देवघर: 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक, देवघर के बैद्यनाथ धाम में स्थित है. जहां देश-विदेश से श्रद्धालु साल भर पूजा-अर्चना करने पहुंचते हैं. बाबा मंदिर में नवविवाहित जोड़े गठजोड़ पूजा करते हैं. मान्यता है कि इस अनुष्ठान से सभी मनोकामनाएं पूर्ण (Alliance Worship Importance In Baidyanath Dham of Deoghar) होती है.
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शिव-पार्वती की गठजोड़ परंपरा: मंदिर में पूजा के साथ-साथ कई धार्मिक अनुष्ठान भी किए जाते हैं. इन्हीं में से एक शिव-पार्वती के गठजोड़ की परंपरा है. इसमें भगवान शिव के मंदिर के गुंबद और मंदिर परिसर में ही स्थापित माता पार्वती के मंदिर के गुंबद के बीच पवित्र लाल धागा बांधा जाता है. इसे स्थानीय बोलचाल की भाषा में गठजोड़ पूजा भी कहा जाता है. यह गठजोड़ परंपरा भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में केवल बैद्यनाथ धाम में है. जहां अन्य ज्योतिर्लिंग में त्रिशूल स्थापित है, वहीं बैद्यनाथ धाम में पंचशील स्थापित है, बता दें कि कई भक्त खास तौर पर गठजोड़ पूजा के लिए ही यहां आते हैं. मान्यता है कि इस अनुष्ठान से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. कई श्रद्धालु भोलेनाथ से मन्नत पूरी होने पर गठजोड़ पूजा का वादा कर जाते हैं. मनोकामनाएं पूरी होने पर दोबारा आते हैं और शिव-पार्वती गठजोड़ का अनुष्ठान संपन्न करते हैं.
दंपती के लिए यह पूजा खास: ऐसे तो कोई भी श्रद्धालु गठबंधन पूजा कर सकता है, लेकिन दंपती के लिए यह पूजा खास मानी जाती है. मंदिर के तीर्थ पुरोहित बब्बू द्वारी ने बताया कि बैद्यनाथ धाम में शिव-पार्वती का गठबंधन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. खासकर विवाहित जोड़े यह पूजा करते हैं. इससे दांपत्य जीवन सुखमय और खुशहाली से भरा होता है. उन्होंने बताया कि यहां रोजाना करीब 50 की संख्या में गठजोड़ पूजा होती है.
मंदिर के गुंबद पर धागा बांधना: यह पूजा मंदिर के तीर्थ पुरोहित कराते हैं. मंदिर के गुंबद पर धागा बांधने का अधिकार देवघर के मल्हारा गांव के राउत समाज के लोगों को ही है. इस समाज का कोई भी शख्स गुंबद में धागा बांध सकता है. पूजा में इस्तेमाल होने वाला लाल रज्जू (पवित्र लाल धागा) मंदिर के आसपास की दुकानों में मिलता है. भक्त इस धागे के साथ पुरोहित से गठजोड़वा पूजा का अनुरोध करते हैं.
गठजोड़वा पूजा की विधि: शिव और पार्वती के गुंबद पर दो अलग-अलग शख्स चढ़ते हैं. पहले शिव मंदिर के शिखर पर धागे के एक छोर को बांधा जाता है. फिर धागे के गोले को नीचे गिराते हैं, जिसे भक्त दंपती अपने हाथ में लेकर पार्वती मंदिर तक जाते हैं. फिर पार्वती मंदिर के शिखर पर मौजूद शख्स धागे के दूसरे छोर को गुंबद पर बांध देते हैं. इस तरह गठजोड़वा पूजा संपन्न होती है. यह अनुष्ठान नवविवाहित जोड़े के लिए भी अहम हो जाता है क्योंकि इसके साथ ही देवघर मे सभी विवाहिक कार्यक्रम संपन्न हो जाता है.