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हरलाजोरी मंदिर है हरि-हर का मिलन स्थल, यहीं रची गई थी बैद्यनाथ शिवलिंग स्थापना की कहानी - ईटीवी भारत झारखंड

हरलाजोरी मंदिर देवघर के एक प्रमुख धार्मिक स्थल में से एक है, जहां हरि और हर का मिलन हुआ है. इस मंदिर में भगवान विष्णु के पद चिन्ह और एक जल स्त्रोत भी है, जिसे रावण जोरी कहा जाता है.

हरलाजोरी मंदिर
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Published : Aug 13, 2019, 11:58 PM IST

देवघर: बैद्यनाथधाम को देवों की नगरी भी कहा जाता है. सभी जानते हैं कि रावण ने यहां शिवलिंग की स्थापना की थी लेकिन कम ही लोग जानते है कि इस शिवलिंग को स्थापित करने के पीछे हरलाजोरी नाम के जगह का खासा महत्व है. क्योंकि यही वह जगह है जहां शिवलिंग स्थापना की कहानी रची गयी थी.

देखें यह स्पेशल स्टोरी

हरलाजोरी में हुआ था हरि-हर का मिलन
पौराणिक कथाओं के अनुसार जब रावण शिवलिंग को लेकर लंका जा रहा था तो उसे शिवलिंग ले जाने से रोकने के लिए देवताओं ने छल स्वरूप रावण को लघुशंका का अहसाह करा दिया. ठीक उसी समय भगवान विष्णु एक चरवाहे का रूप लेकर वहां आ गए. रावण शिवलिंग विष्णु रूपी चरवाहे को देकर लघुशंका करने चला गया. इस तरह यह स्थल हरि-हर का मिलन स्थल बना.


हरलाजोरी में शिवलिंग स्थापना की कहानी
कथाओं में यह भी वर्णित है कि रावण जिस झोले में शिवलिंग को लेकर जा रहा था भगवान विष्णु ने उस खाली झोले को एक हरला के पेड़ से टांग दिया. वह पेड़ उसी समय झुक गया जिससे आपरूपी शिवलिंग निकल आया, जिसे शम्भू लिंग कहा जाता है.

हरलाजोरी में हैं विष्णु के पद चिन्ह
इस मंदिर परिसर में शिवलिंग के आलावा अन्य देवी देवताओं की मूर्तियां भी स्थापित हैं, लेकिन सबसे विशेष है चरवाहे के रुप में आए भगवान विष्णु के पद चिन्ह.

रावण जोरी
रावण जब लघुशंका को गया तो कहते हैं उस समय वरुण देवता रावण के उदर में थे. जिस कारण वह सात दिन सात रात तक लघुशंका करता रहा. इससे यहां एक जोरी(नदी) बन गई. इसे आज रावण जोरी के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि यहां जो भी स्नान करता है उसके चर्म रोग दूर हो जाते हैं.

यह भी पढ़ें- सबसे कठिन है दंडी यात्रा, शास्त्रों में कहते हैं इसे हठयोग, जानिए कैसे पूरी होती है यात्रा


बाबा मंदिर से कितनी दूर है हरलाजोरी
हरलाजोरी मंदिर बिल्कुल शांत और मनोरम स्थल में बसा है. बाबा बैद्यनाथ मंदिर से हरलाजोरी लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर है.


लगता है भक्तों का जमावड़ा
बाबा मंदिर आने वाले भक्त यहां भी आते हैं हालांकि बहुत हद तक उपेक्षा के शिकार इस मंदिर में स्थानीय लोगों की भीड़ ही ज्यादा होती है. खास कर सावन महीने में यहां स्थानीय लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है. वैसे इसकी खुबसूरती और धार्मिक मान्यताओं को देखते हुए आज जरूरत है कि इसे विश्व पटल पर लाने के लिए कुछ विशेष तैयारी की जाए.

देवघर: बैद्यनाथधाम को देवों की नगरी भी कहा जाता है. सभी जानते हैं कि रावण ने यहां शिवलिंग की स्थापना की थी लेकिन कम ही लोग जानते है कि इस शिवलिंग को स्थापित करने के पीछे हरलाजोरी नाम के जगह का खासा महत्व है. क्योंकि यही वह जगह है जहां शिवलिंग स्थापना की कहानी रची गयी थी.

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हरलाजोरी में हुआ था हरि-हर का मिलन
पौराणिक कथाओं के अनुसार जब रावण शिवलिंग को लेकर लंका जा रहा था तो उसे शिवलिंग ले जाने से रोकने के लिए देवताओं ने छल स्वरूप रावण को लघुशंका का अहसाह करा दिया. ठीक उसी समय भगवान विष्णु एक चरवाहे का रूप लेकर वहां आ गए. रावण शिवलिंग विष्णु रूपी चरवाहे को देकर लघुशंका करने चला गया. इस तरह यह स्थल हरि-हर का मिलन स्थल बना.


हरलाजोरी में शिवलिंग स्थापना की कहानी
कथाओं में यह भी वर्णित है कि रावण जिस झोले में शिवलिंग को लेकर जा रहा था भगवान विष्णु ने उस खाली झोले को एक हरला के पेड़ से टांग दिया. वह पेड़ उसी समय झुक गया जिससे आपरूपी शिवलिंग निकल आया, जिसे शम्भू लिंग कहा जाता है.

