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इस बार महाशिवरात्रि पर अद्भुत संयोग, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि

महाशिवरात्रि हिंदूओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है. इस बार भगवान शिव की आराधना का महापर्व महाशिवरात्रि शुक्रवार को है. ऐसी मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन ही शिवलिंग की उत्पत्ति हुई थी, यही कारण है कि सदियों से फाल्गुन कृष्ण पक्ष के चतुर्दशी को महाशिवरात्रि मनाई जाती है. इस बार महाशिवरात्रि पर अद्भुत संयोग भी बन रहा है.

Amazing coincidence this time on Mahashivratri in deoghar
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Published : Feb 20, 2020, 9:10 PM IST

देवघर: भगवान शिव की आराधना का महापर्व महाशिवरात्रि शुक्रवार को है. ऐसी मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन ही शिवलिंग की उत्पत्ति हुई थी, यही कारण है कि सदियों से फाल्गुन कृष्ण के चतुर्दशी के दिन महाशिवरात्रि के रूप में मनाई जाती है. इसे शिव-पार्वती विवाह उत्सव के रूप में भी मनाते हैं.

देखें पूरी खबर

वैदिक रीति रिवाज के अनुसार महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ की विशेष पूजा होती है. महाशिवरात्रि में चार पहर की विशेष पूजा होती है. षोडशोपचार पूजन विधि से होने वाली यह पूजा चार पहर में होती है. इस पूजा में सोलह उपचार, सोलह प्रकार के भोग और पूजन सामग्री अर्पित की जाती है. यह विशेष पूजा साल में एक ही दिन शिवरात्रि के मौके पर की जाती है. इसलिए यह बड़े ही भावपूर्ण और आत्मानुभूति प्रदान करने वाला होता है. ऐसा माना जाता है कि जो भी भक्त महाशिवरात्रि के चार पहर की विशेष पूजा में जाने-अनजाने में भी शिवलिंग पर जल और बेल पत्र अर्पण कर देते हैं, उसके जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं. उन्हें अभीष्ट फल की भी प्राप्ति हो जाती है.

महाशिवरात्रि पर इस बार विशेष संयोग

जानकारों के मुताबिक फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को ही महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है. हालांकि प्रत्येक मास की चतुर्दशी तिथि को मासिक ​शिवरात्रि मनाई जाती है. इस वर्ष महा​शिवरात्रि के दिन विशेष और अद्भुत संयोग बन रहा है, ​जो भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए बहुत ही उत्तम है. विशेष संयोग पड़ने के कारण शिवरात्रि के दिन जो भी भांग-धतूरा, गंगाजल, बिल्वपत्र और फूल से बाबा का अभिषेक करेगा, उनको मनवांछित फल की प्राप्ति होगी. शिवरात्रि के दिन चार पहर की पूजा के साथ-साथ सिंदूर दान जैसी भी प्रथाएं प्रचलित हैं. इस दिन लोग बाबा भोले के सिर पर मोर मुकुट भी चढ़ाते हैं. जिन कन्याओं के विवाह में विलंब हो रहा होता है या उनका विवाह नहीं होता है, उसके लिए मोर मुकुट चढ़ाना अति उत्तम माना जाता है.

और पढ़ें- रिम्स के डॉक्टर के साथ हुई बदतमीजी मामले में नया मोड़, स्कूटी का निकला पुलिस की स्कॉर्पियो का नंबर

भांग और धतूरा चढ़ाने से मनवांछित फल की प्राप्ति
बहरहाल, शिवरात्रि के दिन बाबा भोले के सभी शिवालयों में जल और बेल पत्र के साथ-साथ भांग-धतूरा चढ़ाने मात्र से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है. इस बार महाशिवरात्रि पर अद्भुत संयोग बन रहा है. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी बना हुआ है. सर्वार्थ सिद्धि योग 21 फरवरी को सुबह 9:14 बजे से बन रहा है, जो 22 फरवरी को सुबह 6:54 बजे तक है. वहीं, पुरोहितों के अनुसार, इस बार शिवरात्रि पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा उत्तम मानी गई है.

देवघर: भगवान शिव की आराधना का महापर्व महाशिवरात्रि शुक्रवार को है. ऐसी मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन ही शिवलिंग की उत्पत्ति हुई थी, यही कारण है कि सदियों से फाल्गुन कृष्ण के चतुर्दशी के दिन महाशिवरात्रि के रूप में मनाई जाती है. इसे शिव-पार्वती विवाह उत्सव के रूप में भी मनाते हैं.

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वैदिक रीति रिवाज के अनुसार महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ की विशेष पूजा होती है. महाशिवरात्रि में चार पहर की विशेष पूजा होती है. षोडशोपचार पूजन विधि से होने वाली यह पूजा चार पहर में होती है. इस पूजा में सोलह उपचार, सोलह प्रकार के भोग और पूजन सामग्री अर्पित की जाती है. यह विशेष पूजा साल में एक ही दिन शिवरात्रि के मौके पर की जाती है. इसलिए यह बड़े ही भावपूर्ण और आत्मानुभूति प्रदान करने वाला होता है. ऐसा माना जाता है कि जो भी भक्त महाशिवरात्रि के चार पहर की विशेष पूजा में जाने-अनजाने में भी शिवलिंग पर जल और बेल पत्र अर्पण कर देते हैं, उसके जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं. उन्हें अभीष्ट फल की भी प्राप्ति हो जाती है.

महाशिवरात्रि पर इस बार विशेष संयोग

जानकारों के मुताबिक फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को ही महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है. हालांकि प्रत्येक मास की चतुर्दशी तिथि को मासिक ​शिवरात्रि मनाई जाती है. इस वर्ष महा​शिवरात्रि के दिन विशेष और अद्भुत संयोग बन रहा है, ​जो भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए बहुत ही उत्तम है. विशेष संयोग पड़ने के कारण शिवरात्रि के दिन जो भी भांग-धतूरा, गंगाजल, बिल्वपत्र और फूल से बाबा का अभिषेक करेगा, उनको मनवांछित फल की प्राप्ति होगी. शिवरात्रि के दिन चार पहर की पूजा के साथ-साथ सिंदूर दान जैसी भी प्रथाएं प्रचलित हैं. इस दिन लोग बाबा भोले के सिर पर मोर मुकुट भी चढ़ाते हैं. जिन कन्याओं के विवाह में विलंब हो रहा होता है या उनका विवाह नहीं होता है, उसके लिए मोर मुकुट चढ़ाना अति उत्तम माना जाता है.

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भांग और धतूरा चढ़ाने से मनवांछित फल की प्राप्ति
बहरहाल, शिवरात्रि के दिन बाबा भोले के सभी शिवालयों में जल और बेल पत्र के साथ-साथ भांग-धतूरा चढ़ाने मात्र से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है. इस बार महाशिवरात्रि पर अद्भुत संयोग बन रहा है. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी बना हुआ है. सर्वार्थ सिद्धि योग 21 फरवरी को सुबह 9:14 बजे से बन रहा है, जो 22 फरवरी को सुबह 6:54 बजे तक है. वहीं, पुरोहितों के अनुसार, इस बार शिवरात्रि पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा उत्तम मानी गई है.

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