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रांची संसदीय सीट पर मुकाबला है दिलचस्प, 'भैया' और 'सेठ' के बीच है कड़ी टक्कर - झारखंड समाचार

रांची संसदीय सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला है. अब देखना है कि लोग अनुभव को तरजीह देते हैं या नए चेहरे को.

सुबोधकांत सहाय
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Published : May 5, 2019, 10:49 PM IST

रांची: राजधानी की संसदीय सीट के लिए होने वाला चुनाव दिलचस्प होने जा रहा है. एक तरफ जहां कांग्रेस ने सुबोधकांत सहाय को मौका दिया है. वहीं दूसरी तरफ बीजेपी के संजय सेठ मैदान में हैं. जहां सुबोधकांत सहाय 3 बार सांसद रह चुके हैं और केंद्र में मंत्री रहने का भी अनुभव रखते हैं. वहीं 'सेठ' का यह पहला चुनावी संघर्ष होगा.

देखें पूरी खबर

रांची संसदीय सीट पर बीजेपी प्रत्याशी पार्टी के पुराने कैडर हैं, लेकिन अभी तक किसी भी चुनाव में उनकी प्रत्यक्ष हिस्सेदारी नहीं रही है. वैसे तो रांची संसदीय सीट के लिए बीजेपी के बागी और निवर्तमान सांसद रामटहल चौधरी भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं. लेकिन अन्य उम्मीदवारों की मौजूदगी के बाद भी चुनाव कांग्रेस और बीजेपी के बीच के संघर्ष का ही माना जा रहा है. 'भैया' के समर्थकों की मानें तो एक तरफ जहां उनका राजनीतिक अनुभव काम आएगा. वहीं दूसरी तरफ लोगों के एक्सेप्टेंस का भी उन्हें फायदा मिलेगा.

ये भी पढ़ें- पिछली सरकारों का नहीं था कोल्हान के विकास पर ध्यान, BJP ने किया इन पर फोकस- प्रतुल शाहदेव

ऐसे में सुबोधकांत सहाय को 'भैया' बोलने के सवाल पर कांग्रेस नेता राकेश सिन्हा का कहना है कि सुबोध भैया का जुड़ाव राज्य की जनता से हमेशा रहा है और हर उम्र के लोगों के हृदय में रहते हैं. इसीलिए सभी लोग उन्हें 'भैया' कहते हैं और वह भी लोगों के लिए हमेशा 'भैया' की भूमिका में खड़े भी रहते हैं.जबकि बीजेपी की तरफ से रांची संसदीय सीट से चुनाव लड़ रहे संजय सेठ को लेकर ग्रामीण इलाकों में कथित 'सेठ' शब्द का ज्यादा जोर दिख रहा है. हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रोड शो के बाद बीजेपी की स्थिति पहले से सुधरी है. बावजूद इसके ग्रामीण इलाकों में बीजेपी को कांग्रेस के उम्मीदवार खासा टक्कर दे रहे हैं.

राजद के युवा मोर्चा के अध्यक्ष शैलेंद्र शर्मा भी मानते हैं कि 'भैया' शब्द में ही सुबोधकांत सहाय की लोकप्रियता छुपी हुई है. यही वजह है कि बच्चे, उसके पिता और बच्चे के दादा उन्हें 'भैया' ही कहते हैं. ऐसे में उन्होंने भी दावा किया है कि रांची संसदीय सीट पर 'भैया' की जीत निश्चित है.

रांची: राजधानी की संसदीय सीट के लिए होने वाला चुनाव दिलचस्प होने जा रहा है. एक तरफ जहां कांग्रेस ने सुबोधकांत सहाय को मौका दिया है. वहीं दूसरी तरफ बीजेपी के संजय सेठ मैदान में हैं. जहां सुबोधकांत सहाय 3 बार सांसद रह चुके हैं और केंद्र में मंत्री रहने का भी अनुभव रखते हैं. वहीं 'सेठ' का यह पहला चुनावी संघर्ष होगा.

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रांची संसदीय सीट पर बीजेपी प्रत्याशी पार्टी के पुराने कैडर हैं, लेकिन अभी तक किसी भी चुनाव में उनकी प्रत्यक्ष हिस्सेदारी नहीं रही है. वैसे तो रांची संसदीय सीट के लिए बीजेपी के बागी और निवर्तमान सांसद रामटहल चौधरी भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं. लेकिन अन्य उम्मीदवारों की मौजूदगी के बाद भी चुनाव कांग्रेस और बीजेपी के बीच के संघर्ष का ही माना जा रहा है. 'भैया' के समर्थकों की मानें तो एक तरफ जहां उनका राजनीतिक अनुभव काम आएगा. वहीं दूसरी तरफ लोगों के एक्सेप्टेंस का भी उन्हें फायदा मिलेगा.

