रांची: भारत के प्रमुख त्योहार होली में राग और रंग का सबसे ज्यादा महत्व होता है. राग मतलब संगीत और रंग तो इसका प्रमुख अंग है ही. होली का त्यौहार वसंत पंचमी से ही शुरू हो जाता है, उसी दिन पहली बार गुलाल उड़ाया जाता है. इस दिन से फाग और जोगीरा गाना भी शुरू हो जाता है. गांव घरों में जब ढोल मंजीरे के साथ होली खेलने वालों की टोली निकलती है तो लोग जोगीरा की तान पर झूमते गाते हैं.
दरअसल, होली खुलकर और खिलकर कहने की परंपरा है. यही वजह है कि जोगीरा की तान में आपको सामाजिक विडम्बनाओं और गालियां देने का तंज दिखता है. जोगीरा आचार्य रामपलट के अनुसार 'जोगीरा' के बारे में कोई ऑथेंटिक जानकारी तो नहीं है लेकिन शायद इसकी उत्पत्ति योगियों की हठ-साधना, वैराग्य और सीधे-सीधे न कहकर घुमा-फिराकर कविता के माध्यम से कही हुई बात के लिए हुई हो.
मतलब ये कि जोगीरा एक तरह का समूह गान है जो आम तौर पर प्रश्नोत्तर शैली है. जिसमें एक समूह सवाल पूछता है, तो दूसरा उसका जवाब देता है जो प्रायः चौकाने वाला होता है. प्रश्न और उत्तर शैली में निरगुन को समझाने के लिए घुमा-फिराकर उलटकर कविता का सहारा लेने वाले काव्य को रोजमर्रा की घटनाओं से जोड़कर रचा जाता है. मतलब जोगिरा एक तरह से मन की बातों को बाहर लाता है.