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देवघर: हरिहर मिलन में खूब उड़े गुलाल, बाबा भोले पर चढ़ाया गया अबीर - Holi

देवघर में होली की शुरुआत हरिहर मिलन के साथ शुरू हो गया. हर साल प्राचीन काल से यहां होली मनाई जा रही है. हरि और हर का मीलन राधा कृष्ण की मूर्तियों को आसन्न से उठाकर पालकी पर रखी जाती है और उसी पालकी को बाबा मंदिर के चारों और परिभ्रमण के बाद दोल मंच पर ले जाया जाता है, जहां भक्त राधा कृष्ण को झूले पर झुलाकर अबीर गुलाल लगाकर गले लगाते हैं.

Holi began with Harihar milan at Baba temple in Deoghar
देवघर में होली की शुरुआत
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Published : Mar 28, 2021, 10:13 PM IST

Updated : Mar 29, 2021, 9:31 AM IST

देवघर: देश का एक मात्र शहर है देवघर, जहां बाबा भोले के शिवलिंग की स्थापना के उपलक्ष्य में होली मनाई जाती है, क्योंकि इसी दिन भगवान विष्णु के साथ शिव का मिलन देवघर के समीप हरिलाजोड़ी में हुआ था. देवघर में होली की शुरुआत हरिहर मिलन के साथ हो गई. हर साल प्राचीन काल से यहां होली मनाई जा रही है. हरि और हर का मिलन राधा कृष्ण की मूर्तियों को आसन्न से उठाकर पालकी पर रखी जाती है और उसी पालकी को बाबा मंदिर के चारों और परिभ्रमण के बाद दोल मंच पर ले जाया जाता है, जहां भक्त राधा-कृष्ण को झूले पर झुलाकर अबीर गुलाल लगाकर गले लगाते हैं.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें-बैल बाबा मंदिर में स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने किया बाबा का जलाभिषेक, सूबे की खुशहाली की मांगी दुआ

ज्योतिर्लिंग पर अबीर गुलाल चढ़ाकर की जाती है कामना

बाबा मंदिर के गर्भ गृह में द्वादश ज्योतिर्लिंग पर लोग अबीर गुलाल चढ़ाकर कामना करते हैं. बाद में कृष्ण की मूर्ति को बाबा मंदिर के शिवलिंग पर रख कर हरिहर मिलन कराया जाता है. इस आयोजन को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है. इसी दिन को शिवलिंग की स्थापना के रूप में भी मनाया जाता है. कथाओं के मुताबिक, शिवलिंग को विष्णु ने चरवाहे के रूप में धारण कर रावण से अपने हाथों में लिए थे और यहां स्थापित किए थे. परंपराओं के अनुसार, हरि और हर मिलन कराया जाता है. एक कथा के मुताबिक, मोहिनी रूप का जो वर्णन अमृत मंथन में हुआ था और शंकर भगवान मथुरा में गोपी नृत्य में मोहिनी का रूप धारण कर पार्वती के पास पहुंचे थे, उसी समय शिव की कृष्ण से मुलाकात नहीं हो पाई थी. ऐसे में शिव की इच्छा हुई थी कि कृष्ण अवतार में इनसे मिले. इसी इच्छा पूर्ति के लिए बाबा धाम में हरी और हर का मिलन कराया जाता है.


आध्यात्मिक माहौल से शुरू होता है होली का त्यौहार
देवघर में होली का त्यौहार भी आध्यात्मिक माहौल से ही शुरू होता है. सबसे पहले मंदिर में हरिहर मिलन का अनुष्ठान शुरू होता है. शाम में जब इसी आयोजन की शुरुआत हुई तो लोगों की भीड़ बाबा मंदिर में उमड़ पड़ी. अबीर-गुलाल चढ़ाने और राधा कृष्ण को गुलाल लगाने के बाद ढोल नगाड़े के साथ राधा कृष्ण को पालकी में बैठाकर मंदिर का परिभ्रमण कराया गया. इसके बाद झूले पर रात भर उन्हें झुलाया गया और उनके साथ रात भर लोगों ने होली खेली. पुरानी मान्यताओं के अनुसार, देवघर के स्थानीय लोग पहले हरिहर मिलन के गवाह बनते हैं. इसके बाद बाबा भोले को अबीर गुलाल चढ़ाते हैं और फिर अपने-अपने घरों में होली की शुरुआत करते है.

