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बाबूलाल और प्रदीप यादव की चिट्ठियों के क्या है मायने! कहीं झाविमो का अस्तित्व बचाने की जुगत नहीं?

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Published : May 29, 2019, 11:03 PM IST

Updated : May 29, 2019, 11:47 PM IST

चुनाव खत्म होने के बाद जेवीए महासचिव को जेवीएम सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने एक पत्र लिख कर पद से इस्तीफा देने के लिए कहा. अब इसके कई मायने निकाले जा रहे हैं.

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रांची: प्रदेश की राजनीति में झारखंड विकास मोर्चा प्रमुख बाबूलाल मरांडी और उनके प्रधान महासचिव प्रदीप यादव के बीच लिखी गई चिट्ठियों को लेकर सियासी चर्चा तेज हो गई है.

देखें वीडियो
झाविमो सुप्रीमो मरांडी ने पार्टी की एक महिला नेत्री द्वारा प्रदीप यादव पर छेड़छाड़ के आरोपों के कुछ हफ्तों के बाद झाविमो प्रधान सचिव को अपना पद त्याग करने का निर्देश दिया है. हैरत की बात यह है कि मरांडी के पत्र वायरल होने के कुछ घंटे के बाद ही झाविमो के केंद्रीय महासचिव प्रदीप यादव के इस्तीफे की चिट्ठी भी पार्टी के ऑफिशियल वाट्स एप ग्रुप में डाल दी गई. जहां मरांडी ने प्रदीप यादव को पार्टी की नेता से छेड़छाड़ करने के मामले पर पद त्याग करने का निर्देश दिया. वहीं, यादव ने पलटकर इस्तीफे की वजह लोकसभा चुनाव में हुई अपनी हार को बताया है.

मंगलवार की देर रात वायरल हुए दोनों पत्रों को लेकर अब सियासी चर्चा यह तेज हो गई है कि कहीं मरांडी झाविमो का अस्तित्व बचाने के लिए तो ऐसा नहीं कर रहे हैं. 2014 के बाद लगातार सेटबैक झेल रहे मरांडी और उनकी पार्टी को लोकसभा चुनाव से काफी उम्मीदें थी. लेकिन एक तरफ जहां मरांडी को करारी शिकस्त झेलनी पड़ी वहीं, प्रदीप यादव भी लाख दावे के बाद बीजेपी प्रत्याशी निशिकांत दुबे से गोड्डा संसदीय सीट पर हार गए.

ऐसे में पार्टी के दोनों प्रमुख नेताओं के बीच पत्रों के इस दौर को लेकर झाविमो के अन्य नेता भी काफी गंभीर हैं. पार्टी के केंद्रीय उपाध्यक्ष और बिहार में पूर्व मंत्री रहे सब अहमद ने कहा कि यह काफी गंभीर मामला है और कॉम्प्लिकेटेड भी है ऐसे मामलों में कुछ भी कहना मुश्किल है.

दरअसल, पार्टी की एक नेता ने प्रदीप यादव पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया है. यह आरोप कुछ हफ्ते पहले लगाया गया और महिला के मुताबिक इसकी जानकारी मरांडी को भी दी गई. इस बाबत देवघर जिले में एक एफआईआर भी दर्ज कराई गई है. लेकिन अभी तक प्रदीप यादव के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं हुई है.

चुनावों में कोडरमा और गोड्डा संसदीय सीटों पर करारी शिकस्त झेलने के बाद मरांडी खामोश से हो गए हैं. ऐसे में अचानक उनका यह पत्र अस्वाभाविक लग रहा है. वहीं बीजेपी ने मरांडी के इस पत्र पर चुटकी ली है और कहा कि उन्हें जवाब देना चाहिए कि महिला के आत्मसम्मान और स्वाभिमान के मामले में निर्णय करने में इतनी देर क्यों हो रही है.

बीजेपी के प्रदेश मीडिया कमेटी के सदस्य प्रदीप सिन्हा ने कहा कि इन मामलों पर त्वरित कार्यवाही होनी चाहिए और इस तरह की चिट्ठी-पत्री से साफ होता है कि मरांडी और यादव के बीच कोई गठजोड़ है.

वहीं, झाविमो के संविधान पर नजर डालें तो उसमें साफ लिखा है कि किसी भी आरोप के बदले पार्टी पहले आरोपी के पक्ष को जानना चाहेगी है. उसके बाद ही किसी तरह की कार्रवाई की जाती है. लेकिन प्रदीप यादव के मामले में सीधा पार्टी सुप्रीमो का पद त्याग करने की सलाह कई तरह के सवालों को जन्म दे रही. पार्टी के सूत्रों पर यकीन करें तो दोनों नेताओं के बीच इस तरह का पत्र व्यवहार लोकसभा चुनाव में पार्टी के हुए पॉलीटिकल डैमेज को कंट्रोल करने के लिए किया जा रहा है.

