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चितरा कोलियरी की स्थिति बेहाल, हड़ताल पर गए कर्मी बेहतर स्वास्थ्य-शिक्षा की मांग

चितरा स्थित एसपी माइंस कोलियरी बंद होने के कगार पर खड़ा हो गया है. संयुक्त ट्रेड यूनियन मोर्चा ने इसके खिलाफ, स्वास्थय संबंध और शिक्षा व्यवस्था को लेकर विरोध प्रदर्शन किया. इनका कहना है कि  पुराने और बेकार बिल्डिंग में उनका ट्रीटमेंट किया जा रहा है. जिससे कभी भी यह हादसा की शक्ल ले सकता है.

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Published : Aug 10, 2023, 6:20 PM IST

देवघर: चितरा स्थित एसपी माइंस कोलियरी प्रबंधन अब अपनी लापरवाही के कारण बंद होने के कगार पर खड़ा हो गया है. जिसकी वजह से संयुक्त ट्रेड यूनियन मोर्चा ने इसके खिलाफ स्वास्थय और शिक्षा व्यवस्था को लेकर विरोध प्रदर्शन किया है. दो दिनों से लगातार चल रहे प्रबंधन के विरोध में इनकी शिकायत है कि कोलियरी श्रमिक कल्याण निधि द्वारा संचालित डीएवी पब्लिक स्कूल चितरा की आज स्थिति अच्छी नही है. इसकी बिल्डिंग पूरी तरह से बेकार हो गई है. जो कभी भी गिर सकती है. यहां आठ बसों कि जगह सिर्फ 5 बसें दी जा रही है. जिसमें बच्चों को दो-दो सिफ्ट में भेड़-बकड़ियों कि तरह ठूंस कर लाया जाता है. अब पहले की तरह पढ़ाई नहीं कराई जाती. जिसके कारण शिक्षक और कर्मचारियों को सही समय पर वेतन न मिलता है.

ये भी पढ़ें- चितरा एसपी माइंस और ट्रक ऑनर्स के बीच गतिरोध जारी, लोडिंग कार्य बाधित

इस विषय पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष शशांक शेखर भोक्ता ने जानकारी दी कि चितरा कोलियरी का राष्ट्रीयकरण साल 1974 में हुआ था. जिसके बाद उस समय तीन हजार से अधिक मजदूर, श्रमिक और अधिकारी वहां काम करते थे. 1985 से ही श्रमिक संगठन की मांग अच्छी शिक्षा के लिए स्कूल, बेहतर इलाज के लिए अस्पताल, पानी, क्षेत्र के संपर्क के लिए सड़क और बिजली की थी. लगातार प्रयास के बाद स्कूल की मांग को स्विकार करते हुए 21 अगस्त 1995 में टाइप क्वाटर जिसमें आठ यूनिट के आवास में पढ़ाई को शुरू की गई. उसके बाद से लगातार एक अच्छे स्कूल की बिल्डिंग की मांग होती रही. जिसमें मजदूरों को खदान बंद कर हड़ताल तक करनी पड़ी. फिर तत्कालीन महाप्रबंधक बीएनपी सिंह ने अच्छे भवन के लिए सीएमडी को वहां की स्थिति से अवगत कराया. और उनकी मांग जल्द पूरी हो ये भरोसा दिलाया. फिर जाकर एक नया बिल्डिंग मिला. जिसमें विश्व मजदूर दिवस के मौके पर एक मई 2000 से पढ़ाई को शुरू की गई.

स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के बारे में उनका कहना है कि माइंस में काम कर रहे लोगों के द्वारा अच्छे इलाज के लिए बेहतर अस्पताल की मांग की जा रही है. लेकिन इस पर प्रबंधक ने किसी प्रकार की कोई पहल नहीं की है. पुराने और बेकार बिल्डिंग में उनका ट्रीटमेंट किया जा रहा है. जिससे कभी भी यह हादसा की शक्ल ले सकता है.

देवघर: चितरा स्थित एसपी माइंस कोलियरी प्रबंधन अब अपनी लापरवाही के कारण बंद होने के कगार पर खड़ा हो गया है. जिसकी वजह से संयुक्त ट्रेड यूनियन मोर्चा ने इसके खिलाफ स्वास्थय और शिक्षा व्यवस्था को लेकर विरोध प्रदर्शन किया है. दो दिनों से लगातार चल रहे प्रबंधन के विरोध में इनकी शिकायत है कि कोलियरी श्रमिक कल्याण निधि द्वारा संचालित डीएवी पब्लिक स्कूल चितरा की आज स्थिति अच्छी नही है. इसकी बिल्डिंग पूरी तरह से बेकार हो गई है. जो कभी भी गिर सकती है. यहां आठ बसों कि जगह सिर्फ 5 बसें दी जा रही है. जिसमें बच्चों को दो-दो सिफ्ट में भेड़-बकड़ियों कि तरह ठूंस कर लाया जाता है. अब पहले की तरह पढ़ाई नहीं कराई जाती. जिसके कारण शिक्षक और कर्मचारियों को सही समय पर वेतन न मिलता है.

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इस विषय पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष शशांक शेखर भोक्ता ने जानकारी दी कि चितरा कोलियरी का राष्ट्रीयकरण साल 1974 में हुआ था. जिसके बाद उस समय तीन हजार से अधिक मजदूर, श्रमिक और अधिकारी वहां काम करते थे. 1985 से ही श्रमिक संगठन की मांग अच्छी शिक्षा के लिए स्कूल, बेहतर इलाज के लिए अस्पताल, पानी, क्षेत्र के संपर्क के लिए सड़क और बिजली की थी. लगातार प्रयास के बाद स्कूल की मांग को स्विकार करते हुए 21 अगस्त 1995 में टाइप क्वाटर जिसमें आठ यूनिट के आवास में पढ़ाई को शुरू की गई. उसके बाद से लगातार एक अच्छे स्कूल की बिल्डिंग की मांग होती रही. जिसमें मजदूरों को खदान बंद कर हड़ताल तक करनी पड़ी. फिर तत्कालीन महाप्रबंधक बीएनपी सिंह ने अच्छे भवन के लिए सीएमडी को वहां की स्थिति से अवगत कराया. और उनकी मांग जल्द पूरी हो ये भरोसा दिलाया. फिर जाकर एक नया बिल्डिंग मिला. जिसमें विश्व मजदूर दिवस के मौके पर एक मई 2000 से पढ़ाई को शुरू की गई.

स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के बारे में उनका कहना है कि माइंस में काम कर रहे लोगों के द्वारा अच्छे इलाज के लिए बेहतर अस्पताल की मांग की जा रही है. लेकिन इस पर प्रबंधक ने किसी प्रकार की कोई पहल नहीं की है. पुराने और बेकार बिल्डिंग में उनका ट्रीटमेंट किया जा रहा है. जिससे कभी भी यह हादसा की शक्ल ले सकता है.

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