीर के अंग-प्रत्यंगों पर अधिकतर नियंत्रण आता है. मुख मंडल और त्वचा की दीप्ति और सौंदर्य वृद्धि में सहायक है. कौशिकी नृत्य के निरंतर अभ्यास से त्वचा की झुर्रियों भी ठीक होती है. आलस्य दूर भगाता है. अनिंद्रा की बीमारी भी कौशिकी नृत्य ठीक करता है. हिस्टीरिया रोग को ठीक करता है. भय की भावना को दूर कर के मन में साहस जगाता है. निराशा को दूर करता है. रीड की हड्डी में दर्द, अर्श, हर्निया स्नायु यंत्रणा और स्नायु दुर्बलता को दूर करता है. किडनी, गाल ब्लैडर, गैस्ट्राइटिस, डिस्पेप्सिया, एसिडिटी, डिसेंट्री, सिफलिस, स्थूलता, कृशता और लीवर की त्रुटियों को दूर करने में सहायता प्रदान करता है. 75 से 80 वर्ष की उम्र तक शरीर की कार्य दक्षता को बनाए रखता है.

देवघर: आनंद मार्ग जागृति और आनंद मार्ग स्कूल देवघर में छह सितंबर बुधवार को कौशिकी दिवस मनाया गया. इस दौरान साधकों ने कौशिकी नृत्य का अभ्यास किया. आनंद मार्ग के प्रवर्तक श्रीश्री आनंदमूर्ति ने आज ही के दिन 6 सितंबर 1978 को कौशिकी नृत्य का प्रवर्तन किया था.

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कौशिकी नृत्य के जन्मदाता हैं श्रीश्री आनंदमूर्तिः कौशिकी नृत्य की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए विकास कुमार ने कहा कि श्रीश्री आनंदमूर्ति कौशिकी नृत्य के जन्मदाता हैं. यह नृत्य शारीरिक और मानसिक रोगों की औषधि है. कौशिकी नृत्य महिला जनित रोगों के लिए भी रामबाण है. कौशिकी नृत्य के अभ्यास से 22 तरह की बीमारियां दूर होती हैं. सिर से पैर तक अंग-प्रत्यंग और ग्रंथियों का व्यायाम होता है. मनुष्य दीर्घायु होता है. यह नृत्य महिलाओं के सु-प्रसव में सहायक है. मेरुदंड के लचीलेपन की रक्षा करता है. साथ ही कंधे, कमर, हाथ और अन्य संधि स्थलों के वात रोग भी दूर होते हैं. मन की दृढ़ता और प्रखरता में वृद्धि होती है.

कई रोगों को दूर करता है कौशिकी नृत्यः ब्लाडर और मूत्र नली के रोगों को दूर करता है. साथ ही शरीर के अंग-प्रत्यंगों पर अधिकतर नियंत्रण आता है. मुख मंडल और त्वचा की दीप्ति और सौंदर्य वृद्धि में सहायक है. कौशिकी नृत्य के निरंतर अभ्यास से त्वचा की झुर्रियों भी ठीक होती है. आलस्य दूर भगाता है. अनिंद्रा की बीमारी भी कौशिकी नृत्य ठीक करता है. हिस्टीरिया रोग को ठीक करता है. भय की भावना को दूर कर के मन में साहस जगाता है. निराशा को दूर करता है. रीड की हड्डी में दर्द, अर्श, हर्निया स्नायु यंत्रणा और स्नायु दुर्बलता को दूर करता है. किडनी, गाल ब्लैडर, गैस्ट्राइटिस, डिस्पेप्सिया, एसिडिटी, डिसेंट्री, सिफलिस, स्थूलता, कृशता और लीवर की त्रुटियों को दूर करने में सहायता प्रदान करता है. 75 से 80 वर्ष की उम्र तक शरीर की कार्य दक्षता को बनाए रखता है.

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