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सीसीएल की सर्वे टीम को झेलना पड़ा रैयतों का भारी विरोध, धक्का-मुक्की के बाद काम छोड़ भागी टीम

चतरा में कोल उत्पादन को लेकर भूमि सर्वेक्षण का काम करने पहुंचे सीसीएल प्रबंधन के लोगों पर ग्रामीणों ने हमला बोल दिया. ग्रामीणों का आरोप है कि सीसीएल प्रबंधन उनकी भूमि हड़पना चाहता है.

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Published : Nov 9, 2019, 3:10 AM IST

सर्वे टीम का विरोध करते ग्रामीण

चतरा: कोल उत्पादन को लेकर भूमि सर्वेक्षण कार्य करने पहुंची सीसीएल की सर्वे टीम को रैयतों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा. जिसके टीम को काम छोड़कर वापस लौटना पड़ा. वहीं, ग्रामीणों के उग्र रुख को देखते हुए मौके से टीम में शामिल सर्वेयर भाग खड़े हुए.

देखें पूरी खबर

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दरअसल, सीसीएल के आम्रपाली कोल परियोजना में कोयला उत्पादन को ले मिट्टी हटाने का काम मां अंबे और मां लक्ष्मी नामक एजेंसी संयुक्त रूप से कर रही है. इसे लेकर एजेंसी के सर्वेयरों की टीम सुपरवाइजर के नेतृत्व में परियोजना से सटे कुमरांगकला गांव पहुंची थी. जिसकी सूचना संबंधित भूमि के रैयतों को मिल गई. सूचना मिलते ही गांव के दर्जनों रैयत मौके पर पहुंच गए और सर्वे का विरोध शुरू कर दिया. इस दौरान रैयतों ने सर्वे टीम को न सिर्फ भूमि का सर्वे करने से रोक दिया बल्कि बात नहीं मानने पर टीम में शामिल सर्वेयरों के साथ धक्का-मुक्की भी शुरू कर दी. आक्रोशित रैयत सर्वे की जा रही भूमि को अपनी पुश्तैनी रैयती जमीन बताकर प्रबंधन से वार्ता करने की बात कर रहे थे.

ये भी पढ़ें-झारखंड विधानसभा चुनाव 2019: लोकसभा की तरह विधानसभा चुनाव भी हारेगा महागठबंधन: सीपी सिंह

वहीं, ग्रामीणों का आरोप है कि सीसीएल प्रबंधन मां अंबे और मां लक्ष्मी एजेंसी के सहारे ग्रामीणों की भूमि हड़पने की जुगत में लगी है, जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. ग्रामीणों का कहना है कि जब तक उनके साथ प्रबंधन वार्ता कर उचित मुआवजे का भुगतान नहीं करती, तब तक न तो सर्वे करने दिया जाएगा और ना ही अन्य काम. रैयतों ने स्थानीय पुलिस पर भी भेदभाव करने का आरोप लगाया है.

हालांकि मौके पर सर्वे को लेकर पहुंची टीम ग्रामीणों के विरोध के बाद भले ही मौके से लौट गई हो, लेकिन टीम में शामिल सदस्यों का साफ तौर पर कहना है कि वरीय अधिकारियों के निर्देश पर भूमि का सर्वे किया जा रहा है. ग्रामीणों को अगर अपनी आपत्ति दर्ज करानी है तो वे प्रबंधन से बात करें.

चतरा: कोल उत्पादन को लेकर भूमि सर्वेक्षण कार्य करने पहुंची सीसीएल की सर्वे टीम को रैयतों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा. जिसके टीम को काम छोड़कर वापस लौटना पड़ा. वहीं, ग्रामीणों के उग्र रुख को देखते हुए मौके से टीम में शामिल सर्वेयर भाग खड़े हुए.

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दरअसल, सीसीएल के आम्रपाली कोल परियोजना में कोयला उत्पादन को ले मिट्टी हटाने का काम मां अंबे और मां लक्ष्मी नामक एजेंसी संयुक्त रूप से कर रही है. इसे लेकर एजेंसी के सर्वेयरों की टीम सुपरवाइजर के नेतृत्व में परियोजना से सटे कुमरांगकला गांव पहुंची थी. जिसकी सूचना संबंधित भूमि के रैयतों को मिल गई. सूचना मिलते ही गांव के दर्जनों रैयत मौके पर पहुंच गए और सर्वे का विरोध शुरू कर दिया. इस दौरान रैयतों ने सर्वे टीम को न सिर्फ भूमि का सर्वे करने से रोक दिया बल्कि बात नहीं मानने पर टीम में शामिल सर्वेयरों के साथ धक्का-मुक्की भी शुरू कर दी. आक्रोशित रैयत सर्वे की जा रही भूमि को अपनी पुश्तैनी रैयती जमीन बताकर प्रबंधन से वार्ता करने की बात कर रहे थे.