देवघर: देश का एक मात्र शहर है देवघर, जहां बाबा भोले के शिवलिंग की स्थापना के उपलक्ष्य में होली मनाई जाती है, क्योंकि इसी दिन भगवान विष्णु के साथ शिव का मिलन देवघर के समीप हरिलाजोड़ी में हुआ था. देवघर में होली की शुरुआत हरिहर मिलन के साथ हो गई. हर साल प्राचीन काल से यहां होली मनाई जा रही है. हरि और हर का मिलन राधा कृष्ण की मूर्तियों को आसन्न से उठाकर पालकी पर रखी जाती है और उसी पालकी को बाबा मंदिर के चारों और परिभ्रमण के बाद दोल मंच पर ले जाया जाता है, जहां भक्त राधा-कृष्ण को झूले पर झुलाकर अबीर गुलाल लगाकर गले लगाते हैं.

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ज्योतिर्लिंग पर अबीर गुलाल चढ़ाकर की जाती है कामना

बाबा मंदिर के गर्भ गृह में द्वादश ज्योतिर्लिंग पर लोग अबीर गुलाल चढ़ाकर कामना करते हैं. बाद में कृष्ण की मूर्ति को बाबा मंदिर के शिवलिंग पर रख कर हरिहर मिलन कराया जाता है. इस आयोजन को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है. इसी दिन को शिवलिंग की स्थापना के रूप में भी मनाया जाता है. कथाओं के मुताबिक, शिवलिंग को विष्णु ने चरवाहे के रूप में धारण कर रावण से अपने हाथों में लिए थे और यहां स्थापित किए थे. परंपराओं के अनुसार, हरि और हर मिलन कराया जाता है. एक कथा के मुताबिक, मोहिनी रूप का जो वर्णन अमृत मंथन में हुआ था और शंकर भगवान मथुरा में गोपी नृत्य में मोहिनी का रूप धारण कर पार्वती के पास पहुंचे थे, उसी समय शिव की कृष्ण से मुलाकात नहीं हो पाई थी. ऐसे में शिव की इच्छा हुई थी कि कृष्ण अवतार में इनसे मिले. इसी इच्छा पूर्ति के लिए बाबा धाम में हरी और हर का मिलन कराया जाता है.


आध्यात्मिक माहौल से शुरू होता है होली का त्यौहार
देवघर में होली का त्यौहार भी आध्यात्मिक माहौल से ही शुरू होता है. सबसे पहले मंदिर में हरिहर मिलन का अनुष्ठान शुरू होता है. शाम में जब इसी आयोजन की शुरुआत हुई तो लोगों की भीड़ बाबा मंदिर में उमड़ पड़ी. अबीर-गुलाल चढ़ाने और राधा कृष्ण को गुलाल लगाने के बाद ढोल नगाड़े के साथ राधा कृष्ण को पालकी में बैठाकर मंदिर का परिभ्रमण कराया गया. इसके बाद झूले पर रात भर उन्हें झुलाया गया और उनके साथ रात भर लोगों ने होली खेली. पुरानी मान्यताओं के अनुसार, देवघर के स्थानीय लोग पहले हरिहर मिलन के गवाह बनते हैं. इसके बाद बाबा भोले को अबीर गुलाल चढ़ाते हैं और फिर अपने-अपने घरों में होली की शुरुआत करते है.

Last Updated : Mar 29, 2021, 9:31 AM IST
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