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रेलवे साइडिंग में काम करने को मजबूर है ये महिलाएं, मात्र 80 रुपए मिलती है मजदूरी

जिले की महिला मजदूर मात्र 80 रुपए न्यूनतम मजदूरी में काम करने के लिए मजबूर है. इसकी सूध लेने वाला कोई भी नहीं है.

मात्र 80 रुपए मिलती है मजदूरी
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Published : Mar 9, 2019, 2:56 PM IST

जामताड़ा: देश भर में हर साल 8 मार्च को महिलाओं के हक और अधिकार की बात की जाती है. इस साल भी 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर कई कार्यक्रम आयोजित किए गए और कई महिलाओं को सम्मानित भी किया गया. लेकिन जामताड़ा रेलवे साइडिंग में काम करने वाली महिला मजदूरों को आज भी उनका हक और वाजिब अधिकार नहीं मिल पा रहा है.

8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है, उनके सम्मान की बात की जाती है. लेकिन जिले में रेलवे साइडिंग में काम करने वाली महिलाओं की कहानी कुछ और ही बयां कर रही है. जिले की महिला मजदूर मात्र 80 रुपए न्यूनतम मजदूरी में काम करने के लिए मजबूर है.

यहां की अधिकतर आदिवासी महिलाएं मजदूर हैं. जो अपने रोजी रोटी के लिए यहां पर कमर तोड़ कोयले की धूल मे मजदूरी करती है. बावजूद उनके काम का भी उन्हें सही ठंग से मजदूरी नहीं मिल पाता है. और न ही सरकार द्वारा मजदूरों के लिए चलाई जा रही योजना का लाभ पहुंच पा रहा है.

वहीं, महिला मजदूर का कहना है कि 25 साल से रेलवे रेलवे साइडिंग में मजदूरी का काम कर रही है. जिसकी मजदूरी पहले 20 रुपए था, अभी 80 मिल रहा है. लेकिन वह भी समय पर नहीं मिलता है. 2 महीना 3 महीना पर पैसा दिया जाता है. इधर, यहां काम करने वाले मजदूर बताते हैं कि उन्हें शोषण करके रखा जाता है. यदि कोई अपने हक की बात करता है तो उसे काम से हटा दिया जाता है, या बैठा दिया जाता है. जिसके डर से कोई मजदूर बिना कुछ बोले अपना काम करते हैं.

जामताड़ा: देश भर में हर साल 8 मार्च को महिलाओं के हक और अधिकार की बात की जाती है. इस साल भी 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर कई कार्यक्रम आयोजित किए गए और कई महिलाओं को सम्मानित भी किया गया. लेकिन जामताड़ा रेलवे साइडिंग में काम करने वाली महिला मजदूरों को आज भी उनका हक और वाजिब अधिकार नहीं मिल पा रहा है.

8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है, उनके सम्मान की बात की जाती है. लेकिन जिले में रेलवे साइडिंग में काम करने वाली महिलाओं की कहानी कुछ और ही बयां कर रही है. जिले की महिला मजदूर मात्र 80 रुपए न्यूनतम मजदूरी में काम करने के लिए मजबूर है.

यहां की अधिकतर आदिवासी महिलाएं मजदूर हैं. जो अपने रोजी रोटी के लिए यहां पर कमर तोड़ कोयले की धूल मे मजदूरी करती है. बावजूद उनके काम का भी उन्हें सही ठंग से मजदूरी नहीं मिल पाता है. और न ही सरकार द्वारा मजदूरों के लिए चलाई जा रही योजना का लाभ पहुंच पा रहा है.

वहीं, महिला मजदूर का कहना है कि 25 साल से रेलवे रेलवे साइडिंग में मजदूरी का काम कर रही है. जिसकी मजदूरी पहले 20 रुपए था, अभी 80 मिल रहा है. लेकिन वह भी समय पर नहीं मिलता है. 2 महीना 3 महीना पर पैसा दिया जाता है. इधर, यहां काम करने वाले मजदूर बताते हैं कि उन्हें शोषण करके रखा जाता है. यदि कोई अपने हक की बात करता है तो उसे काम से हटा दिया जाता है, या बैठा दिया जाता है. जिसके डर से कोई मजदूर बिना कुछ बोले अपना काम करते हैं.

Intro:जामताड़ा रेलवे साइडिंग में ₹80 मजदूरी पर काम करती है महिलाएं ।अधिकांश महिलाएं आदिवासी हैं इनका आज तक न्यूनतम मजदूरी भी नहीं मिलता है जिसके चित्रा प्रशासन और स्थानीय प्रशासन गंभीर है।


Body:8 मार्च प्रत्येक वर्ष महिलाओं के हक और अधिकार के लिए अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है ।हर साल 8 मार्च को महिलाओं के हक और अधिकार की बात की जाती है। उनके सम्मान की बात की जाती है। इस साल भी 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर कई कार्यक्रम आयोजित किए गए और कई महिलाओं को सम्मानित भी किया गया लेकिन जामताड़ा रेलवे साइडिंग में काम करने वाली महिलाएं मजदूर को आज भी उनका हक और वाजिब अधिकार नहीं मिल पा रहा है। मात्र ₹80 न्यूनतम मजदूरी में काम करने के लिए मजबूर है ।यहां की अधिकतर आदिवासी महिलाएं मजदूर हैं।रोजी रोटी के लिए यहां पर कमर तोड़ कोयले की धूल मे मजदूरी करती है ।लेकिन न. उनका वाजिब न्यूनतम मजदूरी मिलता है नहीं सरकार द्वारा मजदूरों के लिए चलाई जा रही योजना का लाभ पहुंच पा रहा है। यहां काम करने वाली महिला मजदूर बताती है कि 25 साल से रेलवे रेलवे साइडिंग में मजदूरी का काम कर रही है। पहले ₹20 था अभी ₹80 मिल रहा है ।लेकिन वह भी समय पर नहीं मिलता है 2 महीना 3 महीना पर पैसा दिया जाता है । पता नहीं चल पाता है कि इस महीना का मजदूरी किस को मिल रहा है। यहां काम करने वाले मजदूर बताते हैं कि उन्हें शोषण करके रखा जाता है। यदि कोई बोलने जाता है हक की बात करता है तो उसे काम से हटा दिया जाता है या बैठा दिया जाता है ।भय से कोई मुंह खोलते नहीं बोलते हैं
बाईट काम करने वाली महिला मजदूर एवं पुरुष


Conclusion:जामताड़ा रेलवे साइडिंग जहां सैकड़ों की संख्या में महिला पुरुष मजदूरी का काम करते हैं । जो मजदूरी ठेकेदार के अंडर में काम लिया जाता है। आज तक किसी ने सुध लेना उचित नहीं समझा ।देखना है कि भविष्य में काम करने वाली महिला मजदूरों को उनका वाजिब हक उचित मजदूरी और अधिकार मिल पाता है या नहीं।

संजय तिवारी ईटीवी भारत जामताड़ा
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