चतरा: जिला में विधानसभा चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है वैसे-वैसे मतदाता भी मुखर होने लगे हैं. एक तरफ जिला प्रशासन से लेकर प्रखंड प्रशासन तक विभिन्न गांवों में चुनाव को लेकर मतदाताओं को जागरूक करने के लिए लगातार मतदाता जागरूकता अभियान चला रही है. वहीं दूसरी ओर पिछले पांच सालों तक जनप्रतिनिधियों और प्रशासन की उपेक्षा का दंश झेलने वाले मतदाता अब गोलबंद होकर नेताओं के विरुद्ध मोर्चा खोलने लगे हैं. इतना ही नहीं उपेक्षा का दंश झेल रहे ग्रामीणों ने बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं की मांग को लेकर वोट बहिष्कार तक का ऐलान कर दिया है.
जानकारी के अनुसार जिला मुख्यालय से लगभग 13 किलोमीटर दूर स्थित है लावालौंग प्रखंड. जहां लमटा पंचायत के शिवराजपुर गांव के लोगों ने इस बार चुनाव में मतदान नहीं करने का निर्णय लिया है. इसे लेकर ग्रामीणों ने गांव में जनप्रतिनिधियों और प्रशासन के विरुद्ध आक्रोश रैली निकालकर विरोध प्रदर्शन किया है.
ग्रामीणों ने लगाया आरोप
ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि चुनाव समाप्त होते ही नवनिर्वाचित जनप्रतिनिधि अपने वादों और इरादों को भूल जाते हैं. जिसका कोप भाजन अपना बहुमूल्य मत देकर सरकार गठन में अहम भूमिका निभाने वाली भोली-भाली ग्रामीण जनता को होना पड़ता है. ऐसे में ग्रामीण वोट देकर सांसद और विधायक के अलावे जनप्रतिनिधियों का चुनाव तो कर लेते हैं लेकिन उनके गांव में व्याप्त मूलभूत समस्याओं से उन्हें निजात नहीं मिल पाता है.
ये भी देखें- पलामू में एक वाहन से 45 लाख रुपए बरामद, गाड़ी पर लगा है बीजेपी का झंडा
वोट बहिष्कार करने का किया ऐलान
ग्रामीणों का कहना है कि जब उनके मत का महत्व ही नहीं है तो मतदान का क्या औचित्य है. यही सभी समस्याओं से परेशान ग्रामीणों ने सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं की मांग पूरी नहीं होने पर विधानसभा चुनाव में वोट बहिष्कार करने का ऐलान किया है. रैली के दौरान ग्रामीणों ने विकास नहीं तो वोट नहीं, शिक्षा नहीं तो वोट नहीं, पानी नहीं तो वोट नहीं, सिंचाई नहीं तो वोट नहीं और स्वास्थ्य नहीं तो वोट नहीं जैसे सरकार विरोधी नारे लगाए गए हैं.
ग्रामीणों ने आगे बताया कि सड़क नहीं बनने से गांव के ही कुछ लोग सड़क की जमीन का अतिक्रमण करते जा रहे हैं. ग्रामीणों ने बताया कि जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों का दरवाजा खटखटा रहे. बावजूद इसके आज तक उनकी समस्याओं का निराकरण करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया. ऐसे में वे सरकारी तंत्र से खफा हो चुके हैं और विकास नहीं के मुद्दे पर उन्होंने वोट बहिष्कार का निर्णय लिया है.