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झारखंड बंद का चतरा में दिखा असर, नहीं चली लंबी दूरी की बसें, दुकानें भी रही बंद

नक्सली संगठन टीएसपीसी द्वारा किए गए दो दिवसीय झारखंड बंद का चतरा में खास असर देखने को मिला. बंद से रेलवे और सीसीएल द्वारा संचालित कोल परियोजनाओं को करोड़ों रुपए के नुकसान होने की संभावना है.

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Published : Mar 18, 2019, 7:58 PM IST

चतरा नकसली

चतरा: पुलिसिया दमन के विरोध में प्रतिबंधित नक्सली संगठन टीएसपीसी द्वारा किए गए दो दिवसीय झारखंड बंद का चतरा में खास असर देखने को मिला. नक्सली बंदी का सबसे व्यापक असर कोल परियोजनाओं पर पड़ा है.

चतरा नकसली

जानकारी के अनुसार पिपरवार, अशोका, मगध और आम्रपाली कोल परियोजना में कोयला का उत्पादन और डिस्पैच कार्य नक्सल भय के कारण पूरी तरह से ठप पड़ा रहा. एनटीपीसी और भेल कंपनी में संचालित परियोजना पर भी सन्नाटा पसरा रहा. इस बंद से आम जगजीवन ज्यादा प्रभावित हुआ.

वहीं, चतरा से होकर गुजरने वाली राष्ट्रीय राजमार्ग 99 और 100 पर यात्री और मालवाहक वाहनों का परिचालन पूरी तरह से ठप रहा, जिसके कारण सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा. यात्री परेशान होकर सड़कों पर पैदल चलकर अपने गंतव्य स्थान की ओर जाते दिखाई पड़े. कई जगहों पर सड़कों के किनारे ट्रकों की लंबी कतारें खड़ी रही. यात्री वाहन जहां तहां खड़े कर दिए गए थे.

बंद से रेलवे और सीसीएल द्वारा संचालित कोल परियोजनाओं को करोड़ों रुपए के नुकसान होने की संभावना है. नक्सल बंदी को लेकर जगह-जगह पर सुरक्षा के चाक-चौबंद प्रबंध किए गए थे. पुलिस वाहनों से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पेट्रोलिंग करती रही ताकि किसी भी अनहोनी से सुरक्षा बल निपट सके.

चतरा: पुलिसिया दमन के विरोध में प्रतिबंधित नक्सली संगठन टीएसपीसी द्वारा किए गए दो दिवसीय झारखंड बंद का चतरा में खास असर देखने को मिला. नक्सली बंदी का सबसे व्यापक असर कोल परियोजनाओं पर पड़ा है.

चतरा नकसली

जानकारी के अनुसार पिपरवार, अशोका, मगध और आम्रपाली कोल परियोजना में कोयला का उत्पादन और डिस्पैच कार्य नक्सल भय के कारण पूरी तरह से ठप पड़ा रहा. एनटीपीसी और भेल कंपनी में संचालित परियोजना पर भी सन्नाटा पसरा रहा. इस बंद से आम जगजीवन ज्यादा प्रभावित हुआ.

वहीं, चतरा से होकर गुजरने वाली राष्ट्रीय राजमार्ग 99 और 100 पर यात्री और मालवाहक वाहनों का परिचालन पूरी तरह से ठप रहा, जिसके कारण सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा. यात्री परेशान होकर सड़कों पर पैदल चलकर अपने गंतव्य स्थान की ओर जाते दिखाई पड़े. कई जगहों पर सड़कों के किनारे ट्रकों की लंबी कतारें खड़ी रही. यात्री वाहन जहां तहां खड़े कर दिए गए थे.

बंद से रेलवे और सीसीएल द्वारा संचालित कोल परियोजनाओं को करोड़ों रुपए के नुकसान होने की संभावना है. नक्सल बंदी को लेकर जगह-जगह पर सुरक्षा के चाक-चौबंद प्रबंध किए गए थे. पुलिस वाहनों से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पेट्रोलिंग करती रही ताकि किसी भी अनहोनी से सुरक्षा बल निपट सके.

Intro:नक्सल बंदी से थमा रफ्तार का पहिया

चतरा : पुलिसिया दमन के विरोध में प्रतिबंधित नक्सली संगठन टीएसपीसी द्वारा बुलाए गए दो दिवसीय झारखंड बंद का चतरा में खासा असर रहा। जिले में नक्सली बंदी का सबसे व्यापक असर कोल परियोजनाओं पर पड़ा है। पिपरवार, अशोका, मगध व आम्रपाली कोल परियोजना में कोयला का उत्पादन और डिस्पैच कार्य नक्सल भय के कारण पूरी तरह से ठप रहा। एनटीपीसी और भेल कंपनी में संचालित परियोजनाएं पर भी सन्नाटा पसरा रहा। चतरा से होकर गुजरने वाली राष्ट्रीय राजमार्ग 99 और 100 पर यात्री व मालवाहक वाहनों का परिचालन पूरी तरह से ठप रहा। जिसके कारण सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा। यात्री परेशान होकर सड़कों पर पैदल चलकर अपने गंतव्य स्थान की ओर जाते दिखाई पड़े। कई जगहों पर सड़कों के किनारे ट्रकों की लंबी कतारें खड़ी रही। यात्री वाहन जहां तहां खड़े कर दिए गए थे। बंद से रेलवे व सीसीएल द्वारा संचालित कोल परिजनों को करोड़ों रुपए के नुकसान होने की संभावना है। नक्सल बंदी को लेकर जगह-जगह पर सुरक्षा के चाक-चौबंद प्रबंध किए गए थे। पुलिस बख्तरबंद वाहनों से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पेट्रोलिंग करती रही ताकि किसी भी अनहोनी से निपटने के लिए सुरक्षा बल तत्पर रहें।


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