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वहीं, ग्रामीणों का आरोप है कि सीसीएल प्रबंधन मां अंबे और मां लक्ष्मी एजेंसी के सहारे ग्रामीणों की भूमि हड़पने की जुगत में लगी है, जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. ग्रामीणों का कहना है कि जब तक उनके साथ प्रबंधन वार्ता कर उचित मुआवजे का भुगतान नहीं करती, तब तक न तो सर्वे करने दिया जाएगा और ना ही अन्य काम. रैयतों ने स्थानीय पुलिस पर भी भेदभाव करने का आरोप लगाया है.

हालांकि मौके पर सर्वे को लेकर पहुंची टीम ग्रामीणों के विरोध के बाद भले ही मौके से लौट गई हो, लेकिन टीम में शामिल सदस्यों का साफ तौर पर कहना है कि वरीय अधिकारियों के निर्देश पर भूमि का सर्वे किया जा रहा है. ग्रामीणों को अगर अपनी आपत्ति दर्ज करानी है तो वे प्रबंधन से बात करें.

Intro:सर्वे टीम को झेलना पड़ा रैयतों का भारी विरोध, धक्का-मुक्की के बाद काम छोड़ भागी टीम

चतरा : कोल उत्पादन को ले भूमि सर्वेक्षण कार्य करने पहुंची सीसीएल के सर्वे टीम को रैयतों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा। जिसके बाद न सिर्फ टीम को कुमरांगकला गांव से बैरंग काम छोड़कर वापस लौटना पड़ा बल्कि ग्रामीणों के उग्र रुख को देखते हुए मौके से टीम में शामिल सर्वेयर भाग खड़े हुए। दरअसल सीसीएल के आम्रपाली कोल परियोजना में कोयला उत्पादन को ले मिट्टी हटाने का काम मां अंबे और माँ लक्ष्मी नामक एजेंसी संयुक्त रूप से कर रही है। इस निमित्त एजेंसी के सर्वेयरों की टीम सुपरवाइजर के नेतृत्व में परियोजना से सटे कुमरांगकला गांव पहुंची थी। जिसकी सूचना संबंधित भूमि के रैयतों को मिल गई। सूचना मिलते ही गांव के दर्जनों रैयत मौके पर पहुंच गए और सर्वे का विरोध शुरू कर दिया। इस दौरान रैयतों ने सर्वे टीम को न सिर्फ भूमि का सर्वे करने से रोक दिया बल्कि बात नहीं मानने पर टीम में शामिल सर्वेयरों के साथ धक्का-मुक्की भी शुरू कर दी। ग्रामीणों का उग्र रूप देखकर टीम के सदस्य मौके से भाग खड़े हुए। आक्रोशित रैयत सर्वे की जा रही भूमि को अपना पुश्तैनी रैयती जमीन बताकर प्रबंधन से वार्ता करने की बात कर रहे थे। ग्रामीणों का आरोप है कि सीसीएल प्रबंधन मां अंबे व मां लक्ष्मी एजेंसी के सहारे ग्रामीणों की भूमि हड़पने की जुगत में लगी है। जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जब तक उनके साथ प्रबंधन वार्ता कर उचित मुआवजे का भुगतान नहीं करती। तब तक न तो सर्वे करने दिया जाएगा और ना ही अन्य काम। रैयतों ने स्थानीय पुलिस पर भेदभाव करने का आरोप लगाया है।

बाईट : अमित कुमार चौधरी, भू-रैयत।
बाईट : सर्वेयर, माँ लक्ष्मी एजेंसी।


Body:ग्रामीणों ने बताया कि जिस भूमि का सर्वे सीसीएल के द्वारा मां अंबे व मां लक्ष्मी एजेंसी के माध्यम से कराया जा रहा है। वह उनकी पुश्तैनी निजी रैयती भूमि है। उक्त भूमि के सहारे ही न सिर्फ वर्षों से उनका व उनके परिवार का भरण-पोषण होते आ रहा है। बल्कि यही उनके जीविकोपार्जन का एकमात्र स्रोत है। जिसे पैरवी व पहुंच के सहारे हथियार के बदौलत सीसीएल प्रबंधन हड़पना चाहता है। ग्रामीणों ने कहा है कि जब तक सीसीएल प्रबंधन उनके साथ नियम संगत वार्ता कर उनकी मांगों को पूरा नहीं करता है। तब तक वह सर्वे का विरोध नियमित रूप से करते रहेंगे।


Conclusion:हालांकि मौके पर सर्वे को ले पहुंची टीम ग्रामीणों के विरोध के बाद भले ही मौके से बैरंग लौट गई हो। लेकिन टीम में शामिल सदस्यों का साफ तौर पर कहना है कि वरीय अधिकारियों के निर्देश पर भूमि का सर्वे किया जा रहा है जो किसी भी सूरत में नहीं रुकेगा। ग्रामीणों को अगर अपनी आपत्ति दर्ज करानी है तो वे प्रबंधन से बात करें।
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