देवघरः श्रावणी मेला की शुरुआत होते ही पहले दिन से ही कांवरियों का जत्था बाबा नगरी में प्रवेश करने लगा है. मंगलवार की सुबह से ही कांवरिया कतारबद्ध तरीके से जलार्पण कर रहे हैं. सोमवार को गुरु पूर्णिमा के दिन भी आम श्रद्धालूओं की भीड़ अप्रत्याशित थी. दरअसल सोमवार को स्पर्श पूजा का आखरी दिन भी था.
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बता दें कि अब गर्भ गृह के मुख्य दरवाजे पर अर्घा लगा दिया गया है. जिसके माध्यम से कांवरिया जलार्पण कर रहे हैं. इस दौरान पूरी विधि- व्यवस्था के सुचारू संचालन के लिए ड्यूटी पर तैनात कर्मी भी अपनी महती भूमिका में दिखे. निकास द्वार से प्रवेश और भीआईपी पूजा पर पूरी तरह से पावंदी लगा दी गई है.
वहीं सोमवार की रात से ही कावंरियों का जत्था शहर में प्रवेश करने लगा था. पूरी विधि- व्यवस्था की निगरानी खुद जिला के उपायूक्त मंजुनाथ भजंत्री और एसपी सुभाष चंद्र जाट करते दिखे और आवश्यक्ता के लिहाज से निर्देश भी देते दिखे. वहीं पहले दिन सरकारी पूजा के बाद मंदिर को कांवरियों के जलार्पण के लिए खोल दिया गया था. सावन माह में लाखों लाख श्रद्धालु उत्तरवाहिनी गंगा से जल भरकर सुल्तानगंज से पैदल यात्रा कर बाबा बैद्यनाथ की नगरी पहुंचते हैं और बाबा पर जल अर्पण करते हैं. इस बार सावन के पहले दिन मंदिर में भक्तों की काफी भीड़ देखी गई
सावन माह के पहले दिन से लेकर अगले पूर्णिमा तक बाबा बैद्यनाथ के गर्भ गृह में अर्घा लगा दिया जाता है. श्रद्धालु कतारबद्ध होकर बाबा मंदिर के गर्भ ग्रह के बाहर लगे अर्घा में जल और फूल अर्पण करते हैं. सावन माह में पूरा देवघर शिवमय हो जाता है और लोग बोल बम का नारा लगाते हुए भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं. ऐसा माना जाता है कि बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मनोकामना लिंग है. यहां सब की मुरादे पूरी होती हैं. यही कारण है कि काफी संख्या में कांवरिया यहां पहुंचकर बाबा बैद्यनाथ को जल अर्पण करते हैं.