रांची: प्रदेश की राजनीति में झारखंड विकास मोर्चा प्रमुख बाबूलाल मरांडी और उनके प्रधान महासचिव प्रदीप यादव के बीच लिखी गई चिट्ठियों को लेकर सियासी चर्चा तेज हो गई है.

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झाविमो सुप्रीमो मरांडी ने पार्टी की एक महिला नेत्री द्वारा प्रदीप यादव पर छेड़छाड़ के आरोपों के कुछ हफ्तों के बाद झाविमो प्रधान सचिव को अपना पद त्याग करने का निर्देश दिया है. हैरत की बात यह है कि मरांडी के पत्र वायरल होने के कुछ घंटे के बाद ही झाविमो के केंद्रीय महासचिव प्रदीप यादव के इस्तीफे की चिट्ठी भी पार्टी के ऑफिशियल वाट्स एप ग्रुप में डाल दी गई. जहां मरांडी ने प्रदीप यादव को पार्टी की नेता से छेड़छाड़ करने के मामले पर पद त्याग करने का निर्देश दिया. वहीं, यादव ने पलटकर इस्तीफे की वजह लोकसभा चुनाव में हुई अपनी हार को बताया है.

मंगलवार की देर रात वायरल हुए दोनों पत्रों को लेकर अब सियासी चर्चा यह तेज हो गई है कि कहीं मरांडी झाविमो का अस्तित्व बचाने के लिए तो ऐसा नहीं कर रहे हैं. 2014 के बाद लगातार सेटबैक झेल रहे मरांडी और उनकी पार्टी को लोकसभा चुनाव से काफी उम्मीदें थी. लेकिन एक तरफ जहां मरांडी को करारी शिकस्त झेलनी पड़ी वहीं, प्रदीप यादव भी लाख दावे के बाद बीजेपी प्रत्याशी निशिकांत दुबे से गोड्डा संसदीय सीट पर हार गए.

ऐसे में पार्टी के दोनों प्रमुख नेताओं के बीच पत्रों के इस दौर को लेकर झाविमो के अन्य नेता भी काफी गंभीर हैं. पार्टी के केंद्रीय उपाध्यक्ष और बिहार में पूर्व मंत्री रहे सब अहमद ने कहा कि यह काफी गंभीर मामला है और कॉम्प्लिकेटेड भी है ऐसे मामलों में कुछ भी कहना मुश्किल है.

दरअसल, पार्टी की एक नेता ने प्रदीप यादव पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया है. यह आरोप कुछ हफ्ते पहले लगाया गया और महिला के मुताबिक इसकी जानकारी मरांडी को भी दी गई. इस बाबत देवघर जिले में एक एफआईआर भी दर्ज कराई गई है. लेकिन अभी तक प्रदीप यादव के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं हुई है.

चुनावों में कोडरमा और गोड्डा संसदीय सीटों पर करारी शिकस्त झेलने के बाद मरांडी खामोश से हो गए हैं. ऐसे में अचानक उनका यह पत्र अस्वाभाविक लग रहा है. वहीं बीजेपी ने मरांडी के इस पत्र पर चुटकी ली है और कहा कि उन्हें जवाब देना चाहिए कि महिला के आत्मसम्मान और स्वाभिमान के मामले में निर्णय करने में इतनी देर क्यों हो रही है.

बीजेपी के प्रदेश मीडिया कमेटी के सदस्य प्रदीप सिन्हा ने कहा कि इन मामलों पर त्वरित कार्यवाही होनी चाहिए और इस तरह की चिट्ठी-पत्री से साफ होता है कि मरांडी और यादव के बीच कोई गठजोड़ है.

वहीं, झाविमो के संविधान पर नजर डालें तो उसमें साफ लिखा है कि किसी भी आरोप के बदले पार्टी पहले आरोपी के पक्ष को जानना चाहेगी है. उसके बाद ही किसी तरह की कार्रवाई की जाती है. लेकिन प्रदीप यादव के मामले में सीधा पार्टी सुप्रीमो का पद त्याग करने की सलाह कई तरह के सवालों को जन्म दे रही. पार्टी के सूत्रों पर यकीन करें तो दोनों नेताओं के बीच इस तरह का पत्र व्यवहार लोकसभा चुनाव में पार्टी के हुए पॉलीटिकल डैमेज को कंट्रोल करने के लिए किया जा रहा है.

