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चतरा के जंगलों में पत्थर माफिया कर रहे अवैध उत्खनन, अस्तित्व पर मंडरा रहा खतरा

एक ओर जहां केंद्र और राज्य सरकार वनों की सुरक्षा को लेकर जन कल्याणकारी योजनाओं का संचालन कर लोगों के बीच जनजागरूकता अभियान चलाने में जुटी है. दूसरी ओर वैश्विक महामारी कोरोना से देश और राज्य की सुरक्षा को लेकर सरकार द्वारा किये गए लॉकडाउन का वन माफिया भरपूर सदुपयोग कर रहे हैं.

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Published : Apr 18, 2020, 7:28 PM IST

Updated : May 25, 2020, 5:36 PM IST

Stone mafia doing illegal mining in Chatra forests
चतरा के जंगलों में पत्थर माफिया कर रहे अवैध उत्खनन

चतरा: लॉकडाउन के दौरान जहां लोग घरों में रहकर अपना और अपने परिवार की रक्षा और सुरक्षा की दुहाई मांग रहे हैं. वहीं, इसका फायदा उठाकर पत्थर माफिया काली कमाई करने में जुटे हैं. चंद रुपयों के लालच में विभागीय कर्मियों और अधिकारियों की मिली भगत से माफियाओं की नकारात्मक कार्यशैली सरकार के वन और पर्यावरण सुरक्षा के सपनों और योजनाओं पर न सिर्फ पानी फेर रही है, बल्कि पर्यावरण संतुलन को भी अनिश्चितता की ओर धकेलने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं.

हालात यह है कि वन कर्मियों और अधिकारियों की आंखों के सामने माफिया वन संपदाओं की खुलेआम तस्करी करने में जुटे हैं. इसके बावजूद वन विभाग के अधिकारी और कर्मी तस्करों के विरुद्ध कार्रवाई करने के बजाय मूकदर्शक बने बैठे हैं. मामला जिला मुख्यालय से महज पंद्रह किलोमीटर की दूरी पर स्थित सदर प्रखंड के कमात गांव से जुड़ा है. यहां सक्रिय पत्थर माफिया धड़ल्ले से न सिर्फ वन विभाग के पहाड़ का अवैध उत्खनन करने में जुटे हैं. बल्कि खुलेआम पहाड़ पर अवस्थित महंगे पत्थरों को अवैध तरीके से तुड़वाकर उनकी औने-पौने दाम में तस्करी भी कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें: 3 दिन पहले कोरोना पॉजिटिव महिला ने दिया था बच्चे को जन्म, सदर अस्पताल का प्रसूति विभाग हुआ सील

तस्करों के इस गंदे खेल में दक्षिणी वन प्रमंडल के अंतर्गत पड़ने वाले इस वन क्षेत्र के वनपाल और वनरक्षी समेत विभाग के अन्य कर्मी भी शामिल हैं. जो वन समिति के अध्यक्ष के माध्यम से तस्करों से अवैध उत्खनन और तस्करी के बदले कार्रवाई नहीं करने की शर्त पर मोटी रकम भी वसूल रहे हैं. ऐसे में न सिर्फ विभागीय उदासीनता के कारण वन संपदाओं का दोहन हो रहा है, बल्कि पर्यावरण संतुलन पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है. ग्रामीणों की माने तो तस्करों द्वारा अवैध उत्खनन कर प्रतिदिन ट्रैक्टरों के माध्यम से जंगली पहाड़ का पत्थर इलाके में संचालित क्रशरों में सप्लाई किया जा रहा है.

