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देवघरः बीजेपी में बगावत के सुर, पार्टी नेता सीताराम पाठक ने कहा- निर्दलीय लडू़ंगा चुनाव

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Published : Nov 14, 2019, 2:20 PM IST

जरमुंडी विधानसभा सीट से बीजेपी ने देवेंद्र कुंवर को अपना प्रत्याशी बनाया है, जिसके बाद पार्टी में बगावत के सूर गूंजने लगे हैं. बीजेपी के नेता सीताराम पाठक पार्टी के इस कदम से इतने नाराज हैं कि उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है.

सीताराम पाठक

देवघर: किसी भी पार्टी के नेता-कार्यकर्ता इस उम्मीद से पार्टी के प्रति समर्पण के साथ काम करते हैं कि चुनाव में पार्टी उनपर भरोसा जताते हुए उन्हें टिकट देगी. लेकिन यह मौका कुछ ही लोगों को मिलता है. ऐसे में पार्टी में बगावत के स्वर उठने लगते हैं. कुछ ऐसा ही हुआ है बीजेपी में जरमुंडी विधानसभा क्षेत्र से. यहां के बीजेपी के कार्यकारी सदस्य सीताराम पाठक ने टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर निर्दलीय चुनावल लड़ने की बात कही है.

देखें क्या कहा नेता ने


उम्मीद पर पार्टी ने फेरा पानी
बीजेपी नेता सीताराम पाठक बीजेपी के कार्यकारी सदस्य सदस्यता अभियान प्रभारी जैसे कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं. उनका कहना है कि वे पिछले दस सालों से जरमुंडी विधानसभा क्षेत्र में जनता के बीच हर सुख-दुख में उनके साथ खड़े रहे हैं और पार्टी में पूरी निष्ठा-ईमानदारी से काम किया है. ऐसे में उन्हें उम्मीद थी की पार्टी 2019 में जरमुंडी विधानसभा सीट से उन्हें उम्मीदवार बनाएगी. लेकिन पार्टी ने ऐसा नहीं किया, इसलिए उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है.

ये भी पढ़ें: BJP-AJSU के बीच पड़े दरार से उनकी मंशा जनता के बीच हुई उजागर: बाबूलाल मरांडी


जीत-हार का समीकरण
चुनाव को लेकर सभी पार्टियां जीत-हार का समीकरण लगाकर टिकट बांटती हैं, जिसके जीतने की संभावना ज्यादा होती है उसे ही प्रत्याशी बनाती है. बता दें कि जरमुंडी विधानसभा सीट से बीजेपी ने देवेंद्र कुंवर को अपना प्रत्याशी बनाया है. लेकिन जब पार्टी में बगावत के स्वर उठते हैं तो कहीं न कहीं नुकसान तो होता ही है. अब देखने वाली बात है कि सीताराम पाठक के निर्णय का चुनाव में असर क्या होता है.

देवघर: किसी भी पार्टी के नेता-कार्यकर्ता इस उम्मीद से पार्टी के प्रति समर्पण के साथ काम करते हैं कि चुनाव में पार्टी उनपर भरोसा जताते हुए उन्हें टिकट देगी. लेकिन यह मौका कुछ ही लोगों को मिलता है. ऐसे में पार्टी में बगावत के स्वर उठने लगते हैं. कुछ ऐसा ही हुआ है बीजेपी में जरमुंडी विधानसभा क्षेत्र से. यहां के बीजेपी के कार्यकारी सदस्य सीताराम पाठक ने टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर निर्दलीय चुनावल लड़ने की बात कही है.

देखें क्या कहा नेता ने


उम्मीद पर पार्टी ने फेरा पानी
बीजेपी नेता सीताराम पाठक बीजेपी के कार्यकारी सदस्य सदस्यता अभियान प्रभारी जैसे कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं. उनका कहना है कि वे पिछले दस सालों से जरमुंडी विधानसभा क्षेत्र में जनता के बीच हर सुख-दुख में उनके साथ खड़े रहे हैं और पार्टी में पूरी निष्ठा-ईमानदारी से काम किया है. ऐसे में उन्हें उम्मीद थी की पार्टी 2019 में जरमुंडी विधानसभा सीट से उन्हें उम्मीदवार बनाएगी. लेकिन पार्टी ने ऐसा नहीं किया, इसलिए उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है.

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जीत-हार का समीकरण
चुनाव को लेकर सभी पार्टियां जीत-हार का समीकरण लगाकर टिकट बांटती हैं, जिसके जीतने की संभावना ज्यादा होती है उसे ही प्रत्याशी बनाती है. बता दें कि जरमुंडी विधानसभा सीट से बीजेपी ने देवेंद्र कुंवर को अपना प्रत्याशी बनाया है. लेकिन जब पार्टी में बगावत के स्वर उठते हैं तो कहीं न कहीं नुकसान तो होता ही है. अब देखने वाली बात है कि सीताराम पाठक के निर्णय का चुनाव में असर क्या होता है.

Intro:देवघर अपनी ही पार्टी में बागी हुए बीजेपी नेता सीताराम पाठक,पार्टी छोड़ निर्दलीय चुनाव लड़ने का किया एलान।


Body:एंकर आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर कई नेता सालो से अपने अपने विधानसभा क्षेत्र में कार्य करते देखा जाता है। ऐसे में सभी नेताओं में अपने अपने पार्टी के प्रति उपेक्षा भी रखती है की समय आते ही अपना प्रत्याशी घोषित की जाय। और जब कड़ी मेहनत के बावजूद पार्टी प्रत्याशी नही बनाते है तो ऐसे में ही पार्टी कार्यकर्ता बागी हो जाते है। जी हां ये में नही कह रहा ये है बीजेपी नेता सीताराम पाठक जो बीजेपी के कार्यकारी सदस्य सदस्यता अभियान प्रभारी जैसे पदों पर रह चुके है जो पिछले दस सालों से जरमुंडी विधानसभा क्षेत्र में जनता के बीच हर सुख दुख में कार्यरत है। ओर इन्हें पूरी उम्मीद थी कि इस विधानसभा चुनाव 2019 में बीजेपी प्रत्याशी के रूप में जरमुंडी से घोषणा करेगी मगर ऐसा नही हुआ। ऐसे में अब ये बागी हो चुके है और निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने की घोषणा भी कर दिए है।


Conclusion:बहरहाल,विधानसभा चुनाव के लेकर सभी पार्टियां अपने अपने समीकरण के आधार पर प्रत्याशी मैदान में उतारते है ऐसे में अगर पार्टी के ही कार्यकर्ता बागी होते है तो नुकसान प्रत्याशी की होती है। ऐसे में बीजेपी पार्टी कार्यकर्ता का बागी होना कही न कही प्रत्याशी को नुकसान दे सकता है।

बाइट सीताराम पाठक।
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