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चतरा: सरकार किसी की भी हो, नहीं बदली किसानों की किस्मत, इस चुनाव में भी नहीं हैं मुद्दा

सिमरिया विधानसभा क्षेत्र से नेताओं की ओर से कई वादे किए जा रहे हैं, लेकिन यहां के किसान अपने क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों से काफी खफा नजर आ रहे हैं. उनका कहना है कि सिमरिया विधानसभा में हमेशा से ही किसान उपेक्षित रहे हैं. हर चुनाव में यहां के नेता किसानों को नजर अंदाज करते आए हैं.

नहीं बदली किसानों की किस्मत
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Published : Nov 17, 2019, 11:05 PM IST

चतरा: विधानसभा चुनाव की चुनावी बिगुल बजने के बाद से राजनीतिक पार्टियों की ओर से हर विषय को वोट का मुद्दा बनाया जा रहा है. सिमरिया विधानसभा क्षेत्र में भी इन दिनों नेताओं की ओर से कई वादे किए जा रहे हैं, लेकिन यहां के किसान अपने क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों से काफी खफा नजर आ रहे हैं.

देखें पूरी खबर

किसानों का दर्द आ रहा है सामने
भारत किसानों का देश है. ऐसा माना जाता है कि देश के 80 प्रतिशत भागों में किसान बसते हैं. झारखंड में भी कृषि रोजगार लोगों के लिए सबसे बड़ी आजीविका का साधन है और चतरा जिले की भी अधिकतर आबादी खेती पर निर्भर करती है. फिलहाल विधानसभा चुनाव को लेकर यहां की जनता चुनावी माहौल में रंग चुकी है, लेकिन इसी बीच यहां के किसानों का दर्द भी सामने आ रहा है.

ये भी पढ़ें-रघुवर कैबिनेट से सरयू राय का इस्तीफा, झारखंड विधानसभा की सदस्यता भी छोड़ी

दो वक्त की रोटी का ठीक से नहीं हो पा रहा है जुगाड़
यहां के किसानों का कहना है कि सिमरिया विधानसभा में हमेशा से ही किसान उपेक्षित रहे हैं. हर चुनाव में यहां के नेता किसानों को नजर अंदाज करते आए हैं. यहां के किसान साल भर खेती करने के बाद भी अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का जुगाड़ ठीक से नहीं कर पाते हैं. किसानों की यह समस्या कई दशकों से बनी हुई है, लेकिन किसी भी चुनाव में यहां के नेताओं के लिए यह चुनावी मुद्दा नहीं रहा है.

औने-पौने भाव में बेचनी पड़ती है सब्जियां और फल
सिमरिया विधानसभा क्षेत्र के किसानों ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि उनकी समस्याओं को देखने वाला कोई नहीं है. फसल उगाने के लिए किसान दिन-रात मेहनत करते हैं, लेकिन जब मुनाफे का वक्त आता है तो फसल दगा दे जाता है. इसके पीछे वजह यह भी है कि यहां पर फसलों को संरक्षित रखने को लेकर कोल्ड स्टोरेज जैसा कोई साधन नहीं है. ऐसे में किसी भी सब्जी और फल को औने-पौने भाव में बेचना पड़ता है.

ये भी पढ़ें-बीजेपी ने किया बूथस्तरीय सम्मेलन का आयोजन, विधायक ने कार्यकर्ताओं को दिए जीत के मंत्र

बैंकों और महाजनों से लेना पड़ता है कर्ज
ऐसे हालात में किसानों को आर्थिक और मानसिक परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है. इस तरह की अनेक समस्या किसानों के बीच हमेशा से है. सिमरिया विधानसभा के किसान लंबे समय से कोल्ड स्टोरेज बनाने की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन उनकी मांग आज तक पूरी नहीं हो सकी. कई बार सब्जी उत्पादन के लिए किसानों को बैंकों और महाजनों से कर्ज लेना पड़ता है. क्षेत्र में सब्जी, फल आदि भंडारण के लिए एक भी कोल्ड स्टोरेज नहीं बन सका है. इसके अभाव में किसान अपना उत्पादन ओने-पौने दाम में बेचने को विवश है.

