देवघर: कोरोना वायरस ने लगभग 200 देशों को अपनी चपेट में ले लिया है. संक्रमण के रोकथाम के लिए लॉकडाउन जारी है, जिसका असर सभी वर्गों पर पड़ा है. रोज कमाने खाने वालों पर सबसे ज्यादा लॉकडाउन की मार पड़ी है. देवघर के बाबा मंदिर पर भी इसका काफी प्रभाव पड़ा है.
12 ज्योतिर्लिंगों में से एक विश्व विख्यात बाबा बैद्यनाथ मंदिर सहित आसपास का इलाका भी कोरोना के कारण पूरा वीरान हो गया है. हर दिन बाबा मंदिर में हजारों श्रद्धालु पूजा करने पहुंचते थे, लेकिन कोरोना के कारण मंदिर में होने वाले सभी कार्य ठप पड़े हुए हैं. मंदिर में इस समय सिर्फ औपचारिक पूजा ही की जा रही है. बाबा मंदिर में श्रद्धालु के नहीं पहुंचने से हजारों परिवारों के बीच संकट खड़ा हो गया है.
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मंदिर परिसर में पसरा सन्नाटा
देवघर स्थित विश्व विख्यात रावणेश्वर बाबा बैद्यनाथ 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जो चौबीसों पहर श्रद्धालुओं के जयकारे से गूंजता रहता था. मंदिर में हमेशा घंटी की खनकती आवाज, ढोल की सुरताल, पंडितों का मंत्रोच्चार या फिर श्रद्धालुओं के जयकारा से गुंजायमान रहता था, वो आज विरान पड़ा हुआ है. बाबा मंदिर में शादी-विवाह, गठजोड़, रुद्राभिषेक, मुंडन, जनेऊ जैसे मांगलिक कार्यों के लिए श्रद्धालुओं से खचाखच भरा रहता था, लेकिन लॉकडाउन के कारण सभी कार्य बंद पड़ा हुआ है, जिसका असर वहां के रोज कमाने खाने वालों पर दिख रहा है.
हजारों लोग हुए प्रभावित
जानकारों की मानें तो बाबा मंदिर से सबसे ज्यादा पुरोहित परिवार प्रभावित हुए हैं, जिनका जीविकोपार्जन का एक मात्र श्रोत दक्षिणा था. इसके अलावा बाबा मंदिर के भंडारी, गठजोड़ करने वाले, फूल बेचने वाले माली, प्रसाद, अगरबत्ती बेचने वाले दुकानदार से लेकर मंदिर के बाहर भीख मांगकर गुजारा करने वाले लोगों के अलावे मंदिर से बाहर पेड़ा, चूड़ी, बिंदी, सिंदूर, लोहे का बर्तन, पंसारी दुकान जैसे हजारों की संख्या में बाबा मंदिर के भरोसे अपना जीविकोपार्जन कर रहे लोगों का आर्थिक श्रोत पर ब्रेक लग गया है.
मंदिर में होती है सिर्फ औपचारिक पूजा
जानकारों का कहना है कि बाबा मंदिर में लॉकडाउन का प्रभाव देखा जा रहा है, इस तरह की आपदा विश्वयुद्ध दौरान भी लोगों ने न सुना था और न ही देखा था. वो बताते हैं कि बाबा मंदिर को इससे पहले कभी भी बंद नहीं रखा गया था. यह लॉकडाउन एक इतिहास बन गया है. इनदिनों बाबा मंदिर में सिर्फ पुरोहित सुबह पट खोलकर बाबा भोले का कांचा जल से पूजा करते हैं, जिसके बाद बाबा भोले पर जलार्पण की प्रक्रिया शुरू होती है, लेकिन श्रद्धालुओं का आना अभी मना है इसलिए पट को फिर से बंद कर दिया जाता है. शाम में सिर्फ श्रृंगार पूजा के समय भी मंदिर का पट खोलकर पूजा की जाती है. मंदिर परिसर में पूजा के समय सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ख्याल रखा जाता है.
बाबा धाम धार्मिक स्थल के साथ पर्यटक स्थल के रूप में भी जाना जाता है. देवघर सहित संताल परगना की अर्थव्यवस्था बाबा मंदिर पर ही टिकी है. लॉकडाउन के कारण सभी प्रतिष्ठान बंद हैं, पर्यटक स्थलों में त्रिकुट, तपोवन, नंदन पहाड़, बासुकीनाथ जैसे धार्मिक स्थल के साथ होटल, मैरेज गार्डन, धर्मशाला भी हैं, जो बाबा मंदिर से जुड़ी है, जहां प्रतिदिन करोड़ों का कारोबार प्रभावित हो रहा है, जिसका असर पूरे संताल परगना पर पड़ रहा है.
देवघर के वरिष्ठ पत्रकार बताते हैं कि कोरोना महामारी के कारण आज तक इतिहास में भी यह सुनने को नहीं मिला था कि बाबा मंदिर भी कभी प्रभावित हुआ हो, जिससे बाबा मंदिर से जुड़े अलग-अलग कार्यों में लगे हजारों परिवार परिवार प्रभावित हुआ है. लॉकडाउन के कारण मंदिर प्रशाशन के साथ-साथ झारखंड सरकार को भी राजस्व का नुकसान हो रहा है.