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देश में सिर्फ इस मंदिर में है पंचशूल, जानिए क्या है खासियत - झारखंड न्यूज

सावन का पवित्र माह चल रहा है, ऐसे में हजारों की संख्या में श्रद्धालु बाबाधाम पहुंच रहे हैं. शिवालयों में लगे पंचशूल के दर्शन से भी बाबा का आर्शीवाद भक्तों को मिलता है. बता दें कि शिवालयों में ज्यादातर त्रिशूल लगा होता है, पूरे भारत में बाबाधाम ही एक ऐसा मंदिर है जहां पंचशूल लगा हुआ है.

मंदिर में स्थापित पंचशूल
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Published : Jul 23, 2019, 7:54 PM IST

देवघरः कहा जाता है कि अगर आप बाबा बैद्यनाथ की पूजा किसी कारण नहीं कर पाते, तो पंचशूल का दर्शन अवश्य कर लें. इससे मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. आपने ज्यादातर शिवालयों में त्रिशूल लगा देखा होगा, लेकिन बाबा भोले के नगरी में बाबा मंदिर और माता पार्वती मंदिर के शीर्ष पर पंचशूल स्थापित है. जो इस मंदिर को दूसरे मंदिरों से अलग करती है.

देखेंं पूरी खबर

पंचशूल प्रतीक है पंचतत्वों का

5 तत्वों से ब्रह्मांड का निर्माण हुआ है और पंचशूल उसी का प्रतीक है. शिव सबके गुरु है जिस वजह से यहां शिव के ललाट पर पंचशूल विराजमान है. कहा जाता है इसके दर्शन मात्र से ही लोगों का कल्याण हो जाता है. बाबा मंदिर ही नहीं, उसके प्रांगण में स्थित सभी मंदिरों के शीर्ष पर पंचशूल है. भारत में और कहीं ऐसा नहीं देखा गया है. ये सिर्फ बाबाधाम में है. ये पंचशूल शक्ति का भी प्रतीक है. लंका में भी रावण के महल में पंचशूल था. रावण की लंका के पंचशूल को खत्म कर ही, श्रीराम ने लंका पर विजय प्राप्त किया था. बाबा मंदिर से सभी मंदिरों में लगा पंचशूल पांचों तत्वों जिसमें सृष्टि की रचना हुई है, उसे दर्शाता है.

ये भी पढ़ें- लूट की वारदात को अंजाम देने वाले 6 अपराधी चढ़े पुलिस के हत्थे, लोडेड पिस्टल के साथ सामान बरामद

भारत का इकलौता मंदिर जहां लगा है पंचशूल

पूरे भारत में यही एक मंदिर है, जहां पंचशूल है. वो भी बाबा के मंदिर पर भक्त इस पंचशूल के दर्शन मात्र से ही धन्य हो जाते हैं. इस पंचशूल के दर्शन से भक्तों को लगता है, वह बाबा भोले के दर्शन कर चुके है. बताया जाता है कि श्रावणी मेलें में इतनी भीड़ होती है कि श्रद्धालु पूजा नहीं कर पाते. ऐसे में श्रद्धालु बाबा के पंचशूल के दर्शन कर ही बाबा का आशीर्वाद पाते हैं.

देवघरः कहा जाता है कि अगर आप बाबा बैद्यनाथ की पूजा किसी कारण नहीं कर पाते, तो पंचशूल का दर्शन अवश्य कर लें. इससे मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. आपने ज्यादातर शिवालयों में त्रिशूल लगा देखा होगा, लेकिन बाबा भोले के नगरी में बाबा मंदिर और माता पार्वती मंदिर के शीर्ष पर पंचशूल स्थापित है. जो इस मंदिर को दूसरे मंदिरों से अलग करती है.