ये भी पढ़ें-सीटिंग विधायक का टिकट काटकर इंद्रजीत को बीजेपी ने बनाया प्रत्याशी, कहा- भारत के मैप में चमकेगा सिंदरी

कोल्ड स्टोरेज किसानों के लिए है सबसे बड़ा मुद्दा
कई बार तो किसान लागत मूल्य पाने के लिए भी तरस जाते हैं. उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण महाजनों का मूलधन तो दूर की बाच है सूद तक नहीं चुका पाते हैं. दुर्भाग्य की बात यह है कि किसानों के नाम पर यहां राजनीतिक खूब होती है, लेकिन किसी पार्टी ने इसके लिए कभी आंदोलन नहीं चलाया. किसी ने आवाज नहीं उठाई कि यहां कोल्ड स्टोरेज क्यों नहीं बन रहे हैं. इसे लेकर किसानों में रोष है. इस चुनाव में किसानों के लिए कोल्ड स्टोरेज सबसे बड़ा मुद्दा है.

चतरा: विधानसभा चुनाव की चुनावी बिगुल बजने के बाद से राजनीतिक पार्टियों की ओर से हर विषय को वोट का मुद्दा बनाया जा रहा है. सिमरिया विधानसभा क्षेत्र में भी इन दिनों नेताओं की ओर से कई वादे किए जा रहे हैं, लेकिन यहां के किसान अपने क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों से काफी खफा नजर आ रहे हैं.

देखें पूरी खबर

किसानों का दर्द आ रहा है सामने
भारत किसानों का देश है. ऐसा माना जाता है कि देश के 80 प्रतिशत भागों में किसान बसते हैं. झारखंड में भी कृषि रोजगार लोगों के लिए सबसे बड़ी आजीविका का साधन है और चतरा जिले की भी अधिकतर आबादी खेती पर निर्भर करती है. फिलहाल विधानसभा चुनाव को लेकर यहां की जनता चुनावी माहौल में रंग चुकी है, लेकिन इसी बीच यहां के किसानों का दर्द भी सामने आ रहा है.

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दो वक्त की रोटी का ठीक से नहीं हो पा रहा है जुगाड़
यहां के किसानों का कहना है कि सिमरिया विधानसभा में हमेशा से ही किसान उपेक्षित रहे हैं. हर चुनाव में यहां के नेता किसानों को नजर अंदाज करते आए हैं. यहां के किसान साल भर खेती करने के बाद भी अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का जुगाड़ ठीक से नहीं कर पाते हैं. किसानों की यह समस्या कई दशकों से बनी हुई है, लेकिन किसी भी चुनाव में यहां के नेताओं के लिए यह चुनावी मुद्दा नहीं रहा है.

औने-पौने भाव में बेचनी पड़ती है सब्जियां और फल
सिमरिया विधानसभा क्षेत्र के किसानों ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि उनकी समस्याओं को देखने वाला कोई नहीं है. फसल उगाने के लिए किसान दिन-रात मेहनत करते हैं, लेकिन जब मुनाफे का वक्त आता है तो फसल दगा दे जाता है. इसके पीछे वजह यह भी है कि यहां पर फसलों को संरक्षित रखने को लेकर कोल्ड स्टोरेज जैसा कोई साधन नहीं है. ऐसे में किसी भी सब्जी और फल को औने-पौने भाव में बेचना पड़ता है.

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बैंकों और महाजनों से लेना पड़ता है कर्ज
ऐसे हालात में किसानों को आर्थिक और मानसिक परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है. इस तरह की अनेक समस्या किसानों के बीच हमेशा से है. सिमरिया विधानसभा के किसान लंबे समय से कोल्ड स्टोरेज बनाने की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन उनकी मांग आज तक पूरी नहीं हो सकी. कई बार सब्जी उत्पादन के लिए किसानों को बैंकों और महाजनों से कर्ज लेना पड़ता है. क्षेत्र में सब्जी, फल आदि भंडारण के लिए एक भी कोल्ड स्टोरेज नहीं बन सका है. इसके अभाव में किसान अपना उत्पादन ओने-पौने दाम में बेचने को विवश है.

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कोल्ड स्टोरेज किसानों के लिए है सबसे बड़ा मुद्दा
कई बार तो किसान लागत मूल्य पाने के लिए भी तरस जाते हैं. उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण महाजनों का मूलधन तो दूर की बाच है सूद तक नहीं चुका पाते हैं. दुर्भाग्य की बात यह है कि किसानों के नाम पर यहां राजनीतिक खूब होती है, लेकिन किसी पार्टी ने इसके लिए कभी आंदोलन नहीं चलाया. किसी ने आवाज नहीं उठाई कि यहां कोल्ड स्टोरेज क्यों नहीं बन रहे हैं. इसे लेकर किसानों में रोष है. इस चुनाव में किसानों के लिए कोल्ड स्टोरेज सबसे बड़ा मुद्दा है.

