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कभी महिलाओं की श्रृंगार में लगाते थे चार चांद, आज उनके घर नहीं जल रहे चूल्हे - देवघर में लॉकडाउन का असर

लॉकडाउन की सबसे अधिक मार मजदूरों और छोटे व्यवसायियों को पड़ा है. देवघर में भी जहां चूड़ी-लहठी व्यवसाय से कलाकार और दुकानदार करोड़ों कमाते थे वो आज बाजर बंद होने के कारण भूखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं.

Bangle artisans on the brink of hunger in deoghar
भूखमरी के कगार पर चूड़ी कारीगर
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Published : Apr 26, 2020, 6:45 PM IST

देवघर: देवनगरी के साथ-साथ लाह उद्योग के नाम से जाना जाने वाले देवघर में में बनने वाली लहठी और चूड़ियों की डिमांड देश और दुनियां में होती है, लेकिन आज यहां का सारा उद्योग ठप पड़ा हुआ है. लॉकडाउन में लाह से चूड़ी बनाने वाले कारीगरों के घर भूखमरी छा गया है. इनकी हालात ऐसे हो गए हैं कि घरों में चूल्हा तक नहीं जल रहा है.

देखें स्पेशल स्टोरी

चूड़ी बनाने वाले कारीगर श्रावणी मेले में करोड़ों का करोबार करते हैं, लेकिन इस बार लॉकडाउन से पहले बनाई गई चुड़ी महाजनों तक पहुंचा दी गई है, लेकिन अबतक उन्हें पैसे नहीं मिले हैं. क्योंकि महाजनों के चुड़ी की दुकानें भी बंद है. यहां श्रद्धालुओं का या पर्यटकों का आना बंद है. ऐसे में अब इन कारीगरों को परिवार चलाने मे काफी कठिनाइयों का सामना करना पड रहा है.

Bangle artisans on the brink of hunger in deoghar
कारीगरों के बनाए चूड़ी

पर्यटकों का आना है बंद

देवघर में रोजाना लाखों लोगों का आना जाना लगा रहता था, लेकिन आज कोरोना वायरस के कारण सभी काम ठप हो गया है. लाह उद्योग से जाने जानी वाली शहर आज वीरान है. जहां हर दिन देवघर आने वाले लोग बाबा मंदिर में पूजा अर्चना के बाद पेड़ा प्रसाद के साथ महिलाएं शृंगार का समान लेना नहीं भूलती थी, जहां की चूड़ी पहनकर महिलाएं अपने आपको भाग्यशाली समझती हैं आज वो चूड़ी बनाने वाले कलाकर के घरों में चूल्हा नहीं जल पा रहा है.

Bangle artisans on the brink of hunger in deoghar
चूड़ी बनाते कारीगर

इसे भी पढ़ें:- देवनगरी में मिला कोरोना का दूसरा मरीज, इलाके को किया गया सील

सावन में होती है करोड़ों का बिजनेस

संथाल परगना इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के सचिव पंकज मोदी बताते हैं कि देवघर में सालों भर रोजाना लाखों लोगों का आना जाना लगा रहता है, लोग यहां से पूजा अर्चना के बाद प्रसाद और महिलाएं शृंगार का सामान जरुर खरीदती हैं, उन्होंने बताया कि सावन महीना में ही हर दिन दो लाख से भी अधिक भक्त पहुंचते हैं, इसमें से अगर 20 हजार भक्त ही लहठी चुड़ी खरीदते हैं तो लगभग 8 लाख रोजना होता है, महीने में इसका आंकड़ा करोड़ों में चला जाता है.

Bangle artisans on the brink of hunger in deoghar
देवघर है चूड़ियों के लिए मशहूर

पंकज मोदी ने बताया कि जिले में लगभग 4-5 सौ परिवार लहठी- चूड़ी के करोबार से जुडा है, लेकिन लॉकडाउन में चूड़ी दुकानदार से लेकर कारीगर तक प्रभावित हुआ है. ऐसे में आज इस लहठी चूड़ी गढ़ने वाले कारीगरों के बीच अब अन्न के लाले पड़े हैं. इनके महाजनों ने भी अब हाथ खड़ा कर दिया है, हालांकि स्थानीय पार्षद ने इन कारीगरों को खाद्य सामग्री देकर थोड़ी राहत जरुर पहुंचाई है. वहीं नगर उपायुक्त ने दावा किया है कि किसी को भी भूखा नहीं मरने दिया जाएगा.

