चतरा: कोल उत्पादन को लेकर भूमि सर्वेक्षण कार्य करने पहुंची सीसीएल की सर्वे टीम को रैयतों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा. जिसके टीम को काम छोड़कर वापस लौटना पड़ा. वहीं, ग्रामीणों के उग्र रुख को देखते हुए मौके से टीम में शामिल सर्वेयर भाग खड़े हुए.
ये भी पढ़ें-शराब के दुष्प्रभाव को लेकर झारखंड हाई कोर्ट सख्त, सरकार के कई विभाग से मांगा गया जवाब
दरअसल, सीसीएल के आम्रपाली कोल परियोजना में कोयला उत्पादन को ले मिट्टी हटाने का काम मां अंबे और मां लक्ष्मी नामक एजेंसी संयुक्त रूप से कर रही है. इसे लेकर एजेंसी के सर्वेयरों की टीम सुपरवाइजर के नेतृत्व में परियोजना से सटे कुमरांगकला गांव पहुंची थी. जिसकी सूचना संबंधित भूमि के रैयतों को मिल गई. सूचना मिलते ही गांव के दर्जनों रैयत मौके पर पहुंच गए और सर्वे का विरोध शुरू कर दिया. इस दौरान रैयतों ने सर्वे टीम को न सिर्फ भूमि का सर्वे करने से रोक दिया बल्कि बात नहीं मानने पर टीम में शामिल सर्वेयरों के साथ धक्का-मुक्की भी शुरू कर दी. आक्रोशित रैयत सर्वे की जा रही भूमि को अपनी पुश्तैनी रैयती जमीन बताकर प्रबंधन से वार्ता करने की बात कर रहे थे.
ये भी पढ़ें-झारखंड विधानसभा चुनाव 2019: लोकसभा की तरह विधानसभा चुनाव भी हारेगा महागठबंधन: सीपी सिंह
वहीं, ग्रामीणों का आरोप है कि सीसीएल प्रबंधन मां अंबे और मां लक्ष्मी एजेंसी के सहारे ग्रामीणों की भूमि हड़पने की जुगत में लगी है, जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. ग्रामीणों का कहना है कि जब तक उनके साथ प्रबंधन वार्ता कर उचित मुआवजे का भुगतान नहीं करती, तब तक न तो सर्वे करने दिया जाएगा और ना ही अन्य काम. रैयतों ने स्थानीय पुलिस पर भी भेदभाव करने का आरोप लगाया है.
हालांकि मौके पर सर्वे को लेकर पहुंची टीम ग्रामीणों के विरोध के बाद भले ही मौके से लौट गई हो, लेकिन टीम में शामिल सदस्यों का साफ तौर पर कहना है कि वरीय अधिकारियों के निर्देश पर भूमि का सर्वे किया जा रहा है. ग्रामीणों को अगर अपनी आपत्ति दर्ज करानी है तो वे प्रबंधन से बात करें.