ये भी पढ़ें- पिछली सरकारों का नहीं था कोल्हान के विकास पर ध्यान, BJP ने किया इन पर फोकस- प्रतुल शाहदेव

ऐसे में सुबोधकांत सहाय को 'भैया' बोलने के सवाल पर कांग्रेस नेता राकेश सिन्हा का कहना है कि सुबोध भैया का जुड़ाव राज्य की जनता से हमेशा रहा है और हर उम्र के लोगों के हृदय में रहते हैं. इसीलिए सभी लोग उन्हें 'भैया' कहते हैं और वह भी लोगों के लिए हमेशा 'भैया' की भूमिका में खड़े भी रहते हैं.जबकि बीजेपी की तरफ से रांची संसदीय सीट से चुनाव लड़ रहे संजय सेठ को लेकर ग्रामीण इलाकों में कथित 'सेठ' शब्द का ज्यादा जोर दिख रहा है. हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रोड शो के बाद बीजेपी की स्थिति पहले से सुधरी है. बावजूद इसके ग्रामीण इलाकों में बीजेपी को कांग्रेस के उम्मीदवार खासा टक्कर दे रहे हैं.

राजद के युवा मोर्चा के अध्यक्ष शैलेंद्र शर्मा भी मानते हैं कि 'भैया' शब्द में ही सुबोधकांत सहाय की लोकप्रियता छुपी हुई है. यही वजह है कि बच्चे, उसके पिता और बच्चे के दादा उन्हें 'भैया' ही कहते हैं. ऐसे में उन्होंने भी दावा किया है कि रांची संसदीय सीट पर 'भैया' की जीत निश्चित है.

Intro:रांची.रांची संसदीय सीट के लिए होने वाला चुनाव दिलचस्प होने जा रहा है.एक तरफ जहां कांग्रेस ने पार्टी में 'भैया' के नाम से मशहूर सुबोधकांत सहाय को मौका दिया है.वहीं दूसरी तरफ बीजेपी के संजय सेठ मैदान में है.मजे की बात यह है कि 'भैया' जहां 3 बार सांसद रह चुके हैं और केंद्र में मंत्री रहने का भी अनुभव रखते हैं.वही 'सेठ' का यह पहला चुनावी संघर्ष होगा.





Body:रांची संसदीय सीट के बीजेपी प्रत्याशी पार्टी के पुराने कैडर है. लेकिन अभी तक किसी भी चुनाव में उनकी प्रत्यक्ष हिस्सेदारी नहीं रही है.वैसे तो रांची संसदीय सीट के लिए बीजेपी के बागी और निवर्तमान सांसद रामटहल चौधरी भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं.लेकिन अन्य उम्मीदवारों की मौजूदगी के बाद भी चुनाव कांग्रेस और बीजेपी के बीच के संघर्ष का ही माना जा रहा है.'भैया' के समर्थकों की माने तो एक तरफ जहां उनका राजनीतिक अनुभव काम आएगा.वहीं दूसरी तरफ लोगों के एक्सेप्टेंस का भी उन्हें फायदा मिलेगा.ऐसे में सुबोधकांत सहाय को 'भैया' बोलने के सवाल पर कांग्रेस नेता राकेश सिन्हा का कहना है कि सुबोध भैया का जुड़ाव राज्य की जनता से हमेशा रहा है और हर उम्र के लोगों के हृदय में रहते हैं.इसीलिए सभी लोग उन्हें 'भैया' कहते हैं और वह भी लोगों के लिए हमेशा 'भैया' की भूमिका में खड़े भी रहते हैं.





Conclusion:जबकि बीजेपी के तरफ से रांची संसदीय सीट से चुनाव लड़ रहे संजय सेठ को लेकर ग्रामीण इलाकों में कथित 'सेठ' शब्द का ज्यादा जोर दिख रहा है. हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रोड शो के बाद बीजेपी की स्थिति पहले से सुधरी है. बावजूद इसके ग्रामीण इलाकों में बीजेपी को कांग्रेस के उम्मीदवार खासा टक्कर दे रहे हैं. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि महागठबंधन में न रहते हुए भी राजद की ओर से सुबोधकांत सहाय को रांची संसदीय सीट पर जीत दिलाने के लिए कार्यकर्ता जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं. राजद के युवा मोर्चा के अध्यक्ष शैलेंद्र शर्मा भी मानते हैं कि 'भैया' शब्द में ही सुबोधकांत सहाय की लोकप्रियता छुपी हुई है. यही वजह है कि बच्चे, उसके पिता और बच्चे के दादा उन्हें 'भैया' ही कहते हैं. ऐसे में उन्होंने भी दावा किया है कि रांची संसदीय सीट पर 'भैया' की जीत निश्चित है.







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