देवघर: देवनगरी के साथ-साथ लाह उद्योग के नाम से जाना जाने वाले देवघर में में बनने वाली लहठी और चूड़ियों की डिमांड देश और दुनियां में होती है, लेकिन आज यहां का सारा उद्योग ठप पड़ा हुआ है. लॉकडाउन में लाह से चूड़ी बनाने वाले कारीगरों के घर भूखमरी छा गया है. इनकी हालात ऐसे हो गए हैं कि घरों में चूल्हा तक नहीं जल रहा है.

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चूड़ी बनाने वाले कारीगर श्रावणी मेले में करोड़ों का करोबार करते हैं, लेकिन इस बार लॉकडाउन से पहले बनाई गई चुड़ी महाजनों तक पहुंचा दी गई है, लेकिन अबतक उन्हें पैसे नहीं मिले हैं. क्योंकि महाजनों के चुड़ी की दुकानें भी बंद है. यहां श्रद्धालुओं का या पर्यटकों का आना बंद है. ऐसे में अब इन कारीगरों को परिवार चलाने मे काफी कठिनाइयों का सामना करना पड रहा है.

Bangle artisans on the brink of hunger in deoghar
कारीगरों के बनाए चूड़ी

पर्यटकों का आना है बंद

देवघर में रोजाना लाखों लोगों का आना जाना लगा रहता था, लेकिन आज कोरोना वायरस के कारण सभी काम ठप हो गया है. लाह उद्योग से जाने जानी वाली शहर आज वीरान है. जहां हर दिन देवघर आने वाले लोग बाबा मंदिर में पूजा अर्चना के बाद पेड़ा प्रसाद के साथ महिलाएं शृंगार का समान लेना नहीं भूलती थी, जहां की चूड़ी पहनकर महिलाएं अपने आपको भाग्यशाली समझती हैं आज वो चूड़ी बनाने वाले कलाकर के घरों में चूल्हा नहीं जल पा रहा है.

Bangle artisans on the brink of hunger in deoghar
चूड़ी बनाते कारीगर

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सावन में होती है करोड़ों का बिजनेस

संथाल परगना इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के सचिव पंकज मोदी बताते हैं कि देवघर में सालों भर रोजाना लाखों लोगों का आना जाना लगा रहता है, लोग यहां से पूजा अर्चना के बाद प्रसाद और महिलाएं शृंगार का सामान जरुर खरीदती हैं, उन्होंने बताया कि सावन महीना में ही हर दिन दो लाख से भी अधिक भक्त पहुंचते हैं, इसमें से अगर 20 हजार भक्त ही लहठी चुड़ी खरीदते हैं तो लगभग 8 लाख रोजना होता है, महीने में इसका आंकड़ा करोड़ों में चला जाता है.

Bangle artisans on the brink of hunger in deoghar
देवघर है चूड़ियों के लिए मशहूर

पंकज मोदी ने बताया कि जिले में लगभग 4-5 सौ परिवार लहठी- चूड़ी के करोबार से जुडा है, लेकिन लॉकडाउन में चूड़ी दुकानदार से लेकर कारीगर तक प्रभावित हुआ है. ऐसे में आज इस लहठी चूड़ी गढ़ने वाले कारीगरों के बीच अब अन्न के लाले पड़े हैं. इनके महाजनों ने भी अब हाथ खड़ा कर दिया है, हालांकि स्थानीय पार्षद ने इन कारीगरों को खाद्य सामग्री देकर थोड़ी राहत जरुर पहुंचाई है. वहीं नगर उपायुक्त ने दावा किया है कि किसी को भी भूखा नहीं मरने दिया जाएगा.

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