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पंचशूल प्रतीक है पंचतत्वों का

5 तत्वों से ब्रह्मांड का निर्माण हुआ है और पंचशूल उसी का प्रतीक है. शिव सबके गुरु है जिस वजह से यहां शिव के ललाट पर पंचशूल विराजमान है. कहा जाता है इसके दर्शन मात्र से ही लोगों का कल्याण हो जाता है. बाबा मंदिर ही नहीं, उसके प्रांगण में स्थित सभी मंदिरों के शीर्ष पर पंचशूल है. भारत में और कहीं ऐसा नहीं देखा गया है. ये सिर्फ बाबाधाम में है. ये पंचशूल शक्ति का भी प्रतीक है. लंका में भी रावण के महल में पंचशूल था. रावण की लंका के पंचशूल को खत्म कर ही, श्रीराम ने लंका पर विजय प्राप्त किया था. बाबा मंदिर से सभी मंदिरों में लगा पंचशूल पांचों तत्वों जिसमें सृष्टि की रचना हुई है, उसे दर्शाता है.

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भारत का इकलौता मंदिर जहां लगा है पंचशूल

पूरे भारत में यही एक मंदिर है, जहां पंचशूल है. वो भी बाबा के मंदिर पर भक्त इस पंचशूल के दर्शन मात्र से ही धन्य हो जाते हैं. इस पंचशूल के दर्शन से भक्तों को लगता है, वह बाबा भोले के दर्शन कर चुके है. बताया जाता है कि श्रावणी मेलें में इतनी भीड़ होती है कि श्रद्धालु पूजा नहीं कर पाते. ऐसे में श्रद्धालु बाबा के पंचशूल के दर्शन कर ही बाबा का आशीर्वाद पाते हैं.

Intro:देवघर अगर आप नही कर पाए बाबा भोले का दर्शन,तो पंचशूल दर्शन कर मनवांछित फल का बने भागी।


Body:एंकर देवघर कहा जाता है कि आप बाबा बैद्यनाथ की पूजा अर्चना किसी कारण नही कर पाते है तो पंचशूल का दर्शन अवश्य कर लें। इससे मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।किसी भी शिवालय में आपने त्रिशूल लगा जरूर देखा होगा लेकिन,बाबा भोले के नगरी में बाबा मंदिर और माता पार्वती मंदिर के शीर्ष पर पंचशूल स्थापित है। जो इस मंदिर को अन्य मंदिरों से भिन्न करती है। पांच तत्वों से ब्रह्मांड का निर्माण हुआ है। ओर पंचशूल उसी का प्रतीक है और शिव सबके गुरु है इसी लिए यहां शिव के ललाट पर पंचशूल विराजमान है। कहा जाता है इसके दर्शन मात्र से ही लोगो का कल्याण हो जाता है। बाबा मंदिर ही नही प्रांगण स्थित सभी मंदिरो के शीर्ष पर पंचशूल है। भारत मे ऐसा कही नही नही है। ये सिर्फ बाबाधाम में है। ये पंचशूल शक्ति का प्रतीक है। लंका में भी रावण के महल में पंचशूल था। जिसे भेजना राम के बस की बात नही थी और रावण की लंका की पंचशूल को खत्म कर ही राम लंका पर विजय प्राप्त कर सका। बाबा मंदिर से सभी मंदिरों में पंचशूल है ओर ये पांचों तत्वों जिसमे सृस्टि की रचना हुई है उसको दर्शाता है। पूरे भारत वर्ष में यही एक मंदिर है जहां पंचशूल है। वो भी बाबा के मंदिर पर भक्त इस पंचशूल के दर्शन मात्र से ही धन्य हो जाते है। ओर इस पंचशूल के दर्शन से भक्तो को लगता है की वह बाबा भोले के दर्शन कर चुके है।


Conclusion:बहरहाल,श्रवणी मेला में इतनी भीड़ होती है कि श्रद्धालु पूजा नही कर पाते ऐसे में श्रद्धालु बाबा के पंचशूल के दर्शन कर ही बाबा का आशीर्वाद पाते है।

बाइट प्रमोद श्रृंगारी,पुरोहित बाबा मंदिर।
बाइट भक्त।

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