देवघर: आजसू के जिला अध्यक्ष आदर्श लक्ष्य ने देवघर नगर निकाय चुनाव में मेयर पद को ओबीसी के लिए आरक्षित करने की मांग की (Demand To Reserve Mayor Post For OBC) है. उन्होंने कहा कि देवघर में ओबीसी समुदाय की 196 जातियां हैं. जिले में 52 से 54% पिछड़ी आबादी है. देवघर में मेयर पद को ओबीसी के लिए आरक्षित कर दिया जाए तो ओबीसी समुदाय के लोगों को शैक्षणिक, गैर-शैक्षणिक, सामाजिक और आर्थिक स्थानों में प्रतिनिधित्व और भागीदारी करने का मौका मिलेगा.
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देवघर नगर निगम क्षेत्र में पिछड़ा बहुल क्षेत्रः उन्होंने कहा कि देवघर नगर निगम क्षेत्र में पिछड़ों की बहुत बड़ी आबादी है. जबकि उनकी सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. ओबीसी वर्ग का सरकारी, अर्द्ध सरकारी सेवा में प्रतिनिधित्व भी बहुत कम है. आजसू पार्टी की ओर से ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर लगातार आवाज उठाई जा रही है.
पंचायत चुनाव में ओबीसी को नहीं मिला आरक्षणः कुछ दिनों पहले झारखंड सरकार द्वारा ओबीसी को 27% आरक्षण देने की स्वीकृति पहली कैबिनेट की बैठक में और फिर विधानसभा से पारित किया था, लेकिन राज्य में लागू नहीं कर के केंद्र के यहां नौवीं अनुसूची में डालने के लिए भेज दिया गया. इससे ओबीसी को 27% आरक्षण मिलने में विलंब हो सकता है. इसके साथ ही ओबीसी वर्ग को जो 14% आरक्षण पूर्व में मिलता था, उसे भी पहले पंचायत चुनाव में और अब नगर निकाय चुनाव में समाप्त कर दिया गया. जिससे ओबीसी वर्ग की 196 जातियों की जनता के प्रतिनिधित्व और भागीदारी पर यह सवाल खड़ा हो गया.
कोर्ट में अवमानना वाद याचिका दायर की गई थीः ज्ञात हो कि आजसू पार्टी के केंद्रीय उपाध्यक्ष चंद्रप्रकाश चौधरी ने नगर निकाय चुनाव में ओबीसी वर्ग को आरक्षण नहीं देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में अवमानना वाद याचिका 19 अक्टूबर 2022 को दायर की थी. याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार के मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार ने पंचायत चुनाव के पहले न्यायालय में जो शपथपत्र दायर किया था, उसमें उच्च न्यायालय को यह लिखा था कि ओबीसी आरक्षण से संबंधित ट्रिपल टेस्ट प्रक्रियाधीन है और झारखंड सरकार भविष्य में होने वाले चुनाव में ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया को पूरा कर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ओबीसी आरक्षण के संदर्भ में दिए गए निर्देश का अनुपालन करने के लिए कटिबद्ध है.
झारखंड सरकार की मंशा ओबीसी के प्रति ठीक नहींः वहीं राज्य सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि एक तरफ झारखंड सरकार सर्वोच्च न्यायालय में यह कहती है कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ओबीसी आरक्षण के संदर्भ में दिए गए निर्णय का अनुपालन करेगी. वहीं दूसरी और झारखंड सरकार ओबीसी को आरक्षण दिए बगैर नगर निकाय चुनाव कराने का फैसला लेती है. इससे यह स्पष्ट हो गया है कि झारखंड सरकार की मंशा ओबीसी के प्रति ठीक नहीं है. वहीं सरकार न्यायालय के आदेश का भी अनुपालन नहीं करती है. सरकार ने उक्त शपथ पत्र के विरुद्ध ओबीसी के आरक्षण के बिना निकाय चुनाव कराने का निर्णय ले लिया, जो कहीं से उचित नहीं है.