जामताड़ा: देश भर में हर साल 8 मार्च को महिलाओं के हक और अधिकार की बात की जाती है. इस साल भी 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर कई कार्यक्रम आयोजित किए गए और कई महिलाओं को सम्मानित भी किया गया. लेकिन जामताड़ा रेलवे साइडिंग में काम करने वाली महिला मजदूरों को आज भी उनका हक और वाजिब अधिकार नहीं मिल पा रहा है.
8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है, उनके सम्मान की बात की जाती है. लेकिन जिले में रेलवे साइडिंग में काम करने वाली महिलाओं की कहानी कुछ और ही बयां कर रही है. जिले की महिला मजदूर मात्र 80 रुपए न्यूनतम मजदूरी में काम करने के लिए मजबूर है.
यहां की अधिकतर आदिवासी महिलाएं मजदूर हैं. जो अपने रोजी रोटी के लिए यहां पर कमर तोड़ कोयले की धूल मे मजदूरी करती है. बावजूद उनके काम का भी उन्हें सही ठंग से मजदूरी नहीं मिल पाता है. और न ही सरकार द्वारा मजदूरों के लिए चलाई जा रही योजना का लाभ पहुंच पा रहा है.
वहीं, महिला मजदूर का कहना है कि 25 साल से रेलवे रेलवे साइडिंग में मजदूरी का काम कर रही है. जिसकी मजदूरी पहले 20 रुपए था, अभी 80 मिल रहा है. लेकिन वह भी समय पर नहीं मिलता है. 2 महीना 3 महीना पर पैसा दिया जाता है. इधर, यहां काम करने वाले मजदूर बताते हैं कि उन्हें शोषण करके रखा जाता है. यदि कोई अपने हक की बात करता है तो उसे काम से हटा दिया जाता है, या बैठा दिया जाता है. जिसके डर से कोई मजदूर बिना कुछ बोले अपना काम करते हैं.