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देवघर: झामुओ कार्यकर्ताओं ने मनाया हूल दिवस, लगाए अमर रहें के नारे - देवघर जिले में हूल दिवस

देवघर जिले में मधुपुर के गांधी चौक पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने हूल दिवस पर सिदो-कान्हू की तस्वीर पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की है. इस दौरान कार्यकर्ताओं ने वीर सिदो-कान्हू अमर रहें के नारे भी लगाए.

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झारखंड मुक्ति मोर्चा
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Published : Jun 30, 2020, 7:29 PM IST

देवघर: 30 जून को पूरे झारखंड में सिदो-कान्हू को याद करते हुए हूल दिवस मनाया जा रहा है, इसी को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने सिदो-कान्हू की तस्वीर पर माल्यार्पण करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की है. हूल क्रांति और संथाल विद्रोह दिवस के अवसर पर हूल दिवस मनाया जाता है. मंगलवार को मधुपुर के गांधी चौक में झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधानसभा प्रभारी हफीजुल हसन के नेतृत्व में वीर शहीद सिदो-कान्हों की तस्वीर पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की.

20 हजार सैनिकों के साथ किया गया आंदोलन
श्रद्धांजलि के उपरांत हफीजुल हसन ने कहा कि अंग्रेजों के विरुद्ध भारतीय स्वाधीनता संग्राम प्रारंभ होने से पूर्व 30 जून 1855 को हूल क्रांति के जननायक सिदो-कान्हों और चांद भैरव की अगुवाई में "करो या मरो" और "अंग्रेज हमारी माटी छोड़ो" के नारे लगाए गए. इसी के साथ अपनी संस्कृति और जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए भोगनाडीह से 20 हजार सैनिकों के साथ आंदोलन आरंभ किया था.

इसे भी पढ़ें-देवघरः कांग्रेस कमेटी ने सिदो-कान्हू को किया याद, दी श्रद्धांजलि

सैकड़ों वीर क्रांतिकारी वनवासियों ने इस आंदोलन में अपनी संस्कृति, जल, जंगल और जमीन के रक्षार्थ अपना बलिदान दिया. इस हूल क्रांति और संथाल विद्रोह से अंग्रेजों के खिलाफ स्वाधीनता की लड़ाई में जनजाति क्षेत्रों से बहुत बड़ी ताकत मिली. इनके योगदान अविस्मरणीय रहेंगे. इस दौरान कार्यकर्ताओं ने वीर सिदो-कान्हू अमर रहें, के नारे लगाते हुए उन्हें नमन किया.

देवघर: 30 जून को पूरे झारखंड में सिदो-कान्हू को याद करते हुए हूल दिवस मनाया जा रहा है, इसी को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने सिदो-कान्हू की तस्वीर पर माल्यार्पण करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की है. हूल क्रांति और संथाल विद्रोह दिवस के अवसर पर हूल दिवस मनाया जाता है. मंगलवार को मधुपुर के गांधी चौक में झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधानसभा प्रभारी हफीजुल हसन के नेतृत्व में वीर शहीद सिदो-कान्हों की तस्वीर पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की.

20 हजार सैनिकों के साथ किया गया आंदोलन
श्रद्धांजलि के उपरांत हफीजुल हसन ने कहा कि अंग्रेजों के विरुद्ध भारतीय स्वाधीनता संग्राम प्रारंभ होने से पूर्व 30 जून 1855 को हूल क्रांति के जननायक सिदो-कान्हों और चांद भैरव की अगुवाई में "करो या मरो" और "अंग्रेज हमारी माटी छोड़ो" के नारे लगाए गए. इसी के साथ अपनी संस्कृति और जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए भोगनाडीह से 20 हजार सैनिकों के साथ आंदोलन आरंभ किया था.

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सैकड़ों वीर क्रांतिकारी वनवासियों ने इस आंदोलन में अपनी संस्कृति, जल, जंगल और जमीन के रक्षार्थ अपना बलिदान दिया. इस हूल क्रांति और संथाल विद्रोह से अंग्रेजों के खिलाफ स्वाधीनता की लड़ाई में जनजाति क्षेत्रों से बहुत बड़ी ताकत मिली. इनके योगदान अविस्मरणीय रहेंगे. इस दौरान कार्यकर्ताओं ने वीर सिदो-कान्हू अमर रहें, के नारे लगाते हुए उन्हें नमन किया.

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