चतरा: जिले से 40 किमी दूर कुंदा प्रखंड में एक किला है, जिसे चेरों राजाओं ने 14वीं शताब्दी में बनाया था. यह अब जीर्ण शीर्ण हो गया है. 1886 तक यह खड़ा था. दाऊद खां को इस पर कब्जा करने के लिए छह महीने तक प्रतिरोध करना पड़ा था. किला खंडहर में तब्दील होता जा रहा है. यह किला अपनी पहचान खोता जा रहा है. राज्य और जिला प्रशासन के उदासीनता के कारण किला का अस्तित्व मिटने की कगार पर है. किले से कुछ ही दूरी पर प्रसिद्ध पर्यटक स्थल महादेव मठ है.
किले के अस्तिस्व पर खतरा
कुंदा का यह किला 16वीं सदी की है. बुजुर्ग बताते हैं कि किले में अकूत संपत्ति छीपी है. वर्तमान समय में राजघराने के लोग राजस्थान के जयपुर में रहते है. उनका संबंध खरवार राजपूत जाति से है. किले को पत्थर और चुना से जोड़कर बनाया गया है. किले की लंबाई 92 मीटर, चौड़ाई 52 मीटर और ऊंचाई 10 मीटर है. तीन मंजिला यह किला तीन दिशा से नदी और पहड़ों से घिरा हुआ है, जो सैनिक के सुरक्षा की दृष्टि से मत्वपूर्ण माना जाता था. पुरातत्व विभाग की उदासीनता के कारण किले के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है. किले की चहारदीवारी के पत्थर को उखाड़कर दूसरे कामों में उपयोग किया जा रहा है. इतिहासकार सह चतरा कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. इफ्तेखार आलम ने बताया कि 1660 में औरंगजेब के सूबेदार दाउद खां ने किला पर हमला किया था. छह माह तक चली लड़ाई के बाद किले पर फतहा पाई. फौज की कमी होने के बावजूद कुंदा राजा के सैनिकों ने मुगल सैनिकों को छह माह तक रोके रखा.
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कुंदा किला पर किया था आक्रमण
इफ्तेखार आलम ने बताया कि दाउद खां ने कोठी किला फतहा करने के बाद कुंदा किला पर आक्रमण किया था. कुंदा फतहा के बाद ही उसे मेदनीनगर जाना था, इसलिए यहां रूककर आक्रमण करता रहा. चतरा में आज भी मुगल काल का इतिहास वर्णित है. यहां खरवारों और राजपूतों का सल्तनत रहा है. कुंदा राजा किला के पूरब दिशा में स्थित है. महादेव मठ सह शिव गुफा मंदिर. पहाड़ी को तराश कर एक शिव मंदिर का निर्माण कराया गया है, जो आज भी शिव गुफा के नाम से प्रसिद्ध है. इस गुफा में स्थित शिवलिंग भी उसी पहाड़ी के एक पत्थर का हिस्सा है, जो आप रूपी शिवलिंग का रूप लिया है. शिवलिंग पर हमेशा पानी टपकता रहता है. आज भी यह रहस्यमय बना हुआ है. राजा ने ही शिव मंदिर का निर्माण कराया था. यहां बडी संख्या में श्रद्धालु पूजा अर्चना करने आते हैं. शिवरात्रि के मौके पर मेला का आयोजन होता है.
प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुप से रोजगार का अवसर
स्थानीय लोगों का कहना हैं कि ऐतिहासिक किला होने के बावजूद भी भारतीय पुरातत्व विभाग का ध्यान इस ओर नहीं है. किला का जीर्णोद्धार किया जाता हैं, तो पर्यटक स्थल बन सकता है. जिससे यहां के लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुप से रोजगार का अवसर मिलेगा. जिससे लोग प्रखंड में ही रहकर जीविकोपार्जन करेंगे. साथ ही लोग किला का इतिहास जान पाएंगे.