चतरा: अमर सुहाग की कामना को लेकर सुहागिन महिलाओं ने वट वृक्ष की पूजा की. स्नान ध्यान के बाद सुहागिन महिलाएं नए वस्त्र धारण कर हाथों में पूजा की थाली लिए डोली की शक्ल में वट वृक्ष के नीचे पहुंची. जहां जल, रोली, चावल, सिंदूर, हल्दी, गुड, भीगा चना, मटर, फल व प्रसाद से विधि-विधान पूर्वक सावित्री तथा सत्यवान की पूजा अर्चना की.
इसके बाद महिलाओं ने सावित्री और सत्यवान की कथा भी सुनी. इस मौके पर महिला श्रद्धालुओं ने वट वृक्ष के तने में 108 बार कच्चा सूत्र लपेटकर अमर सुहाग की कामना की. इस मौके पर सुहागिनों ने कहा कि वट सावित्री पूजा सुहागिनों के अखंड सौभाग्य प्राप्त करने का प्रमाणिक और प्राचीन व्रत है. धर्म ग्रंथों में भी इस बात का उल्लेख है कि व्रत करने से अल्पायु पति भी दीर्घायु हो जाता है.
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उन्होंने बताया कि जब शतवाहन की आत्मा को यमराज लेने पहुंचे थे तब उनकी पत्नी सावित्री भी उनके पीछे-पीछे चल पड़ी थी. यमराज के काफी समझाने के बाद भी जब वह वापस नहीं लौटी तब विवश होकर यमराज ने सातवाहन के आत्मा का प्रवेश उसके मृत शरीर में करवा दिया था. उसी समय सावित्री ने वट सावित्री की पूजा की थी. तब से वट सावित्री पूजा सुहागिन महिलाएं करती आ रही हैं.