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देवघर के मधुपुर में बेटी ने दी मां की चिता को मुखाग्नि, समाज के बंदिशों को तोड़ा

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Published : Nov 30, 2022, 10:59 PM IST

आज बेटियां किसी भी मामले में बेटों से कम नहीं है. बेटियां रूढ़िवादी परंपराओं को भी तोड़ रही हैं. सनातन धर्म में ये परंपरा है कि बेटे ही शव को मुखाग्नि देते हैं. लेकिन इस परंपरा को छोड़ कर देवघर के मधुपुर में एक बेटी ने अपनी मां को मुखाग्नि दी (Daughter cremated mother in Madhupur).

Daughter cremated mother in Madhupur
Daughter cremated mother in Madhupur

देवघर: बेटियां अब धार्मिक और पारंपरिक कुरीतियों को तोड़ती दिखाई दे रही हैं. ताजा मामला मधुपुर का है जहां रिया बथवाल नाम की लड़की ने अपनी मां के निधन पर सामाजिक परंपराओं को तोड़ते हुए अपनी मां का अंतिम संस्कार किया और शव को मुखाग्नि दी (Daughter cremated mother in Madhupur). इसके अलावा उन्होंने श्राद्ध कर्म भी करवाया.

ये भी पढ़ें: बेटे ने मां के अंतिम संस्कार से किया इनकार, मुखाग्नि देने 1100 किलोमीटर दूर से आई नातिन

कुंडू बंगला के संजय बथवाल अपनी धर्मपत्नी कविता बथवाल और तीन बेटियो के साथ रहते हैं. मंगलवार को उनकी पत्नी का निधन हो गया. जिसके बाद सवाल खड़ा हो गया आखिर चिता को मुखाग्नि कौन देगा. यह सवाल उठने से पहले ही बेटी ने स्पष्ट कह दिया कि वह ही अपनी मां का अंतिम संस्कार करेगी. इसके बाद बेटी मां की शव यात्रा में शामिल हुई और शव को मुखाग्नि भी दी.

वहीं, मौके पर लोगों ने कहा कि इस बेटी ने समाज में इस गलत धारणा को दूर किया है जिसमें ये कहा जाता है कि सिर्फ बेटा ही मुखाग्नि दे सकता है या महिलाओं को श्मशान घाट नहीं जाना चाहिए. इस लड़की ने अपनी मां को मुखाग्नि दिया और रूढ़ीवादी परम्पराओं पर कुठाराघात किया है जो काफी सराहनीय है. मधुपुर के बैकुंठ धाम स्थित शमशान घाट पर जब मां की चिता को बेटी मुखाग्नि दी उस दौरान कई समाजसेवी सहित सौकड़ों लोग मौजूद रहे.

देवघर: बेटियां अब धार्मिक और पारंपरिक कुरीतियों को तोड़ती दिखाई दे रही हैं. ताजा मामला मधुपुर का है जहां रिया बथवाल नाम की लड़की ने अपनी मां के निधन पर सामाजिक परंपराओं को तोड़ते हुए अपनी मां का अंतिम संस्कार किया और शव को मुखाग्नि दी (Daughter cremated mother in Madhupur). इसके अलावा उन्होंने श्राद्ध कर्म भी करवाया.

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कुंडू बंगला के संजय बथवाल अपनी धर्मपत्नी कविता बथवाल और तीन बेटियो के साथ रहते हैं. मंगलवार को उनकी पत्नी का निधन हो गया. जिसके बाद सवाल खड़ा हो गया आखिर चिता को मुखाग्नि कौन देगा. यह सवाल उठने से पहले ही बेटी ने स्पष्ट कह दिया कि वह ही अपनी मां का अंतिम संस्कार करेगी. इसके बाद बेटी मां की शव यात्रा में शामिल हुई और शव को मुखाग्नि भी दी.

वहीं, मौके पर लोगों ने कहा कि इस बेटी ने समाज में इस गलत धारणा को दूर किया है जिसमें ये कहा जाता है कि सिर्फ बेटा ही मुखाग्नि दे सकता है या महिलाओं को श्मशान घाट नहीं जाना चाहिए. इस लड़की ने अपनी मां को मुखाग्नि दिया और रूढ़ीवादी परम्पराओं पर कुठाराघात किया है जो काफी सराहनीय है. मधुपुर के बैकुंठ धाम स्थित शमशान घाट पर जब मां की चिता को बेटी मुखाग्नि दी उस दौरान कई समाजसेवी सहित सौकड़ों लोग मौजूद रहे.

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