हरलाजोरी में हैं विष्णु के पद चिन्ह
इस मंदिर परिसर में शिवलिंग के आलावा अन्य देवी देवताओं की मूर्तियां भी स्थापित हैं, लेकिन सबसे विशेष है चरवाहे के रुप में आए भगवान विष्णु के पद चिन्ह.

रावण जोरी
रावण जब लघुशंका को गया तो कहते हैं उस समय वरुण देवता रावण के उदर में थे. जिस कारण वह सात दिन सात रात तक लघुशंका करता रहा. इससे यहां एक जोरी(नदी) बन गई. इसे आज रावण जोरी के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि यहां जो भी स्नान करता है उसके चर्म रोग दूर हो जाते हैं.

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बाबा मंदिर से कितनी दूर है हरलाजोरी
हरलाजोरी मंदिर बिल्कुल शांत और मनोरम स्थल में बसा है. बाबा बैद्यनाथ मंदिर से हरलाजोरी लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर है.


लगता है भक्तों का जमावड़ा
बाबा मंदिर आने वाले भक्त यहां भी आते हैं हालांकि बहुत हद तक उपेक्षा के शिकार इस मंदिर में स्थानीय लोगों की भीड़ ही ज्यादा होती है. खास कर सावन महीने में यहां स्थानीय लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है. वैसे इसकी खुबसूरती और धार्मिक मान्यताओं को देखते हुए आज जरूरत है कि इसे विश्व पटल पर लाने के लिए कुछ विशेष तैयारी की जाए.

Intro:देवघर को देवो की नगरी कही जाती है यूँ तो सभी जानते है कि रावण द्वारा यहां शिवलिंग स्थापित किया गया था। लेकिन कम ही लोग जानते है कि इस शिवलिंग को स्थापित करने के पीछे हरलाजोरी नाम के जगह को ही इसकी स्थापना की जगह मानी जाती है जी हां ये ऐसा धार्मिक स्थान है जिसे कम ही लोग जानते है जबकि स्थापना की कहानी यही रची गयी थी। रावण जब कठिन तपस्या कर शिवलिंग को लंका ले जा रहे थे तो इसी जगह पर देवताओं ने विष्णु को चरवाहे के रूप में भेजा था और रावण से छल कर शिवलिंग को देवताओं ने प्राप्त कर लिया था। यही वह जगह है जहां भगवान विष्णु और शिव का मिलन हुआ था इस लिए इसे हरि ओर हर का मिलन स्थल के रूप में जाना जाता है। ओर इस जगह का नाम हरलाजोरी पड़ा।


Body:एंकर देवघर पौराणिक कथाओं के अनुसार जब रावण ने घोर तप कर ओर वरदान स्वरूप शिवलिंग को लेकर लंका जा रहा था तो देवताओं ने छल स्वरूप हरलाजोरी नाम के जगह पर रावण को लघुसंका का अहसाह करा दिया और ठीक उसी समय विष्णु भगवान एक चरवाहे के रूप लेकर वहां आ गए और रावण ने उन्हें शिवलिंग को विष्णु रूपी चरवाहे को देकर लघुसंका करने चला गया। क्योंकि वरुण देवता रावण के उदर में थे इस लिए कहा जाता है कि रावण को सात दिन सात रात लघुसंका होती रही और यहां एक जोरि(नदी) बन गयी जो आज भी मौजूद है कहा जाता है कि जब विष्णु जी चरवाहे का रूप लेकर शिव के शिवलिंग को पकड़े तो ये अद्भुत नजारा था क्योंकि इसमें हरि ओर हर का मिलन हो रहा था। कथाओं में यह भी वर्णित है कि रावण जिस झोले में शिवलिंग को लेकर जा रहा था विष्णु रूपी चरवाहे ने शिवलिंग को बाबा नगरी में स्थापित कर दिया। लेकिन खाली झोले को एक हरला के पेड़ से टांग दिया और वह पेड़ उसी समय झुक गया और आपरूपी शिवलिंग निकल आया जिसे शम्भू लिंग कहा जाता है। यहां विष्णु भगवान मानव रूप में आये और शिव को हाथों में थामा इस लिए इसे हरि ओर हर का मिलन स्थल कहा जाता है। ये जगह शांत और मनोरम है बाबा मंदिर से हरलाजोरी लगभग 5 किलोमीटर है जब भक्त बाबा मंदिर जाते है तो इस जगह भी जरूर आते है। लेकिन यहां भीड़ स्थानीय लोगो की ज्यादा होती है स्थानीय इस जगह की मान्यताओं को जानते है। लिहाजा खास कर सावन के एक महीने में ये जगह पूजा अर्चना करने जरूर आते है।


Conclusion:बहरहाल,कुल मिलाकर कहा जाता है कि देवघर एक ऐसी धार्मिक नगरी है जहाँ सभी पौराणिक कहानियो का प्रमाण मिलता है हरलाजोरी भी एक ऐसा स्थान है जहां हरि ओर हर के मिलन का प्रमाण मिलता है यहाँ रावण द्वारा एक पत्थर का शिवलिंग स्थापित किया गया है जिसकी लोग पूजा अर्चना करते है। तो भगवान विष्णु का चरण पादुका अभी भी आकर्षक का धोतक है।

बाइट प्रमोद श्रृंगारी, पुरोहित बाबा मंदिर।
बाइट मदन मोहन भक्त।
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