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कैसे होगा PM आवास का सपना साकार! वर्षों से अधूरा है दिव्यांग आदिवासी का घर - पीएम आवास योजना के लाभुक

पीएम आवास योजना के तहत केंद्र सरकार ने 2022 तक देश के सभी गरीबों को पक्का घर देने का वादा किया है, लेकिन इस योजना की जमीनी हकीकत कुछ और ही है. चतरा जिले के सिमरिया प्रखंड में विभागीय लापरवाही के कारण पिछले 4 सालों से लाभुक का घर अधूरा है.

पीड़ित लाभुक
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Published : Nov 4, 2019, 3:20 PM IST

चतरा: प्रधानमंत्री आवास योजना गरीबों के सपनों को साकार करने की दिशा में उठाया गया कदम है. केंद्र सरकार ने इस योजना के माध्यम से 2022 तक देश के सभी गरीबों को पक्का मकान देने का वादा किया है, लेकिन जिले के सिमरिया प्रखंड में पीएम आवास योजना की जमीनी हकीकत कुछ और ही है.

देखें पूरी खबर

सिमरिया प्रखंड के रोल गांव निवासी ममता उरांव को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 2015 में पक्का घर बनाने के लिए अनुदान राशि मिली थी. सरकारी मदद से घर मिलने पर ममता उरांव का परिवार काफी खुश था. उन्होंने पक्के मकान की नींव भी रखी थी, जिसके बदले उन्हें योजना के तहत पहली किस्त की राशी भी मिली थी, लेकिन आदिवासी समाज के ममता उरांव का पक्के मकान में रहने का सपना आजतक पूरा नहीं हो सका. विभागीय लापरवाही के कारण इस योजना की सिर्फ एक किस्त ही उनको मिल पाया. 4 साल बीत जाने के बाद भी बाकी बचे रुपयों के लिए ममता उरांव को आजतक विभागीय चक्कर लगाने पड़ रहे हैं.

ये भी पढ़ें- सोमवार को कांग्रेस स्टेट इलेक्शन कमेटी की बैठक, पहले फेज के चुनाव के उम्मीदवार का होगा फैसला

इस मामले को लेकर जब ईटीवी भारत की टीम ने उप प्रमुख ललिता देवी से बात किया तो उन्होंने इस मामले की जानकारी नहीं होने की बात कही और बाद में आश्वासन देते हुए कहा कि योजना के तहत बाकी बचे रुपयों को वह जल्द ही लाभुक को दिला देंगे. पीएम आवास योजना के लाभुक ममता उरांव ने बताया कि उनकी माली हालत काफी खराब है. वे एक पैर से दिव्यांग भी है. उनके घर में सिर्फ उनकी पत्नी ही कमाने वाली है, जो मजदूरी करके परिवार का जीवन-यापन कर रही है. हालांकि, ममता उरांव को आज भी अधूरे मकान को पूरा होने का उम्मीद है.

चतरा: प्रधानमंत्री आवास योजना गरीबों के सपनों को साकार करने की दिशा में उठाया गया कदम है. केंद्र सरकार ने इस योजना के माध्यम से 2022 तक देश के सभी गरीबों को पक्का मकान देने का वादा किया है, लेकिन जिले के सिमरिया प्रखंड में पीएम आवास योजना की जमीनी हकीकत कुछ और ही है.

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सिमरिया प्रखंड के रोल गांव निवासी ममता उरांव को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 2015 में पक्का घर बनाने के लिए अनुदान राशि मिली थी. सरकारी मदद से घर मिलने पर ममता उरांव का परिवार काफी खुश था. उन्होंने पक्के मकान की नींव भी रखी थी, जिसके बदले उन्हें योजना के तहत पहली किस्त की राशी भी मिली थी, लेकिन आदिवासी समाज के ममता उरांव का पक्के मकान में रहने का सपना आजतक पूरा नहीं हो सका. विभागीय लापरवाही के कारण इस योजना की सिर्फ एक किस्त ही उनको मिल पाया. 4 साल बीत जाने के बाद भी बाकी बचे रुपयों के लिए ममता उरांव को आजतक विभागीय चक्कर लगाने पड़ रहे हैं.

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इस मामले को लेकर जब ईटीवी भारत की टीम ने उप प्रमुख ललिता देवी से बात किया तो उन्होंने इस मामले की जानकारी नहीं होने की बात कही और बाद में आश्वासन देते हुए कहा कि योजना के तहत बाकी बचे रुपयों को वह जल्द ही लाभुक को दिला देंगे. पीएम आवास योजना के लाभुक ममता उरांव ने बताया कि उनकी माली हालत काफी खराब है. वे एक पैर से दिव्यांग भी है. उनके घर में सिर्फ उनकी पत्नी ही कमाने वाली है, जो मजदूरी करके परिवार का जीवन-यापन कर रही है. हालांकि, ममता उरांव को आज भी अधूरे मकान को पूरा होने का उम्मीद है.

Intro:कैसे होगा पीएम आवास का सपना साकार, विकलांग को नहीं मिली पीएम आवास योजना की राशि

चतरा/सिमरिया: प्रधानमंत्री का सपना है कि सभी गरीबों का आवास हो। और राज्य सरकार आदिवासियों के लिए कई योजनाएं संचालित कर रही है। शासन और प्रशासन भी इस योजना को पूरा करने का दावा कर रही है। लेकिन धरातल पर सच्चाई कुछ और ही बयां कर रही है। चतरा जिले के सिमरिया प्रखंड रोल गांव निवासी आदिवासी ममता उरांव जो एक पैर से विकलांग है। इसकी पत्नी अपनी कमाई से अपने परिवार का गुजारा बसर कर रही है।

1. बाईट--- आदिवासी ममता उरांव
2. उपप्रमुख ललिता देवी, सिमरिया प्रखंडBody:जब ईटीवी भारत के टीम ने इसके घर पर पहुंचे तो इसका एक अजीबो गरीब दास्तान सुनने को मिला। ममता उरांव को चार वर्ष पहले सरकार द्वारा आवास मिला। लेकिन आवास बनाने के लिए विभाग द्वारा एक किस्त का पैसा देकर छोड़ दिया गया। जिसके कारण ममता उरांव का आज भी मकान आधा अधूरा पड़ा हुआ है। बारिश के महीने में ममता उरांव अपने परिवारों के साथ रहने के लिए बेबस और मजबूत हो गया है। विकलांग ममता कई बार अपने बाकी किस्त के पैसों को लेकर सरकारी कार्यालयों का चक्कर लगा चुके हैं।Conclusion:लेकिन कोई भी पदाधिकारी व प्रतिनिधि ममता उरांव का आज तक रहनुमा नहीं बना जो बाकी किस्त का पैसा दिला सके। वहीं जब इस बबात को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने उप प्रमुख ललिता देवी से कारण पूछा तो उन्होंने इसकी जानकारी नहीं होने की बात कही। इसके बाद प्रखंड विकास पदाधिकारी को लिखित आवेदन देकर ममत उरांव की पीएम आवास का बाकी किस्त का पैसा दिलाने का भरोसा दिया है।

मोहम्मद अरबाज ईटीवी भारत सिमरिया चतरा
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