Intro:चतरा: सरकार किसी का भी हो, नहीं बदली किसानों की किस्मत, इस चुनाव में भी नहीं हैं मुद्दा

चतरा: विधानसभा चुनाव की चुनावी बिगुल बजने के बाद से राजनीतिक पार्टियों द्वारा हर विषय को वोट का मुद्दा बनाया जा रहा है। सिमरिया विधानसभा क्षेत्र में भी इन दिनों नेताओं के द्वारा कई वादे किए जा रहे हैं। लेकिन यहां के किसान अपने क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों से काफी खफा नजर आ रहे हैं। भारत किसानों का देश है, ऐसा माना जाता है कि इस देश के 80 प्रतिशत भागों में किसान बसते हैं। झारखंड में भी कृषि रोजगार लोगों के लिए सबसे बड़ी आजीविका का साधन है। इस राज्य के चतरा जिले का भी अधिकतर आबादी खेती पर निर्भर है। फिलहाल विधानसभा चुनाव 2019 को लेकर यहां की जनता चुनावी माहौल में रंग चुकी है। लेकिन इसी बीच यहां के किसानों का दर्द भी सामने आ रहा है। स्थानीय किसानों का मानना है कि सिमरिया विधानसभा में हमेशा से ही किसान उपेक्षित रहे हैं। किसी भी चुनाव में यहां के नेता किसानों को नजरअंदाज करते आए हैं। यहां के किसान पूरे साल खेती करने के बाद भी अपना परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का जुगाड़ ठीक से नहीं कर पाते हैं। किसानों की यह समस्या कई दशक से भी ज्यादा समय से एक बड़ी समस्या के रूप में सामने है।

1.बाईट--- किसान, जगदीश महतो
2.बाईट--- किसान, गोकुल साव
3.बाईट--- किसान, धनेश्वर प्रसादBody: लेकिन किसी भी चुनाव में यहां के नेताओं के लिए यह चुनाव मुद्दा नहीं रहा। सिमरिया विधानसभा क्षेत्र के किसानों ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि उनकी समस्याओं को देखने वाला कोई नहीं है। फसल उगाने के लिए किसान मेहनत तो खूब करते हैं, पर जब मुनाफे का वक्त आता है तो फसल दगा दे जाती है। इसके पीछे वजह यह भी है कि यहां पर फसलों को संरक्षित रखने को लेकर कोल्ड स्टोरेज ऐसा कोई साधन नहीं है। ऐसे में किसी भी सब्जी और फल को आनन-फानन में कम भाव पर बेचना पड़ता है। जिससे किसानों को उनकी फसलों का बेहतर मूल्य नहीं मिल पाता है। ऐसे हालात में किसान आर्थिक और मानसिक परेशानियों का भी सामना करते हैं। इस तरह की अनेक समस्या किसानों के बीच हमेशा से है। सिमरिया विधानसभा के किसान लंबे समय से कोल्ड स्टोरेज बनाने की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन उनकी मांग पूरी नहीं हो सकी। कई बार सब्जी उत्पादन के लिए किसानों को बैंकों और महाजन से शरण लेना पड़ता है। क्षेत्र में सब्जी फल आदि भंडारण के लिए एक भी कोल्ड स्टोरेज नहीं बन सका। इसके अभाव में किसान अपना उत्पादन ओने पौने दाम में बेचने को विवश है। कई बार तो यह किसान लागत मूल्य पाने के लिए तरस कर जाते हैं। उचित व्यवस्था नहीं होने का कारण मूलधन तो दूर सूद तक नहीं चुका पाते हैं। Conclusion:दुर्भाग्य की बात यह है कि किसानों के नाम पर यहां राजनीतिक खूब होती है, लेकिन किसी पार्टी ने इसके लिए कभी आंदोलन नहीं चलाया। किसी ने आवाज नहीं उठाई कि कोल्ड स्टोरेज क्यों नहीं बन रहे हैं। किसी भी चुनाव में यह चुनावी मुद्दा नहीं बन पाता है। वहीं जब नेता चुन के हमारे बीच आते हैं तो वादे खूब करते हैं पर धरातल पर उतर नहीं पाता है। अभी तक सिर्फ किसानों को नेताओं द्वारा वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है। इसे लेकर किसानों में रोष देखा जा रहा है इस चुनाव में किसानों के लिए कोल्ड स्टोरेज सबसे बड़ा मुद्दा है।

मोहम्मद अरबाज ईटीवी भारत सिमरिया चतरा
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