चतरा: जिले के कन्हचट्टी प्रखंड के अंतर्गत चिरिदिरी गांव के विलास साव के परिवार को किसी फरिश्ते का इंतजार है जो उसके बच्चे का इलाज करा सके. दरअसल यह दर्द भरी दास्तां गरीब परिवार से ताल्लुकात रखने वाले विलास के पुत्र की है. जिसकी जिंदगी महज एक चारपाई में सिमटी है. उस मासूम का नाम शिवनंदन है उसकी उम्र महज 13 वर्ष है. वह तेरह वर्षों से जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा है.
दरअसल वह लकवा से ग्रसित है. उसकी यह स्थिति बचपन से ही है. शिवनंदन कान्हाचट्टी प्रखंड के चिरिदिरी गांव निवासी विलास साव का पुत्र है. आर्थिक विपन्नता के कारण आज तक उसका समुचित उपचार नहीं हो सका. ऐसे में जिंदगी और मौत से जूझ रहे शिवनंदन को किसी फरिश्ते का इंतजार है. परिवार वालों ने बताया कि जन्म के समय ही लकवा और निमोनिया से ग्रसित हो गया था. पैसों के अभाव में बचपन में उसका समुचित इलाज नहीं कराया जा सका. जिसका नतीजा हुआ कि उसका पूरा शरीर लकवा ग्रसित हो गया.
हालात ने उसे इतना मजबूर कर दिया है, वह ईश्वर से मौत की भीख मांग रहा है. घर वालों की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर है. पिता चना बेचकर परिवार वालों का पेट पाल रहा है. विलास साव कहते हैं कि अपने बेटे के इलाज में सारी जगह-जमीन बेच दी. अब उनके पास इतना पैसा नहीं है कि वह अपने बेटे का बेहतर उपचार करा सके. फिर भी सामर्थ के मुताबिक उपचार कराया. करीब पांच वर्ष पूर्वी हजारीबाग और रांची के डॉक्टरों ने उन्हें एम्स में इलाज कराने की सलाह दी थी लेकिन पॉकेट में इतना रुपया नहीं है कि दो जून का भर पेट रोटी खा सकूं. हालात ने उस मासूम को अपने हाल पर छोड़ दिया है. विलास साव को अब उन्हें सरकारी और आम लोगों की सहायता की सख्त आवश्यकता है तभी वह अपने जिगर के टुकड़े की जान बचा सकता है.
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हालांकि ईटीवी भारत की टीम ने जब शिवनंदन के दर्द को राज्य के श्रम नियोजन मंत्री सत्यानंद भोक्ता को अवगत कराया तो उन्होंने तुरंत जिले के सिविल सर्जन को सरकारी खर्चे पर उसका इलाज कराने का आदेश दिया है. मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने कहा है कि वे प्रयास कर रहे हैं की शिवनंदन का सरकारी खर्च पर समुचित इलाज हो जाए, ताकि न सिर्फ उसे गंभीर बीमारी से छुटकारा मिल जाए बल्कि वह एक आम जिंदगी भी जी सके.