Intro:बाइट 1 सबा अहमद केंद्रीय उपाध्यक्ष झाविमो बाइट 2 योगेंद्र प्रताप सिंह केंद्रीय प्रवक्ता झाविमो बाइट 3 प्रदीप सिन्हा बीजेपी मीडिया कमिटी सदस्य रांची। प्रदेश की राजनीति में झारखंड विकास मोर्चा प्रमुख बाबूलाल मरांडी और उनके प्रधान महासचिव प्रदीप यादव के बीच लिखी गई चिट्ठियों को लेकर सियासी चर्चा तेज हो गई है। दरअसल झाविमो सुप्रीमो मरांडी ने पार्टी की एक महिला नेत्री द्वारा प्रदीप यादव पर छेड़छाड़ के आरोपों के कुछ हफ़्तों के बाद झाविमो प्रधान सचिव को अपना पद त्याग करने का निर्देश दिया है। हैरत की बात यह है कि मरांडी के पत्र वायरल होने के कुछ घंटे के बाद ही झाविमो के केंद्रीय महासचिव प्रदीप यादव के इस्तीफे की चिट्ठी भी पार्टी के ऑफिशियल वाट्स एप ग्रुप में डाल दी गई। हैरत की बात यह है कि जहां मरांडी ने प्रदीप यादव को पार्टी की प्रवक्ता रिंकी झा द्वारा छेड़छाड़ करने के मामले पर पद त्याग करने का निर्देश दिया। वहीं यादव ने पलटकर इस्तीफे की वजह लोकसभा चुनाव में हुई अपनी हार को बताया है।


Body:मंगलवार की देर रात वायरल हुए दोनों पत्रों को लेकर अब सियासी चर्चा यह तेज हो गई है कि कहीं मरांडी झाविमो का अस्तित्व बचाने के लिए तो ऐसा नहीं कर रहे हैं। 2014 के बाद लगातार सेटबैक झेल रहे मरांडी और उनकी पार्टी को लोकसभा चुनाव से काफी उम्मीदें थी लेकिन एक तरफ जहां मरांडी को करारी शिकस्त झेलनी पड़ी वहीं प्रदीप यादव भी लाख दावे के बाद बीजेपी प्रत्याशी निशिकांत दुबे से गोड्डा संसदीय सीट पर हार गए। ऐसे में पार्टी के दोनों प्रमुख नेताओं के बीच पत्रों के इस दौर को लेकर झाविमो के अन्य नेता भी काफी गंभीर हैं। पार्टी के केंद्रीय उपाध्यक्ष और बिहार में पूर्व मंत्री रहे सब अहमद ने कहा कि यह काफी गंभीर मामला है और कॉम्प्लिकेटेड भी है ऐसे मामलों में कुछ भी कहना मुश्किल है।


Conclusion:दरअसल पार्टी की प्रवक्ता रिंकी झा ने प्रदीप यादव पर छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया है। यह आरोप कुछ हफ्ते पहले लगाया गया और बकौल झा इसकी जानकारी मरांडी को भी दी गई। इस बाबत देवघर जिले में एक एफआईआर भी दर्ज कराई गई है। लेकिन अभी तक प्रदीप यादव के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं हुई है। इधर चुनावों में कोडरमा और गोड्डा संसदीय सीटों पर करारी शिकस्त झेलने के बाद मरांडी खामोश से हो गए हैं। ऐसे में अचानक उनका यह पत्र अस्वाभाविक लग रहा है। वहीं बीजेपी ने मरांडी के इस पत्र पर चुटकी ली है और कहा कि उन्हें जवाब देना चाहिए कि महिला के आत्मसम्मान और स्वाभिमान के मामले में निर्णय करने में इतनी देर क्यों हो रही है। बीजेपी के प्रदेश मीडिया कमेटी के सदस्य प्रदीप सिन्हा ने कहा कि इन मामलों पर त्वरित कार्यवाही होनी चाहिए और इस तरह की चिट्ठी-पत्री से साफ होता है कि मरांडी और यादव के बीच कोई गठजोड़ है। वहीं झाविमो के संविधान पर नजर डालें तो उसमें साफ लिखा है कि किसी भी आरोप के बदले पार्टी पहले आरोपी के पक्ष को जानना चाहेगी है। उसके बाद ही किसी तरह की कार्रवाई की जाती है लेकिन प्रदीप यादव के मामले में सीधा पार्टी सुप्रीमो का पद त्याग करने की सलाह कई तरह के सवालों को जन्म दे रही। पार्टी के सूत्रों पर यकीन करें तो दोनों नेताओं के बीच इस तरह का पत्र व्यवहार लोकसभा चुनाव में पार्टी के हुए पॉलीटिकल डैमेज को कंपनसेट करने के लिए किया जा रहा है।
Last Updated : May 29, 2019, 11:47 PM IST
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