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एक ऐसा गांव जहां हाथ में चप्पल लेकर घूमते हैं लोग, जानिये क्यों ?

चतरा के जांगी पंचायत के तेतर टोला गांव में सड़क नहीं होने से हर साल बारिश में स्थिति काफी खराब हो जाती है. हालात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि लोगों को हाथ में चप्पल उठाकर चलना पड़ता है.

No facility in Tetar Tola village
चतरा का तेतर टोला गांव
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Published : Jun 26, 2021, 4:13 AM IST

Updated : Jul 2, 2021, 3:37 PM IST

चतरा: झारखंड बनने के 21 वर्षों बाद भी कई गांव में आज तक विकास की किरण नहीं पहुंच सकी है. इसी में से एक है चतरा के जांगी पंचायत का तेतर टांड़ टोला. यहां के हालात हर साल बरसात के मौसम में नर्क जैसे हो जाते हैं. खराब हालत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बारिश के मौसम में लोग चप्पल पहनकर नहीं निकल सकते हैं. हालत ऐसी है कि लोगों को चप्पल हाथ में उठाकर चलना पड़ता है.

यह भी पढ़ें: कहां रुका है विकास? पाषाण युग में जीने को मजबूर गुमला के इस गांव के लोग

आज तक नहीं बनी सड़क

दरअसल, जांगी पंचायत के तेतर टांड़ टोला में सड़क आज तक नहीं बनी है. इसी कारण हर साल बारिश के मौसम में स्थिति बदतर हो जाती है. कीचड़ के कारण लोगों को जीना मुहाल हो जाता है. गांव में आज भी मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं. गांव में सड़क के अलावा, बिजली, पेयजल और स्कूल भी नहीं है. गांव में आज तक बिजली का तार नहीं पहुंचा है लेकिन बिजली विभाग ने गांव में मीटर और बिजली का बोर्ड लगा दिया है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

दो किलोमीटर दूर से लाते हैं पानी

गांव की महिलाओं का कहना है कि पिछले कई वर्षों से यही हालात हैं. कई लोगों के सामने गुहार लगाई लेकिन किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया. पूरे क्षेत्र में एक ही चापाकल है जिससे गंदा पानी निकलता है. इसके अलावा पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं है. ग्रामीण करीब दो किलोमीटर दूर जाकर पानी लाने को मजबूर हैं. स्वास्थ्य सुविधाओं की हालत भी ऐसी ही है. गांव के रविंद्र पासवान ने बताया कि जब किसी की तबीयत खराब होती है तब टांगकर करीब डेढ़ किलोमीटर पैदल चलते हैं. सड़क नहीं होने के कारण गांव में एंबुलेंस नहीं पहुंच सकता है. बारिश के दिनों में तो स्थिति और खराब हो जाती है.

जांगी पंचायत की मुखिया शोभा देवी का कहना है कि मुखिया फंड से जो हो सकता है, वह सब किया जा रहा है. बाकी सुविधाओं की व्यवस्था राज्य सरकार ही कर सकती है. ग्रामीणों को सांसद से भी गुहार लगानी चाहिए. पूर्व मुखिया दुलारचंद यादव का कहना है कि पंचायत को उतना फंड नहीं मिलता है. सड़क काफी लंबी है और पंचायत के फंड से सड़क नहीं बनाई जा सकती है. इसके लिए सरकार से गुहार लगानी पड़ेगी. 21वीं सदी में ऐसे हालात पर अदम गोंडवी की एक शायरी बिल्कुल सटीक बैठती है-"जो उलझ कर रह गई है फाइलों के जाल में...गांव तक वो रोशनी आएगी कितने साल में".

चतरा: झारखंड बनने के 21 वर्षों बाद भी कई गांव में आज तक विकास की किरण नहीं पहुंच सकी है. इसी में से एक है चतरा के जांगी पंचायत का तेतर टांड़ टोला. यहां के हालात हर साल बरसात के मौसम में नर्क जैसे हो जाते हैं. खराब हालत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बारिश के मौसम में लोग चप्पल पहनकर नहीं निकल सकते हैं. हालत ऐसी है कि लोगों को चप्पल हाथ में उठाकर चलना पड़ता है.

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आज तक नहीं बनी सड़क

दरअसल, जांगी पंचायत के तेतर टांड़ टोला में सड़क आज तक नहीं बनी है. इसी कारण हर साल बारिश के मौसम में स्थिति बदतर हो जाती है. कीचड़ के कारण लोगों को जीना मुहाल हो जाता है. गांव में आज भी मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं. गांव में सड़क के अलावा, बिजली, पेयजल और स्कूल भी नहीं है. गांव में आज तक बिजली का तार नहीं पहुंचा है लेकिन बिजली विभाग ने गांव में मीटर और बिजली का बोर्ड लगा दिया है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

दो किलोमीटर दूर से लाते हैं पानी

गांव की महिलाओं का कहना है कि पिछले कई वर्षों से यही हालात हैं. कई लोगों के सामने गुहार लगाई लेकिन किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया. पूरे क्षेत्र में एक ही चापाकल है जिससे गंदा पानी निकलता है. इसके अलावा पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं है. ग्रामीण करीब दो किलोमीटर दूर जाकर पानी लाने को मजबूर हैं. स्वास्थ्य सुविधाओं की हालत भी ऐसी ही है. गांव के रविंद्र पासवान ने बताया कि जब किसी की तबीयत खराब होती है तब टांगकर करीब डेढ़ किलोमीटर पैदल चलते हैं. सड़क नहीं होने के कारण गांव में एंबुलेंस नहीं पहुंच सकता है. बारिश के दिनों में तो स्थिति और खराब हो जाती है.

जांगी पंचायत की मुखिया शोभा देवी का कहना है कि मुखिया फंड से जो हो सकता है, वह सब किया जा रहा है. बाकी सुविधाओं की व्यवस्था राज्य सरकार ही कर सकती है. ग्रामीणों को सांसद से भी गुहार लगानी चाहिए. पूर्व मुखिया दुलारचंद यादव का कहना है कि पंचायत को उतना फंड नहीं मिलता है. सड़क काफी लंबी है और पंचायत के फंड से सड़क नहीं बनाई जा सकती है. इसके लिए सरकार से गुहार लगानी पड़ेगी. 21वीं सदी में ऐसे हालात पर अदम गोंडवी की एक शायरी बिल्कुल सटीक बैठती है-"जो उलझ कर रह गई है फाइलों के जाल में...गांव तक वो रोशनी आएगी कितने साल में".

Last Updated : Jul 2, 2021, 3:37 PM IST
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