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Loksabha chunaw 2019 : क्यों लाया गया था वोटर आईडी, जानिये वोटर आईडी से जुड़ी खास बातें - रायपुर

रांची: मतदान के दौरान मतदाता की सही पहचान बताता है उसका वोटर आईडी. पहले जब वोटर आईडी नहीं थी, तब मतदान कैसे हुए और ये बड़ा बदलाव कैसे आया ये बताए हैं रिटायर्ड आईएएस डॉ. सुशील त्रिवेदी ने.

क्यों लाया गया था वोटर आईडी कार्ड ? जानिये पुरी जानकारी।
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Published : Mar 10, 2019, 9:59 PM IST

चुनाव में वोट डालने के लिए वोटर आईडी को होना बहुत ही जरूरी है, ये बात तो हर कोई जानता है. इससे जुड़ी कुछ और खास बातें इस खबर में हम आपको बताने जा रहे हैं कि क्या वजह थी, जिसके कारण वोटर आईडी को मतदाता के पहचान पत्र के रूप में लाया गया.
डॉ. सुशील त्रिवेदी ने बताया कि कैसे वोटर आईडी के बाद चीजें बदलीं और मतदाता बड़ी आसानी से वोट भी डाल लेते हैं. उन्होंने बताया कि पहले मतदाता पर्ची के जरिए वोट डाले जाते थे .
पर्चियां बांटते थे राजनीतिक दल
डॉ. सुशील त्रिवेदी ने बताया कि पहले मतदाता सूची हुआ करती थी. राजनीतिक दल घर-घर जाकर पर्ची बांटते थे, जिसको लेकर मतदाता वोट डालने जाते थे. मतदाताओं के इस तरह के वोटिंग करने का विरोध किया जाने लगा, जिसके बाद इस प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई और वोटर आईडी का प्रस्ताव लाया गया.
पहले के चुनाव प्रक्रिया में मतदाताओं के नाम सूची में नहीं आते थे. वोटर आईडी आने के बाद स्थितियां अच्छी हो गई हैं. इससे बनने वाली मतदाता सूची की प्रक्रिया अब काफी सहज हो गई है.
वोटिंग की प्रक्रिया में पहले लगता था एक हफ्ता
डॉ. सुशील त्रिवेदी ने बताया कि पहले वोटिंग बड़े-बड़े बक्सों में की जाती थी, जिसके कारण चुनाव आयोग को हफ्ता भर लग जाता था, लेकिन अब ईवीएम ने चुनाव की प्रक्रिया को आसान कर दिया है.

चुनाव में वोट डालने के लिए वोटर आईडी को होना बहुत ही जरूरी है, ये बात तो हर कोई जानता है. इससे जुड़ी कुछ और खास बातें इस खबर में हम आपको बताने जा रहे हैं कि क्या वजह थी, जिसके कारण वोटर आईडी को मतदाता के पहचान पत्र के रूप में लाया गया.
डॉ. सुशील त्रिवेदी ने बताया कि कैसे वोटर आईडी के बाद चीजें बदलीं और मतदाता बड़ी आसानी से वोट भी डाल लेते हैं. उन्होंने बताया कि पहले मतदाता पर्ची के जरिए वोट डाले जाते थे .
पर्चियां बांटते थे राजनीतिक दल
डॉ. सुशील त्रिवेदी ने बताया कि पहले मतदाता सूची हुआ करती थी. राजनीतिक दल घर-घर जाकर पर्ची बांटते थे, जिसको लेकर मतदाता वोट डालने जाते थे. मतदाताओं के इस तरह के वोटिंग करने का विरोध किया जाने लगा, जिसके बाद इस प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई और वोटर आईडी का प्रस्ताव लाया गया.
पहले के चुनाव प्रक्रिया में मतदाताओं के नाम सूची में नहीं आते थे. वोटर आईडी आने के बाद स्थितियां अच्छी हो गई हैं. इससे बनने वाली मतदाता सूची की प्रक्रिया अब काफी सहज हो गई है.
वोटिंग की प्रक्रिया में पहले लगता था एक हफ्ता
डॉ. सुशील त्रिवेदी ने बताया कि पहले वोटिंग बड़े-बड़े बक्सों में की जाती थी, जिसके कारण चुनाव आयोग को हफ्ता भर लग जाता था, लेकिन अब ईवीएम ने चुनाव की प्रक्रिया को आसान कर दिया है.

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