तस्करों के द्वारा कमात गांव में स्थित उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय के पीछे वन सीमा में अवस्थित पहाड़ से तस्कर पत्थरों का अवैध उत्खनन करवा रहे हैं. इस मामले से जब दक्षिणी वन प्रमंडल के वन प्रमंडल पदाधिकारी काली किंकर को अवगत कराया गया तो उन्होंने गंभीरता से लेते हुए दोषियों पर कार्रवाई की बात कही है. डीएफओ ने कहा है कि वनों और वन सम्पदाओं की सुरक्षा को ले विभाग पूरी तरह से गंभीर है. किसी भी परिस्थिति में वन सीमा से पत्थरों के तस्करी की इजाजत किसी को नहीं दी जाएगी. मामले की सूचना नहीं थी, अभी मिली है टीम को भेजकर कार्रवाई करवाई जाएगी. दोषियों को किसी भी सूरत में बक्शा नहीं जाएगा.

चतरा: लॉकडाउन के दौरान जहां लोग घरों में रहकर अपना और अपने परिवार की रक्षा और सुरक्षा की दुहाई मांग रहे हैं. वहीं, इसका फायदा उठाकर पत्थर माफिया काली कमाई करने में जुटे हैं. चंद रुपयों के लालच में विभागीय कर्मियों और अधिकारियों की मिली भगत से माफियाओं की नकारात्मक कार्यशैली सरकार के वन और पर्यावरण सुरक्षा के सपनों और योजनाओं पर न सिर्फ पानी फेर रही है, बल्कि पर्यावरण संतुलन को भी अनिश्चितता की ओर धकेलने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं.

हालात यह है कि वन कर्मियों और अधिकारियों की आंखों के सामने माफिया वन संपदाओं की खुलेआम तस्करी करने में जुटे हैं. इसके बावजूद वन विभाग के अधिकारी और कर्मी तस्करों के विरुद्ध कार्रवाई करने के बजाय मूकदर्शक बने बैठे हैं. मामला जिला मुख्यालय से महज पंद्रह किलोमीटर की दूरी पर स्थित सदर प्रखंड के कमात गांव से जुड़ा है. यहां सक्रिय पत्थर माफिया धड़ल्ले से न सिर्फ वन विभाग के पहाड़ का अवैध उत्खनन करने में जुटे हैं. बल्कि खुलेआम पहाड़ पर अवस्थित महंगे पत्थरों को अवैध तरीके से तुड़वाकर उनकी औने-पौने दाम में तस्करी भी कर रहे हैं.

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तस्करों के इस गंदे खेल में दक्षिणी वन प्रमंडल के अंतर्गत पड़ने वाले इस वन क्षेत्र के वनपाल और वनरक्षी समेत विभाग के अन्य कर्मी भी शामिल हैं. जो वन समिति के अध्यक्ष के माध्यम से तस्करों से अवैध उत्खनन और तस्करी के बदले कार्रवाई नहीं करने की शर्त पर मोटी रकम भी वसूल रहे हैं. ऐसे में न सिर्फ विभागीय उदासीनता के कारण वन संपदाओं का दोहन हो रहा है, बल्कि पर्यावरण संतुलन पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है. ग्रामीणों की माने तो तस्करों द्वारा अवैध उत्खनन कर प्रतिदिन ट्रैक्टरों के माध्यम से जंगली पहाड़ का पत्थर इलाके में संचालित क्रशरों में सप्लाई किया जा रहा है.

तस्करों के द्वारा कमात गांव में स्थित उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय के पीछे वन सीमा में अवस्थित पहाड़ से तस्कर पत्थरों का अवैध उत्खनन करवा रहे हैं. इस मामले से जब दक्षिणी वन प्रमंडल के वन प्रमंडल पदाधिकारी काली किंकर को अवगत कराया गया तो उन्होंने गंभीरता से लेते हुए दोषियों पर कार्रवाई की बात कही है. डीएफओ ने कहा है कि वनों और वन सम्पदाओं की सुरक्षा को ले विभाग पूरी तरह से गंभीर है. किसी भी परिस्थिति में वन सीमा से पत्थरों के तस्करी की इजाजत किसी को नहीं दी जाएगी. मामले की सूचना नहीं थी, अभी मिली है टीम को भेजकर कार्रवाई करवाई जाएगी. दोषियों को किसी भी सूरत में बक्शा नहीं जाएगा.

Last Updated : May 25, 2020, 5:36 PM IST
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