चतरा: जिला मुख्यालय से 25 किमी दूर जंगलों के बीच बसा सिमरिया प्रखंड के चंदिया गांव के लोगों की जिंदगी पगडंडी के सहारे रेंगती है. आजादी के दशकों बाद भी गांव को मूलभूत सुविधा नसीब नहीं हुआ है. पंचायती राज गठन होने के बाद भी गांव में गांधीजी के ग्राम स्वराज का सपना साकार होता नहीं दिख रहा है.
गांव की हालत यह है कि यहां न तो आंगनबाड़ी केंद्र है और न ही कोई अन्य सुविधा. गांव में एक स्कूल है, लेकिन यहां भी शिक्षकों की मनमानी चलती है और मनमर्जी से स्कूल खुलता है. गांव में आंगनबाड़ी केंद्र नहीं होने के कारण यहां के बच्चों को सरकार की ओर से उपलब्ध कराए जाने वाले पोषाहार योजना का लाभ भी बच्चों को नहीं मिल पाता है.
इस गांव में 60 घर है जिसकी आबादी लगभग 300 है. गांव में सड़क, सिंचाई चापाकल और आंगनबाड़ी केंद्र की सुविधा नहीं है. सड़क के अभाव में ग्रामीणों को पगडंडी के सहारे आवागमन करते हैं, जिससे लोगों को आने जाने में परेशानी होती है. पगडंडी का रास्ता भी गड्ढों में तब्दील है. बरसात में बीमार पड़ने वाले मरीजों को ले जाने में परेशानी होती है.
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गांव में कुआं है जिससे ग्रामीण प्यास बुझाते हैं. इसके साथ ही कुआं के पानी से खेतों की पटवन कर फसलों का उत्पादन करते हैं. गांव में विकास के नाम पर सिर्फ बिजली है. चंदिया के ग्रामीण लालदेव प्रसाद ने कहा कि सड़क नहीं होने से पगडंडी रास्ता से आने जाने में परेशानी होती है. ग्रामीणों का कहना है कि चापाकल नहीं होने से कुआं का पानी पीना पड़ रहा है. आंगनबाड़ी केंद्र नहीं होने से यहां के बच्चे नर्सरी की पढ़ाई करने से दूर है. सरकार की ओर से भले ही कागजों पर उनके लिए तमाम प्रकार की योजनाएं चलाई जा रही हो, लेकिन सच्चाई यह है कि धरातल पर इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. इस संबंध में जब ईटीवी भारत की टीम ने प्रखंड विकास पदाधिकारी अमित कुमार से जब बात की तो उन्होंने कहा कि चंदिया गांव की समस्याओं को जल्द दूर किया जाएगा.