देवघर: त्रिकूट पर्वत कभी पर्यटकों से भरा रहता था. लेकिन आज वीरान पड़ा हुआ है. त्रिकूट पर्वत पर आठ महीने पहले हुए रोपवे हादसे (Deoghar ropeway accident) के बाद से रोप-वे सेवा ठप पड़ी हुई है. नतीजा यह हुआ है कि कभी पर्यटकों से गुलजार रहने वाला यह स्पॉट अब लोगों की आवाजाही (Tourists on Trikut mountain Reduction) को तरस गया है. ऐसे में इस पूरे इलाके की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है. सैलानियों की गतिविधि से कई लोगों की रोज़ी-रोटी चलती थी, लेकिन अब पर्यटक चूंकि न के बराबर रह गए हैं. तो रोजगार पर संकट खड़ा हो गया है. नौबत यह है कि कुछ लोग इलाका छोड़कर जा रहे हैं, तो कुछ जैसे तैसे घर चला पा रहे हैं.
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रोप-वे हादसा के बाद पर्यटकों की संख्या में कमी: रोप-वे बंद हो जाने से पर्यटकों की संख्या में 80 फीसदी तक की कमी आई है. जिससे यहां रोजगार बुरी तरह ठप हुआ है. यहां गाइड का काम करने वाले देवाशीष कुमार और करू पंडा ने बताया क्षतिग्रस्त रोपवे को दुरुस्त करने के बजाय हादसे के बाद से बंद कर दिया गया है. रोजगार का संकट ऐसा है कि घर चलाने के लिए इन दिनों चने बेचने पड़ रहे हैं.
स्थानीय लोग एक दिवसीय धरना प्रदर्शन को तैयार: स्थानीय लोगों ने बताया कि रोप-वे का संचालन करने वाली कंपनी का दावा है कि सरकार की ओर से हरी झंडी मिल जाए तो एक महीने में यह सेवा फिर चालू हो जाएगी. रोप-वे चालू होने के बारे में देवघर डीसी मंजूनाथ भजंत्री से बात करने की कोशिश की गई पर संपर्क नहीं हो पाया. उन्होंने कहा कि जल्द ही इसका निष्पादन नहीं होता है तो सभी त्रिकूट आश्रित लोग एक दिवसीय धरना प्रदर्शन वीर कुंवर सिंह चौक पर करेंगे.
रोप-वे का पर्यटन पर असर: 2009 से पहले लोग त्रिकूटेश्वर नाथ मंदिर पर श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने पहुंचते थे. जो त्रिकूटी पहाड़ के आकर्षण के केंद्र में से एक है. लेकिन साल 2009 में रोप-वे शुरू होने के बाद यहां सैलानियों की संख्या बेतहाशा बढ़ गई थी. दूरदराज से लोग यहां पर्यटन और पिकनिक के लिए आते थे. इसी साल 10 अप्रैल को रोप-वे हादसा हुआ था. अचानक सेफ्ट टूटने से 100 पर्यटकों की जान हवा में अटक गई थी. जिसमें तीन सैलानियों की मौत भी हुई थी. 72 घंटे तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन में वायु सेना और स्थानीय लोगों की भी मदद लेनी पड़ी थी. तबसे यहां रोप-वे ठप पड़ा है. जिसके चालू होने का इंतजार आज भी स्थानीय दुकानदार, गाइड सहित त्रिकूट पर्वत से आश्रित लोग कर रहे हैं.